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व्यवसाय वृद्धि-कारक प्रयोग
१॰ दुकान में लोबान की धूप लगानी चाहिए।
२॰ शनिवार के दिन दुकान के मुख्य द्वार पर बेदाग नींबू एवं सात मिर्चें लटकानी चाहिए।
३॰ नागदमन के पौधे की जड़ लाकर इसे दुकान के बाहर लगा देना चाहिए। इससे बंधी दुकान खुल जाती है।
४॰ दुकान के गल्ले में शुभ मुहूर्त में श्रीफल लाल वस्त्र में लपेटकर रख देना चाहिए।om, ॐ
५॰ प्रतिदिन संध्या के समय दुकान में माता लक्ष्मी के सामने शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।
६॰ व्यापारिक प्रतिष्ठान तथा दुकान को नजर से बचाने के लिए काले घोड़े की नाल को मुख्य द्वार की चौखट के ऊपर ठोकना चाहिए।
७॰ दुकान में मोरपंख की झाडू लेकर निम्नलिखित मन्त्र के द्वारा सभी दिशाओं में झाडू को घुमाकर वस्तुओं को साफ करना चाहिएः-“ॐ ह्रीं ह्रीं क्रीं”
८॰ शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के सम्मुख मोगरे या चमेली के पुष्प अर्पित करने चाहिए।
९॰ यदि आपके व्यवसायिक प्रतिष्ठान में चूहे आदि जानवरों के बिल हों तो उन्हें बंद करवाकर बुधवार के दिन गणपति को प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
१०॰ सोनवार के दिन अशोक वृक्ष के अखंडित पत्ते लाकर स्वच्छ जल से धोकर दुकान के मुख्य द्वार पर टांगना चाहिए।
११॰ सूती धागे को पीसी हल्दी में रंगकर उसमें अशोक पत्र को बांधकर लटकाना चाहिए।
१२॰ यदि आपको यह शंका हो कि किसी व्यक्ति ने आपके व्यवसाय को बांध दिया है या उसकी नजर आपकी दुकान को लग गई है तो उस व्यक्ति का नाम काली स्याही से भोजपत्र पर लिखकर पीपल वृक्ष के पास भूमि खोदकर दबा देना चाहिए तथा इस प्रयोग को करते समय किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बताना चाहिए। यदि पीपल निर्जन स्थान में हो तो अधिक अनुकूलता रहेगी।
१३॰ कच्चा सूत लेकर उसे शुद्ध केसर में रंगकर अपनी दुकान पर बांध देना चाहिए।
१४॰ हुदहुद पक्षी की कलंगी रविवार के दिन प्रातःकाल दुकान पर लाकर रखने से व्यवसाय को लगी नजर समाप्त होती है और व्यवसाय में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है।
१५॰ व्वयसाय वृद्धि के लिए ११ माला प्रतिदिन निम्न मन्त्र का जाप करें-“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमो भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णा स्वाहा”
१६॰ यदि आपके प्रयासों के उपरान्त भी व्यवसाय वृद्धि न कर रहा हो तो निम्न उपाय करें- किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के गुरुवार को व्यापार स्थल के मुख्य द्वार के कोने को गंगाजल से धोकर स्वच्छ कर लें। इसके उपरान्त हल्दी से सतिया (स्वस्तिक) बनाकर उसपर थोड़ी सी चने की दाल और गुड़ रख दें। इसके बाद उस स्वस्तिक को बार-बार नहीं देखें। इस प्रकार प्रत्येक गुरुवार को यह क्रिया करें। कम से कम ११ गुरुवार तक तो करें ही।
१७॰ रविवार के दिन प्रातःकाल दुकान खोलते समय दाँये हाथ में थोड़े से काले साबुत उड़द लेकर नीचे लिखे मन्त्र का २१ बार उच्चारण करते हुए बिखेर दें और दूसरे दिन इन्हें बुहार कर काले कपड़े में एकत्रित करके काले धागे से उस कपड़े का मुख बाँधकर किसी चौराहे पर स्वयं डाल आवें। ऐसा चार रविवार तक करें। “भंवरवीर तू चेला मेरा, खोल दुकान कहा कर मेरा। उठे जो डण्डी बिके जो माल भंवर वीर सों नहीं जाय।।”
१८॰ शनिवार की संध्या को हाथ में इक साबुत सुपारी व ताँबे का सिक्का ले जाकर उस पेड़ को आमंत्रित कर आवें, जिस पेड़ पर चमगादड़ों का आवास हो। रविवार को सूर्योदय से पूर्व उस पेड़ की एक शाखा लाकर उसका एक टुकड़ा व्यापारिक आसन या गद्दी के नीचे रखें तथा उस वृक्ष का एक पत्ता सिर पर इस प्रकार धारण करें कि उस पर किसी व्यक्ति की दृष्टि न पड़े।
१९॰ शुभ मुहूर्त में पूर्व की ओर मुख करके अनार की कलम और अष्टगंध की स्याही से सफेद कागज पर
निम्नांकित यन्त्र (२५ कोष्ठकों वाले एक यन्त्र में क्रमशः बाँये से दाँये १०, १८, १, १४, २२, ११, २४, ७, २०, ३, १७, ५, १३, २१, ९, २३, ६, १९, २, १५, ४, १२, २५, ८ तथा १६ लिखें) बनाकर, मिट्टी के पात्र में रखकर, उस पर लाल सूती कपड़े का टुकड़ा व नारियल चढ़ाकर, व्यापारी को अपनी गद्दी के नीचे बिना किसी के टोके गाढ़ देनी चाहिए।
२०॰ प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर गणेशजी की दो छोटी मूर्तियाँ या तस्वीर इस प्रकार लगाएँ कि एक की दृष्टि बाहर की ओर तथा दूसरे की दृष्टि अन्दर की तरफ रहे।
२१॰ दुकान का मालिक नैर्ऋत्य कोण या पश्चिम में पूर्वाभिमुख होकर बैठे।
२२॰ दुकान के सभी वास्तु दोषों को दूर करने के लिए प्रातः पोंछा लगाते समय पानी में सेंधा नमक या साँभर नमक डालकर पोंछा लगाना चाहिए।

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