॥ अथ शरभ मालामन्त्रम् ॥

माला विनियोग मंत्रः- अस्य मंत्रस्य कालाग्नि रुद्र ऋषिः अति जगती छन्दः श्री शरभेश्वरो देवता, खं बीजं , स्वाहा शक्तिः:, फट् कीलकं चतुर्विध पुरूषार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ।

॥ ध्यानम् ॥

चन्द्रार्काग्निस्त्रिदृष्टि कुलिशवरनखश्चञ्चलोऽत्युग्र जिह्वः ।
काली दुर्गा च पक्षौ हृदय जठरगो भैरवो वाडवाग्निः ॥
ऊरूस्थौ-व्याधिमृत्युशरभवरखगरचश्चण्ड – वातातिवेगः ।
संहर्ता-सर्वशत्रून स जयति शरभः शालुवः पक्षिराजः ॥

॥ स्तोत्रम् ॥

“ॐ नमः पक्षिराजाय निशित कुलिश-नखवराय अनेक कोटि – ब्रह्माण्ड कपाल-मालांकृताय सकल-कुल महानाग-भूषणाय सर्व-भूत-निवारणाय नृसिंह-गर्व-निर्वाप-कारणाय सकल-रिपूणामटवी मोहनाय ह्योनिजाय शरभ शालुवाय ह्रां ह्रीं ह्रूं प्रवेशय-प्रवेशय आवेशय-आवेशय भाषय-भाषय मोहय-मोहय ह्रां स्तम्भय-स्तम्भय कम्पय-कम्पय घातय-घातय बन्धय-बन्धय भूतग्रह बन्धय-बन्धय रोगग्रह बन्धय-बन्धय बालग्रहं बन्धय-बन्धय यक्षग्रहं बन्धय-बन्धय सूतिकाग्रहं बन्धय-बन्धय चातुर्थिकाग्रहं बन्धय-बन्धय भीमग्रहं बन्धय-बन्धय अपस्मारग्रहं बन्धय-बन्धय पिशाचग्रहं बन्धय-बन्धय आवेशग्रहं बन्धय-बन्धय अनावेशग्रहं बन्धय-बन्धय काम होम त्रोटय-त्रोटय प्रैं त्रैं ह्रैं माराय-माराय मुञ्च-मुञ्च हूं फट् ।”

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