शक्ति ध्यान और प्रार्थना

सक्तिन की सक्ति सुचि सरिता सिंगार ही की सोभा सील सदन सनेह-रस भोरी हूँ ।
संतन की सुखद, सुलभ दीन-हीनन की अलभ अलेख कृपा करत करोरी तूँ ॥

रसिक रसेस कृष्णचंद्र अखिलेस रानी भाग सुख संपत्ति सुहाग मति मोरी तूँ ।
दारुन दरिद्र दुख दीरघ विदारन को दिल दरियाव देवि राधिका किसोरी तूँ ॥

खड्ग-चक्र-गदा-वान-चाप परिघा त्रिसूल-मस्तक, भुसुंडि संख करन विसाली लूँ ।
सूर्य-चन्द्र-अग्निदिव्य दीपत द्रगन तीन सर्व अंग भूषन विभूषित उजाली तूँ ॥

नीलमनि, मंजुल प्रकास मुख मोद सदा कोकनद कंज पाद दस अरुनाली तूँ ।
ध्यावै हंसमाली हेतु नास मधु-कैटभ के निद्रित हरी की नींद जाली महाकाली हूँ ॥

अक्ष-स्रक्-परसु-गदा-वान-कुलिस-कमल कुंडिका- धनुष-दंड-सक्ति असि ताजी को ।
चर्म-संख-घंटा-सुराभाजन-त्रिसूल-पास चक्र ले सुदर्सन भुजान अति भ्राजी को ॥

सुंदर मधुर मृदु मंजुल मनोज चंद मंद होत छवि तैं प्रसन्न मुख राजी को ।
सेवौ सिंहमर्दिनी प्रचंड भुजदंड बीस दिव्य महालक्ष्मी देवि कमल-विराजी को ॥

सरद-ससांक सम उज्ज्वल अनूप रूप तीन द्रग गौरी तनु राजत रसाला है ।
करन बिराजै कंज-संख-धनु-बान सूल-घंटा चक्र-मुसल-हलायुध कराला है ॥

अमर-समूह सर्व वंदन करत जाहि हेमगिरि-सिखर विराजी गृह- आला है ।
प्रनम सरस्वति के पद अरविंद सदा सुंभ आदि दैत्यन्दल- दलिनि बिसाला है ॥

दाम दामिनीकी प्रभा मृगपति-कंध बैठी भव-भय-भंजिनि विभीषन भवानी कौं ।
कन्यकान करन कराल करबाल खेट सेवै चहुँ ओर चारु चमर ढुरानी कौं ॥

चक्रधरा अलि खेट विसिख बिराजै भुज चाप गुन तर्जनी तैं खैंच दरसानी कौं ।
भ्राजै अग्निज्वाल भाल धारै चंद्रबाल तीन द्रगन विसाल भज दुर्गा महारानी कौं ॥

स्वाहा-सक्ति संकरि भयंकरि भवानी स्वधा सत्रुप्रलयंकरि सिवे महा चंडिके ॥
क्रोध रत आनन प्रचंड भुज दंडवाली काली विकराली भवजाली भयखंडिके ॥

सिंहनाद निनद हटावै काल मृत्यु महा मुनिमन मंदिर प्रमोद मोद मंडिके ।
आजा देवि ! आज दिखला जा, दिव्य रूप, जूप खंड खंड करि दे प्रचंड चंड चंडिके ॥

 

Please follow and like us:
Pin Share

Discover more from Vadicjagat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.