January 18, 2016 | aspundir | Leave a comment श्रीहनुमत जंजीरा (१) “ॐ गुरु जी । हनुमान पेलवान । बारे बरस का जुवान, हाथ में गदा – मुख में पान । ज्याँ समरूँ, त्याँ आगेवान । लुवे की पेटी – वज्र का ताला, पापी पाखण्डी का मुँह काला । जती सति का बोल – बाला, हमेरा पण्ड की रक्षा करो श्रीबजरङ्गवाला । सबद साचा, पण्ड काचा । बजरङ्गवाला रखवाला ।” (२) “ॐ गुरु जी । हनुमन्ता बलवन्ता, घाट कोट रहन्ता । मार- मार करन्ता, पाय पडन्ता । हनुमान जति, लख-पति । चार भोम की रखावाली करे । आगे अर्जुन, पाछे भीम । सोल वाघ, संपेसीम । अजर जरे । नजर जरे । पण्ड प्राण की रक्षा श्रीहनुमान करे । जिसके हाथ में हनुमान बसे । भैरव बसे लँलाट । पण्ड काचा, सबद साचा । बजरङ्ग- वाला रखवाला ।” (३) “ॐ गुरु जी । नगारा की ठौर पड़े, राम की फौज में हनुमान चढ़े । तेल-तेल महा-तेल । राजा-प्रजा, माणस तेल । तेल की लेरकी- लपेट । यहां से छोडूँ हनुमान के बाण । सुता कु जगा लावे । बैठै कू बाँध लावे । पण्ड काचा, सबद साचा । चलो मन्त्र, ईश्वरी वाचा ।” (४) “ॐ गुरु जी । हनुमन्ता वीर वङ्कडा । तुजे समरे होय वज्र- शरीरा । करु गुगल का धूप । देखूँ तेरा स्वरूप । आसने बेसी-समरु राजा-प्रजा वश कर देजे मोई । चालनारा की चाल बाँध । बोलनार के बोल बाँध । मडा बाँध । मसाण बाँध । एसे बाँध कर आव । सबद साचा । पण्ड काचा । चलो मन्त्र, ईश्वरी वाचा ।” विधि :- काल-रात्रि में उड़द के आटे से सवा पाव की बाटी का नैवेद्य, तेल और सिन्दूर हनुमान जी को चढ़ाए । चढ़ाए हुए तेल का दिया जलाकर १०८ बार उक्त किसी भी मन्त्र का जप करे । तब वह सिद्ध हो जाएगा । (५) “ॐ गुरु जी । हनुमन्ता बलवन्ता । जेने ताता तेल चडन्ता । वे नर आवे मार – मार करन्ता, ते नर पाय पड़न्ता । इन्हँ कहाँ, से आयो ? मेरु पर्वत से आयो । कोण लायो ? गौरी – पुत्र गणेश लायो । कोण के काज? वीर हनुमान के काज । हनुमान बङ्का मारे डङ्का । गुरु चोट डाकणी-साकणी । माथे हाँक वगाडे वीर हनुमन्ता । कागज- पत्ररोल-सोल-मोल । जती-सती की मदद मति । संज्ञा माथे फारगती । चल-चल कर जहाँ पड़े डेरी । पड़े जले थले नवकुल नाँग की आज्ञा फिरे । मेरा शबद फिरे, श्रीरामचन्द्र की आज्ञा फिरे । सबद साचा, पण्ड काचा । स्फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा ।” (६) “इल-इल-महा-इल । बोलते की जीभ कील । चलते का पाँव कील । मारते का हाथ कील । देखते की नजर कील । मुए की कबर कील । भूत बाँध । पलीत बाँध । बाँधनेवाला हनुमान कहां से आया ? कली कोट से आया । सब हमारा विघ्न हरता आया । जैसा रामचन्द्र का काज सुधार्या, तेसा काज हमारा सुधारो । मेरा सबद फिरे, श्री रामचन्द्र की आज्ञा फिरे । सबद साचा, पण्ड काचा । स्फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा ।” (७) “उत्तर खण्ड से जोगी आया । साथे हनुमान वीर लाया । अताल बाँधू । पाताल बाँधू । पर-मन बाँधू । चर-मन बाँधू । चोरा बाँधू । चौंटा बांधू । भूत बाँधू । पलीत बाँधू । डाकणी बाँधू । सांकणी बाँधू । दश मस्तकवाला रावण बाँधू । सबद साचा, पण्ड काचा । चला मन्त्र, ईश्वरी वाचा ।” विधि : शनिवार को हनुमान जी को तेल, सिन्दूर, उड़द के आटे की बाटी, गूगल की धूप अर्पित करे और हनुमान जी को चढ़ाए हुए तेल का दिया जला कर रात के १२ बजे से १०८ बार उक्त किसी मन्त्र को पढ़ने से वह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe