October 17, 2015 | Leave a comment शक्ति चालीसी श्रीदुर्गायै नमः नमस्कार उसको ही जिससे है पैदा खल्क़ 1 में हर शै 2 । पये 3 क़त्ले 4 सितमगारां जो पै दर 5 पै रहे दरपै 6 ।। मचा जब ग़ुल 7 कि अय दुर्गा ये हंगामेतरह् 8 हुम है । मदद की बरमेला 9 सब देवता कहने लगे जय जय ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।१।। तू वेदों में है विद्या और दानाओं 10 में दानाई । तनो-मन्दो 11 में ताक़त है तवानों 12 में तवानाई ।। दिलों में भक्ति शिव में शक्ति गोयाओं 13 में गोयाई । समाई अल्गरज़ 14 हर रंग में हर शक्ल में माई ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।२।। तु ई गुल में बशक्ले रंगो बूयेगुल दरआई है। तु ई मुल 15 में वरंगे नश्श्ये 16 सहबा समाई है ।। निगाहेदीदये 17 दिल में बशक्ले रोशनाई 18 है । शिनासाई 19 की ताक़त कब किसी मर्दुम 20 ने पाई है ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।३।। बसी है ताज़गी होकर चमन में गुल में बू होकर । बशर 21 के दिल में मेहरो 22 उल्फ़तो 23 आदात ख़ू होकर ।। सदफ़ 24 में आबताब और मोतियों में आबरु होकर । निगह में बनके बीनाई 25 ज़बाँ में गुफ़्तगू 26 होकर ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।४।। बशर में तबीअत और तबीअत में कशिश 27 होकर । कहीं शक्ले अता होकर कहीं शक्ले खलिश 28 होकर ।। दिलों में नीयत और नीयत में है दादोदहिश 29 होकर । क़मर 30 में ताब दुरमे 31 आब बिजली में तपिश होकर ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।५।। नफ़िसों में नफ़ासत है तो मरग़ूबों में मरग़ूबी । शरीफ़ों में शराफ़त और महबूबों में महबूबी ।। शजर 32 में ताजगी गुल में महक गुलज़ार 33 में ख़ूबी । दिले दरया में शक्ले मौज 34 मौजों में खुशस्लूबी 35 ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।६।। नुमायां 36 है ज़नब 37 में रास 38 में कैवां 39 में नैय्यर में 40 । ज़ोहल 41 में ज़ोहरा 42 में मिर्रीख 43 में माहेमुनव्वर 44 में ।। शजर में शाख में गुल में समर 45 में बर्ग 46 में बर में । चमन में दश्त 47 में कोहसार 48 में दीवार में दर में ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।७।। नुमायां गुल में गुल के रंगो-बू में गुल-के-रू 49 में है । तनेख़ाकी में दिल में जान में जी में जिगर में है ।। निगह में मरदुमक 50 में चश्म में तारे नज़र में है । कहीं आतिश 51 में है पिनहां कहीं पैदा शरर 52 में है ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।८।। मुजस्सिम 53 नूरे-क़ुदरत 54 नामुजस्सिम सूरते बू है । बगल में शक्ले दिल मिस्ले जिगर हमदोशपहलू है ।। जमीं क्या बल्कि अफ़लाके 55 ज़मीं पर ग़ुल यह हरसू है । तु ही तू है, तु ही तू है तु ही तू है, तु ही तू है ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।९।। अयां 56 मरदुम सिफ़त पिनहां 57 मिसाले नूरे मरदुम हो । कहीं ज़ाहिर कहीं मखफ़ी 58 कहीं पैदा कहीं गुम हो ।। ग़ुबारे-मासियत 59, गर्देख़ता 60 धोने को क़ुल्ज़म 61 हो । तुम्हीं तुम हो तुम्हीं तुम हो तुम्हीं तुम हो तुम्हीं तुम हो ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।१०।। यही नूरे मुबारक दीदये मरदुम का तारा है । इसी से रोशन अफ़लाके 62 बरीं पर यह सितारा है ।। कहीं पिनहां कहीं हर जुज़ोकुल में आशिकारा 63 है । हर इक जा अल्ग़रज़ रौशन ये नूरे आलम आरा है ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।११।। पनाहे-दामने 64 दौलत में गर्दिश से फ़लक आया । बजोशे मादरी मादर ने लुत्फ़ 65 उस पर भी फरमाया ।। छुटा क़ैदे अलम से इस्मे-अक़दस 66 लब पै जब लाया । महामाया महामाया महाया महामाया ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।१२।। सिपहरे 67 मेहर हो औनैय्यरे 68 फैजो अता देवी । बिनाये बख़्शिशो शाहंशहे अरजो 69 समाँ देवी ।। मदद के वक्त मुश्किल में पुकारा जिसने या देवी । महादेवी महादेवी महादेवी महादेवी ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।१३।। तु ही किशवरे कौनेन 70 की फ़रमांर 71 वा शक्ति । तु ही लश्करकुशो 72 दुश्मनकुशो 73 किशवरकुशा 74 शक्ति ।। ज़बां पर है सदाशिव विष्णु ब्रह्मादि के या शक्ति । महाशक्ति महाशक्ति महाशक्ति महाशक्ति ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।१४।। जो दे मम्लूक 75 से मालिक को निस्बत 76 है ये नादानी । सदाशिव इन्द्र सन्कादिक तुम्हें कहते है लासानी 77 ।। जनाबे विष्णु खुद फ़रमाते हैं वक्ते सनाख्वानी 78 । महारानी महारानी महारानी महारानी ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।१५।। किसी बेइल्म 79 ने गर सिद्क़-नीयत 80 से कहा विद्या । तुफ़ैले-नाम 81 से हासिल हुई लाइन्तहा 82 विद्या ।। मिली मुक्त उसको जो शामोसेहर 83 कहता रहा विद्या । महाविद्या महाविद्या महाविद्या महाविद्या ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।१६।। यमे फ़ैजो करम 84 हो चश्मये जूदो 85 सख़ा काली । अतापाशो 86 ख़तापोशो 87 जहाँ हाजतरवा 88 काली ।। उसे कब काल का खटका रहा जिसने कहा काली । महाकाली महाकाली महाकाली महाकाली ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।१७।। सरापा रोशनी अक्से कफ़क 89 से चाँद ने पाई । तजल्ली 90 नक्शे-पा 91 से नैय्यरे आज़म 92 के हाथ आई ।। छुटा अन्दोह 93 से जिसने कहा यक्ते जेवी 94 साई । महामायी महामायी महामायी महामायी ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।१८।। बक़ा 95 ज़ाते मुबारक 96 को फ़क़त है और सब फ़ानी । तुम्हीं से आसमाँ पर चेहरये 97 नैय्यर है नूरानी 98 ।। मिटे कुल्फ़त 99 पुकारे गरबशर वक्ते परेशानी । जगतरानी जगतरानी जगतरानी जगतरानी ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।१९।। मोहाफ़िज़ 100 तुम हो दिल की रुह 101 तन की जानकी दुर्गा । मोआविन 102 हो अजल 103 से वक्ते फिक्रो-बेकसी 104 दुर्गा ।। रहे बेख़ौफ़ इन्सां लब से गर निकले दुर्गा । सिरी दुर्गा सिरी दुर्गा सिरी दुर्गा सिरी दुर्गा ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।२०।। अगर वह नख्ले-क़ुदरत105 रंगो-बू ज़ाहिर न फ़रमाता । गुलिस्तानेदो106 आलम किस रविश107 से ताजगी पाता ।। फला-फूला वो नख्लआसा108 कहा जिसने किया दाता । जगतमाता जगतमाता जगतमाता जगतमाता ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।२१।। मचा जब ग़ुल कि दस्ते-शुंभ109 से तकलीफ़ पायी है । दोहाई है दोहाई है दोहाई है दोहाई है ।। महारानी ने की इस रंग से जंग आज़माई है। कि पीरे-चर्ख़110 की अक्ले रसा चक्कर में आई है।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।२२।। मुक़ाबिल मिस्ले आईना दग़ा से जय कि शुंभ आया । तो कैसे कैसे किस किस सूरतों से क़त्ल फ़रमाया ।। हुये आसारे-महशर111 तब ये लब पर हर बशर लाया । तरह्हुमहो तरह्हुमहो तरह्हुमहो महामाया ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।२३।। लड़ा जब चंड-मुंड आकर तो कैसे शान से मारा । मियाने-सेहने112 मक़तल खींच खंजर म्यान से मारा ।। दिलावर जिस क़दर राक्षस थे सबको जान से मारा । बहुत तीर अफ़गनों113 को एकदम में बान से मारा ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।२४।। ग़ज़ब से रज़्मगह114 में रक्तबीज इक आन में मारा । मिटाया दो-जहां से ख़दश115 ओ ख़ौफ़ो ख़लल सारा ।। बजुज़ जाते मुबारिक कौन हो सकता था रज़्मआरा । करा116 हिम्मत करा कुदरत करा ताक़त करा यारा ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।२५।। लड़ाई की उरु117 से फ़तह से मिल मिल के देवी ने । सदा कुश्तों118 के पुल बाँधे हैं पल में मेरी देवी ने ।। दिया पानी न पीने सरकशों119 को हिल के देवी ने । निकाले हौसले सब रज़्मगह में दिल के देवी ने ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।२६।। दग़ा में आबो ताबो तेज़ि वो शमशीर है दुर्गा । कहीं बुर्रश120 कहीं खूं रेज़िये शमशीर है दुर्गा ।। शररबारी शररअंगेज़िये शमशीर है दुर्गा । ख़मो121 चम और क़यामत-ख़ेजिये122 शमशीर है दुर्गा ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।२७।। ज़फ़र123 में क़ब्ज़ये124 ख़ज़र में हरदम धाक रहती है । ज़मीं दिल से फ़िदाये नक्क़श पाये पाक रहती है ।। जेबी ने अर्शआला125 पर क़दम की ख़ाक रहती है । दिलेरी और शुजाअत बस्तये फ़ितराक रहती है ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।२८।। मियाने रज़्मगह हैं जौहरे तेग़े दोदम काली । मियाने रज़्मगह है क़ुल्ज़126 में जाहो हशम काली ।। पये बेचारगां127 हैं दाफ़ये128 अन्दोहो ग़म काली । मुर्द्दनो129 चारा साज़ो राफ़ओ जौरो सितम काली ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।२९।। सदा बानावरी में मुश्तहिर130 है आनबान उनकी । है नाविक कहकशां131 क़ौसे कज़ह132 अदना कमां उनकी ।। सिवा अन्दाज़ये वह्मो गुमां से भी है शां उनकी । जेबीनो133 सर से चौखट चूमता है आसमां उनकी ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।३०।। सवारी शेर नर की भगवती को दिल से प्यारी है । रविश134 पर जिसके सदके तौस135 ने वादे बहारी है ।। हर इक मजबूर की मंजूर ख़ातिर पासदारी है । करम है हिल्म है पासेसखुन है बुर्दबारी है ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।३१।। जो है ख़ाक ऊफ़तादा उनपे चश्मे सरफ़राज़ी है । तबीअत में तरह्हुम इस्तआनत चारासाज़ी है ।। सखा है जूद है मेहरो वफ़ा है पाकवाज़ी है । तहम्मुल है अता है हिल्म है आजिज़-नेवाज़ी है।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।३२।। अजल136 से है पसन्दे ख़ातिरे आतिर ख़ता पोशी । सदा मद्देनज़र है शेवये असियां137 ख़तापोशी ।। करे जो ज़िक्रे दुर्गा वारेग़म से हो सुबुकदोशी138 । हमेशा शाहिदे मतलब से हासिल हो हमाग़ोशी ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।३३।। जो है मशहूर आलमलामकां वह खाना है उनका । ये शमये नैय्यरे आज़म भी इक परवाना है उनका ।। ये महताबे फ़लक इक मशग़ला काशाना है उनका । अज़ल से पंजये ख़ुरशीद रौशन शाना है उनका ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।३४।। हुदूदे फ़ह्मो दानिश से ज़ियादा शाने मादर है । अज़ल से चर्ख़े हफ़्तुम कुर्सिये ऐवाने मादर है ।। ज़मी पापोश गर्दे तावये फ़रमाने मादर है । हुजू में देवता परवर्देये दामाने मादर है । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।३५।। अज़ीजे जानदिल मतबूआ ख़ातिर नाम है उनका । हरइक चश्मे बख़शिश है ये फ़ैज़े आम है उनका ।। जिलाना मारना आराम देना काम है उनका । ज़माना सब मुतीओ बन्दये बेदाम है उनका ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।३६।। अगर हो चश्मे रहमत ग़म ख़्यालो ख़्बाव हो जावे । हुबाबे आब शक्ले लूलुये शादाब हो जावे ।। मिसाले फ़र्शे नैय्यर हल्क़ये गरदाब हो जावे । हर इक ज़र्रा क़रीबे मेहरे आलमताब हो जावे ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।३७।। इधर भी चश्मे रहमतख़ेज़ का जल्द इक इशारा हो । खुलें बस दिल की आँखें रुये वहदत का नज़ारा हो ।। नज़र में जागुर्ज़ी हरदम जमाले आलम आरा हो । ये नूरे पाक मेरी आँख की पुतली का तारा हो ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।३८।। करे जो पाठ बहरे ग़म से बेड़ा पार हो जाये । बसिद्के दिल पढ़े बेकार ग़र बाकार हो जाये ।। ज़रो ज़ोरो ज़मीं हासिल हो क़िस्मत यार हो जाये । ये मिसरअ़ पढ़ते-पढ़ते मुनइमो ज़रदार हो जाये ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।३९।। पढ़े जो शक्ति-चालिसी रुख़े मतलब नज़र आये । फले फूले निहाले मुस्त-मंदी में समर आये ।। ये ख्वाहिश ‘शंकरदयाल की है भक्ति उसको मिल जाये । बहम हो नक़्द फ़रहत लब पै यह मिसरअ वो जब लाये ।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै ।।४०।। जिस तरह गीता इत्यादि पवित्र ग्रन्थों के अनुवाद फ़ारसी, उर्दू में हुए हैं उसी तरह योग्य व्यक्तियों द्वारा संस्कृत स्तोत्रों के अनुवाद एवं स्वतन्त्र स्तोत्र भी अन्य भाषाओं में लिखे गये हैं। प्रस्तुत पुस्तक ‘शक्तिचालिसी’ अनुमानतः १२५ वर्ष पूर्व उर्दु रामायण के रचियता (स्व॰) लाला शंकर-दयाल ‘खुश्तर’ द्वारा लिखी गयी थी। इसमें उर्दू के ४० मोखम्मस (पाँच चरण का छन्द) हैं जो स्तोत्र रुप में विशेष आकर्षक है। इसकी रचनाशैली, शब्द-विन्यास, प्रासाद-पूर्ण मर्म-स्पर्शी भावों को देखकर सहसा हृदयोद्रेक होने लगता और शान्त होने लगता और शान्त होकर पाठ करने की प्रबल इच्छा हो उठती है। १॰ दुनियाँ, २॰ पदार्थ, ३॰ वास्ते, ४॰ दुष्टों को मारने, ५॰ निरन्तर, ६॰ उद्यत, ७॰ शोर, ८॰ कृपा का समय, ९॰ प्रकट, १०॰ बुद्धिमान्, ११॰ पहलवानों, १२॰ तन्दुरुस्त, १३॰ वक्ताओं, १४॰ परिणामतः, १५॰ मद्य, १६॰ दूसरे प्रकार की मद्य, १७॰ दिल के आँख की नजर, १८॰ रोशनी, १९॰ पहिचान, २०॰ मनुष्य, २१॰ मनुष्य, २२॰ कृपा, २३॰ प्रेम, २४॰ मोती, २५॰ दर्शन-शक्ति, २६॰ बातचीत, २७॰ आकर्षण, २८॰ कष्ट, २९॰ देन-लेन, ३०- चन्द्र, ३१- मोती, ३२- वृक्ष, ३३- बाग, ३४- लहर, ३५- सौन्दर्य, ३६-प्रकट, ३७- एक सितारा, ३८- एक सितारा, ३९- सातवाँ आकाश, ४०- सूर्य, ४१॰ शनि-ग्रह, ४२- शुक्र-ग्रह, ४३- मंगल-ग्रह, ४४- प्रकाशमान चन्द्र, ४५- फल, ४६- पत्ते, ४७- जंगल, ४८- पहाड, ४९- फूल का चेहरा, ५०- पुतली, ५१- अग्नि, ५२- चिन्गारी, ५३॰ सशरीर, ५४॰ दिव्य-प्रकाश, ५५॰ आकाशों की भूमि, ५६॰ प्रकट, ५७॰ गुप्त, ५८॰ गुप्त, ५९॰ पापों की स्याही, ६०॰ अपराधों की धूल, ६१॰ लाल-सागर, ६२॰ ऊँचा-आकाश, ६३॰ प्रकट, ६४॰ चरण-शरण, ६५॰ कृपा, ६६॰ पवित्र-नाम, ६७॰ कृपा की ढाल, ६८॰ दान का सूर्य, ६९॰ पृथ्वी-आकाश, ७०॰ समस्त ब्रह्माण्ड का बादशाह, ७१॰ विधायक, ७२-७३-७४- सेना, शत्रु, लोकों की नाशक, ७५॰ मालिकों का मालिक, ७६॰ तुलना, ७७॰ अद्वितीय, ७८॰ स्तुति, ७९॰ मूर्ख, ८०॰ निष्कपट, ८१॰ नाम-प्रताप, ८२॰ अपरिमित, ८३॰ सायं-प्रातः, ८४॰ दया-कृपा-सिन्धो, ८५॰ दया, ८६॰ दयालु, ८७॰ पाप-नाशक, ८८॰ अभीष्ट-फलद, ८९॰ हथेली, ९०॰ प्रकाश, ९१॰ चरण-चिह्न, ९२॰ सूर्य, ९३॰ दुःख, ९४॰ प्रणाम के समय, ९५॰ अमरत्व, ९६॰ अस्तित्व, ९७॰ सूर्य, ९८॰ प्रकाशमान, ९९॰ कष्ट, १००॰ रक्षक, १०१॰ आत्मा, १०२॰ सहायक, १०३॰ आदि, १०४॰ दीनता, १०५॰ आपकी माया का वृक्ष, १०६॰ सारे संसार का बाग, १०७॰ भाँति, १०८॰ आशा-वृक्ष, १०९॰ शुम्भ-दैत्य के हाथ से, ११०॰ वृद्ध-आकाश, १११॰ प्रलय-चिह्न, ११२॰ रणांगण के मध्य, ११३॰ वाण-वेधकों, ११४॰ युद्ध-स्थल, ११५॰ शंका, भय, ११६॰ धन्य-धन्य, ११७॰ दुल्हन, ११८॰ घायलों, कटे हुए, ११९॰ दुष्ट, १२०॰ काट-छाँट, १२१॰ काट-छाँट, १२२॰ प्रलयंकरी, १२३॰ विजय, १२४॰ मूठ, १२५॰ अष्टम आकाश का मस्तक, १२६॰ ऐश्वर्य-सिंधु, १२७॰ दानों के वास्ते, १२८॰ दुःख-नाशक, १२९॰ अत्याचार-नाशक एवं दीन-सहायक, १३०॰ प्रसिद्ध, १३१॰ आकाश-गंगा तीर है, १३२॰ इन्द्र-धनुष उनका लघु धनुष है, १३३ माथा-मस्तक, १३४॰ चाल, १३५॰ घोडा, १३६॰ आदि, १३७॰ पाप, १३८॰ छुटकारा। साभार ‘कल्याण-‘शक्ति-अंक” Related