विशेष कड़ाही पूजा
( ‘नवरात्र-च्रत’ के पारण के दिन ‘अष्टमी’ या ‘नवमी’ को भगवती की विशेष पूजा करनी चाहिए। यहाँ ‘कड़ाही-पूजा’ की एक सरल विधि दी जा रही है। आशा है, पाठक-बन्धु इससे लाभ उठाएँगे -)
‘नवरात्र’ में व्रत के पारण के दिन ‘अष्टमी’ या ‘नवमी’ को एक कड़ाही हलुवा बनाए। फिर हलुए सहित कड़ाही को भगवती के सामने रखे। durgaतब कड़ाही की कड़ी में तथा चमचे में ‘मौली’ बाँधकर ‘ॐ अन्न-पूर्णायै नमः’– इस मन्त्र से कड़ाही की पूजा करने के बाद भगवती को हलवे का प्रसाद लगाए। भगवती को प्रसाद रखने के पश्चात् ‘अखण्ड-ज्योति’ की पूजा करे। इसके लिए भगवती के सम्मुख नारियल पधारे (फोड़े) और नारियल के छोटे-छोटे टुकड़े कर हलवे के प्रसाद के साथ रखे तथा ज्योति को पाद्य-अर्घ्य-गन्ध-दीप समर्पित कर यह प्रसाद अर्पित करे। प्रसाद अर्पित करने के बाद ज्योति को घी से आचमन कराए तथा प्रणाम करे।
ज्योति-पूजा के बाद कुमारी-पूजा एवं कुमारिकाओं, बटुकों आदि को भोजन कराकर भगवती की आरती करे। आरती के पश्चात् विसर्जन करे। विसर्जन हेतु भगवती की पुनः पुजा कर प्रार्थना करे –
अचिन्त्य-रुप चरिते ! सर्व-शत्रु-विनाशिनी !
रुपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि ।।
देहि सौभाग्यमारोग्यं, देहि मे परमं सुखम् ।
रुपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि ।।

उक्त प्रकार से प्रार्थना करने के बाद दाहिने हाथ में अक्षत व पुष्प लेकर विसर्जन हेतु कहे –
गच्छ – गच्छ, सुर-श्रेष्ठे, स्व-स्थानं परमेश्वरि !
पूजाराधन-काले च, पुनरागमनाय च ।।

यह कहकर अक्षत-पुष्प अपने चारों ओर छोडे और नमस्कार कर कलश आदि का विसर्जन करे।

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