August 16, 2015 | aspundir | 1 Comment श्रीकृष्ण कीलक एक बार माता पार्वती कृष्ण बनी तथा श्री शिवजी माँ राधा बने। उन्हीं पार्वती रूप कृष्ण की उपासना हेतु उक्त ‘कृष्ण-कीलक’ की रचना हुई। ॐ गोपिका-वृन्द-मध्यस्थं, रास-क्रीडा-स-मण्डलम्। क्लम प्रसति केशालिं, भजेऽम्बुज-रूचि हरिम्।। विद्रावय महा-शत्रून्, जल-स्थल-गतान् प्रभो ! ममाभीष्ट-वरं देहि, श्रीमत्-कमल-लोचन !।। भवाम्बुधेः पाहि पाहि, प्राण-नाथ, कृपा-कर ! हर त्वं सर्व-पापानि, वांछा-कल्प-तरोर्मम।। जले रक्ष स्थले रक्ष, रक्ष मां भव-सागरात्। कूष्माण्डान् भूत-गणान्, चूर्णय त्वं महा-भयम्।। शंख-स्वनेन शत्रूणां, हृदयानि विकम्पय। देहि देहि महा-भूति, सर्व-सम्पत्-करं परम्।। वंशी-मोहन-मायेश, गोपी-चित्त-प्रसादक ! ज्वरं दाहं मनो दाहं, बन्ध बन्धनजं भयम्।। निष्पीडय सद्यः सदा, गदा-धर गदाऽग्रजः ! इति श्रीगोपिका-कान्तं, कीलकं परि-कीर्तितम्। यः पठेत् निशि वा पंच, मनोऽभिलषितं भवेत्। सकृत् वा पंचवारं वा, यः पठेत् तु चतुष्पथे।। शत्रवः तस्य विच्छिनाः, स्थान-भ्रष्टा पलायिनः। दरिद्रा भिक्षुरूपेण, क्लिश्यन्ते नात्र संशयः।। ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपी-जन-वल्लभाय स्वाहा।। विशेष – यदि रात्रि में घर पर इसके 5 पाठ करें, तो मनोकामना पूरी होगी। दुष्ट लोग यदि दुःख देते हों, तो सूर्यास्त के बाद चौराहे पर एक या पाँच पाठ करे, तो शत्रु विच्छिन होकर दरिद्रता एवं व्याधि से पीड़ित होकर भाग जायेगें। Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe
इस स्तोत्र की सिद्ध करने की विधि , प्रयोग विधि, नियम और कितने दिनों में सिद्ध होता है ? कृपया जानकारी दीजिए Reply