July 19, 2015 | aspundir | Leave a comment श्रीगणेशोपासनाः- शीघ्र विवाह हेतु (१) ‘संकष्टी-चतुर्थी’ को उपासना प्रारम्भ करे। स्नान आदि से निवृत्त होकर श्रीगणेश जी के सामने बैठे। तथा-शक्ति ‘पूजन’ करे। ‘पूजा’ में रक्त अक्षत्, रक्त पुष्प, शमी-पत्र तथा दूर्वा चढ़ाए। फिर, हृदय में ‘श्रीगणेश’ का ‘ध्यान’ करे- “श्वेताभं शशि-शेखरं त्रिनयनं श्वेताम्बरालंकृतं। श्रीवाणी-सहितं रमेश-वरदं पीयूष-मूर्ति प्रभुम्।। पीयूषं निज-बाहुभिश्चदधतं पाशांकुशौ मुद्-गरं। नागास्यं सततं सुरैश्च मुनिभिः सम्पूजितं संस्मरे।।” ‘ध्यान’ कर ‘प्रणाम’ करे। इस प्रकार २१ ‘संकष्ट-चतुर्थी करे। २१ वीं ‘संकष्ट-चतुर्थी’ के दूसरे दिन अर्थात् पञ्चमी को ‘उपासना’ की पूर्ति करे और ‘चन्द्रोदय’ के समय श्रीगणेशजी को ३, चतुर्थी देवता को ३ तथा चन्द्र-भगवान् को ७ बार ‘अर्घ्य’ प्रदान करे। बाद में, उक्त ध्यान-मन्त्र नित्य पूजा में पढ़ पूजा करता रहे। चन्द्रमा को अर्घ्य देने का मन्त्रः- “ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषां पते। नमस्ते रोहिणीकान्त गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते।।” भगवान् गणेश को अर्घ्य देने का मन्त्रः- “गौरी-सुत नमस्तेऽस्तु सततं मोदकप्रिय। सर्वसंकटनाशाय गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते।।” चतुर्थी देवी को अर्घ्य देने का मन्त्रः- “तिथीनामुत्तमे देवी गणेशप्रियवल्लभे। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं सर्वसिद्धिप्रदायिके।।” (२) “ॐ संविघ्नं मां गणाध्यक्ष, निर्विघ्नं कुरु सर्वदा। दासोऽहं ते विमुक्तस्य, संरक्ष विरहात् प्रभो।।” उक्त मन्त्र का नित्य ६ माला (१०८ मनकों की) जप करे। ऐसा २१ दिन तक करे। किसी भी शुभ दिन को भगवान् गणेश का पूजन कर उक्त ‘उपासना’ प्रारम्भ करे। विवाह आदि कार्य हो जाएँगे। (३) “नमः श्री गणेशाय” उक्त मन्त्र का नित्य ६००० जप २१ दिन तक करे। अच्छे अनुभव होंगे तथा विवाह आदि कार्य शीघ्र पूरे होंगे। जप के पूर्व गन्ध-पुष्प आदि से भगवान् गणेश का पूजन करे। किसी भी दिन से यह उपासना प्रारम्भ की जा सकती है। Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe