January 28, 2016 | aspundir | Leave a comment व्यापार-वर्धन मन्त्रः- “भँवर वीर तू चेला मेरा, खोल दुकान कहा कर मेरा । उठै जो डण्डी बिके जो माल, भँवरवीर, सोखे नहिं जाय ।।” विधि – पहले किसी शुभ मुहूर्त में घृत, गुग्गुल की धूप देते हुए १०८ जप कर लें । दूकान खोलकर सफाई करने के बाद काली उड़द के दानों पर १०८ बार मन्त्र पढ़कर दूकान में फैला दें । कुछ दाने गद्दी के नीचे अवश्य ड़ाले । प्रयोग रविवार के दिन से चालू करें । आवश्यकता के अनुसार ३-५ या ७ रविवार तक करें । प्रयोग रविवार से शुरू करे और समापन भी रविवार को ही करे । इससे व्यापार में आशातीत वृद्धि होती है । यदि दूकान बँधी हो, तो वह भी खुल जाती है । कई बार का अनुभूत है । See Also – बंधी दूकान कैसे खोलें ? व्यापार-स्तम्भन मन्त्रः- “भँवर-वीर तू चेला मेरा, बाँध दुकान कहा कर मेरा । उठै न डण्डी बिकै न माल, भँवर-वीर सोखे कर जाय ।।” विधि – पहले किसी शुभ मुहूर्त में घृत, गुग्गुल की धूप देते हुए १०८ जप कर लें । दूकान बन्द होते समय काली उड़द के दानों पर १०८ बार मन्त्र पढ़कर दूकान में फैला दें । कुछ दाने गद्दी के नीचे अवश्य ड़ाले । प्रयोग रविवार के दिन से चालू करें । आवश्यकता के अनुसार ३-५ या ७ रविवार तक करें । प्रयोग रविवार से शुरू करे और समापन भी रविवार को ही करे । प्रयोग दूकान या व्यापार-संस्थान के बन्द होते समय ही करना होगा । यह भी अनुभूत प्रयोग है । Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe