वृश्चिक दंश का अनुभूत मन्त्र
मन्त्र : ”काळी कुकडी, पाय पकडी, सौन्दडीच पान ।
उतर – उतर विंचवा, तेच तुझ रान ।।”

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विधि – ‘सूर्य-ग्रहण’ – काल में उक्त मन्त्र सिद्ध कर ले । पहले स्नान करके गीले कपड़े पहने ही पूजा-स्थान में आसनस्थ हो जाए । फिर-‘केशवाय नमः, नारायणाय नमः’ से आचमन करे । तब मन्त्र का १०८ ‘जप’ करे । इससे उक्त मन्त्र सिद्ध हो जाएगा ।
प्रयोग — जिसे वृश्चिक-दंश लगा हो, उसे अपने सामने जमीन पर ही बिठा कर पूछे – ‘कहां तक दर्द पहुँचा है ?’ जहां तक जहर फैला होता है, वहाँ तक दर्द होता है । उस स्थान से अपना हाथ स्पर्श- पूर्वक जमीन तक फेरे । शरीर को स्पर्श करते हुए तथा मन्त्र पढ़ते हुए यह क्रिया करके उसका पैर या दंशवाला अङ्ग तथा अपना हाथ जमीन पर मारे । इस प्रकार २-३ बार करने के बाद फिर पूछे- अब कहाँ तक दर्द है ?’ जहाँ तक बताए, वहाँ से फिर से उक्त क्रिया करें।
जब दंश-स्थान तक जहर उतर जाए, तब समझे कि पीड़ित व्यक्ति अच्छा हो गया है । दंश – स्थान पर अल्प मात्रा में ही दर्द रहेगा । उसे दूर करने के लिए मिट्टी का तेल (केरोसीन) लगाकर दंश – स्थान को गरम पानी से सेंके ।
उक्त उपाय से केवल ६-७ बार हाथ फेरने से ही व्यक्ति अच्छा हो जाता है । यह कार्य बिना-मूल्य परोपकारार्थ ही करना चाहिए । पैसे का लालच न करे ।
अन्य प्रकार से इस मन्त्र को जो करना चाहें, वे किन्ही सत्पुरुष या साधु का चित्र सामने रखकर पहले उक्त मन्त्र का २१ बार जप करे । प्रत्येक मन्त्र-जप पूरा होते ही ”मन्त्र गृह्णामि” का उच्चारण करके भावना करे कि ‘मैं उन साधु-पुरुष को गुरु बनाकर यह मन्त्र ग्रहण कर रहा हूँ ।’ बाद मे शेष विधान ग्रहण-काल में पूर्ण करे । प्रत्येक ग्रहण- काल में १०८ जप करते रहें । इससे मन्त्र-शक्ति तेज होगी ।
वृश्चिक-वंश पर अन्य उपाय
(१) मोम-बत्ती पर फिटकरी का टुकड़ा गरम करके दंश-स्थान पर चिपका दे । यह जहर चूस लेगा । वह गिर जाए, तो दूसरा लगा दे । ऐसा बार-बार करे । विष उतर जाएगा ।
(२) खाने के पान ( ताम्बूल) में शिकेकाई का टुकड़ा (चने की दाल बराबर) डालकर पान खा ले । थूके नही । जहर उतर जाएगा ।
(३) एक नाथ-पन्थी साधक के अनुसार अप्रैल-मई के आस-पास आम के वृक्ष में फूल लगते हैं, जिन्हें ‘मोहोर’ (बौर) कहते हैं । इन्हें लेकर अपने हाथ पर रगड़ । जितना ज्यादा रस हाथ में लगा सके, लगा ले । हाथ धोए नही, वैसा ही सूखने दे । ऐसा २५ दिन करे । इससे हाथ में जहर नष्ट करने का गुण आ जाता है । यह गुण ६-७ मास तक रहेगा । दंश-स्थान को इस हाथ से दबा देने से ५-१० मिनट में जहर नष्ट हो जाएगा ।

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