श्रीराधा-माधवप्रेम की प्राप्ति के लिये

साधक भक्त स्नान करने के बाद श्रीराधामाधव-प्रेमप्राप्ति के लिये सर्वप्रथम भगवान् श्रीराधामाधव के युगलस्वरूपवाले किसी मनभावन चित्रपट को सामने रखकर उसका पंचोपचार पूजन करे, तत्पश्चात् शुद्ध वस्त्र धारणकर, शुद्ध आसन पर बैठकर श्रीमद्भागवत के निम्नलिखित चारों श्लोकों (१०। ३३ । २२-२५)-को, श्रीमद्भागवत के ही निम्नलिखित (१० । ३३ । ४०) श्लोक के द्वारा सम्पुटित करते हुए कम-से-कम २१ पाठ प्रतिदिन करे । पाठ के समय घृत का दीपक प्रज्वलित रखना चाहिये ।

गोप्यः स्फुरत्पुरटकुण्डलकुन्तलत्विड् गण्डश्रिया सुधितहासनिरीक्षणेन ।
मानं दधत्य ऋषभस्य जगुः कृतानि पुण्यानि तत्कररुहस्पर्शप्रमोदाः ॥ २२ ॥
ताभिर्युतः श्रममपोहितुमङ्‌गसङ्‌ग घृष्टस्रजः स कुचकुङ्‌कुमरञ्जितायाः ।
गन्धर्वपालिभिरनुद्रुत आविशद् वा श्रान्तो गजीभिरिभराडिव भिन्नसेतुः ॥ २३ ॥
सोऽम्भस्यलं युवतिभिः परिषिच्यमानः प्रेम्णेक्षितः प्रहसतीभिरितस्ततोऽङ्‌ग ।
वैमानिकैः कुसुमवर्षिभिरीड्यमानो रेमे स्वयं स्वरतिरत्र गजेन्द्रलीलः ॥ २४ ॥
ततश्च कृष्णोपवने जलस्थल प्रसूनगन्धानिलजुष्टदिक्तटे ।
चचार भृङ्‌गप्रमदागणावृतो यथा मदच्युद् द्विरदः करेणुभिः ॥ २५ ॥

विक्रीडितं व्रजवधूभिरिदं च विष्णोः श्रद्धान्वितोऽनुश्रृणुयादथ वर्णयेद्यः ।
भक्तिं परां भगवति प्रतिलभ्य कामं हृद्रोगमाश्वपहिनोत्यचिरेण धीरः ॥ ४० ॥

इस प्रकार ३३ दिन पाठ करनेपर मन्त्र सिद्ध हो जाता है । फिर जबतक भगवत्प्रेम का प्रादुर्भाव न हो जाय, तबतक पाठ करते रहना चाहिये । प्रेम प्राप्त करने की तीव्र वेदनापूर्ण उत्कण्ठा के साथ ही — भगवान् श्रीराधा-माधव शीघ्र ही अपना प्रेम अवश्य ही प्रदान करेंगे, ऐसा ‘दृढ़ विश्वास’ करके पाठ करना चाहिये ।
 

 

 

 

 

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