May 12, 2019 | aspundir | Leave a comment ॥ श्रीहरिः ॥ ॥ श्रीमद्भागवतकी आरती ॥ आरति अतिपावन पुरान की । धर्म-भक्ति-विज्ञान-खान की ॥ आरति अतिपावन पुरान की ॥ महापुरान भागवत निरमल । शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल । परमानन्द-सुधा-रसमय कल । लीला-रति-रस रस-निधान की ॥ आरति अतिपावन पुरान की ॥ कलि-मल-मथनि त्रिताप-निवारिनि । जन्म-मृत्युमय भव-भय-हारिनि । सेवत सतत सकल सुखकारिनि । सुमहौषधि हरि-चरित-गान की ॥ आरति अतिपावन पुरान की ॥ विषय-विलास-विमोह-विनाशिनि । विमल विराग विवेक विकाशिनि । भगवत्तत्त्व-रहस्य प्रकाशिनि । परम ज्योति परमात्म-ज्ञान की ॥ आरति अतिपावन पुरान की ॥ परमहंस-मुनि-मन उल्लासिनि । रसिक-हृदय रस-रास-विलासिनि । भुक्ति, मुक्ति, रतिप्रेम सुदासिनि । कथा अकिञ्चनप्रिय सुजान की ॥ आरति अतिपावन पुरान की ॥ Related