September 26, 2015 | Leave a comment श्री पीताम्बरा जय जयति सुखदा, सिद्धिदा, सर्वार्थ-साधक शंकरी । स्वाहा, स्वधा, सिद्धा, शुभा, दुर्गा नमो सर्वेश्वरी ।। जय सृष्टि-स्थिति-कारिणी-संहारिणी साध्या सुखी । शरणागतोऽहं त्राहि माम् माँ ! त्राहि माम् बगलामुखी ।। १ जय प्रकृति-पुरुषात्मक-जगत्-कारण-करणि आनन्दिनी । विद्या-अविद्या, सादि-कादि, अनादि ब्रह्म-स्वरुपिणी ।। ऐश्वर्य-आत्मा-भाव-अष्टक अंग परमात्मा-सखी । शरणागतोऽहं त्राहि माम् माँ ! त्राहि माम् बगलामुखी ।। २ जय पञ्च-प्राण-प्रदा मुदा, प्रज्ञान-ब्रह्म-प्रकाशिका । संज्ञान-धृति-आज्ञान-मति-विज्ञान-शक्ति-विधायिका ।। जय सप्त-व्याहृति-रुप, ब्रह्म-विभूति, सुन्दरि शशि-मुखी । शरणागतोऽहं त्राहि माम् माँ ! त्राहि माम् बगलामुखी ।। ३ आपत्ति-अम्बुधि अगम अम्ब ! अनाथ आश्रय-हीन मैं । पतवार श्वास-प्रश्वास क्षीण, सुषुप्त तन-मन दीन मैं ।। षड्-रिपु-तरंगित पञ्च-विष-नद पञ्च-भय-भीता दुखी । शरणागतोऽहं त्राहि माम् माँ ! त्राहि माम् बगलामुखी ।। ४ जय परम ज्योतिर्मय शुभम्, ज्योति परा अपरा परा । नैका, एका, अनजा अजा, मन-वाक्-बुद्धि-अगोचरा ।। पाशांकुशा, पीतासना, पीताम्बरा, पंकज-मुखी । शरणागतोऽहं त्राहि माम् माँ ! त्राहि माम् बगलामुखी ।। ५ भव-ताप-रति-गति मति-कुमति कर्तव्य-कानन अति घना । अज्ञान-दावानल प्रबल संकट निकल मन अनमना ।। दुर्भाग्य-घन-दरि पीत-पट-विद्युत झरो करुणा-अमी । शरणागतोऽहं त्राहि माम् माँ ! त्राहि माम् बगलामुखी ।। ६ हिय पाप-पीत-पयोधि में, प्रगटो जननि ! पीताम्बरा । तन-मन-सकल व्याकुल-विकल त्रय-ताप-वायु-भयंकरा ।। अन्तःकरण दस इन्द्रियाँ, मम देह देवि ! चतुर्दशी । शरणागतोऽहं त्राहि माम् माँ ! त्राहि माम् बगलामुखी ।। ७ दारिद्र्य-दग्ध-क्रिया, कुटिल-श्रद्धा, प्रज्वलित वासना । अभिमान-ग्रन्थित-भक्ति-हार, विकार-मय मम साधना ।। अज्ञान-ध्यान, विचार-चञ्चल, वृत्ति वैभव-उन्मुखी । शरणागतोऽहं त्राहि माम् माँ ! त्राहि माम् बगलामुखी ।। ८ आठ ऐश्वर्य – १॰ अणीमा, २॰ महिमा, ३॰ गरिमा, ४॰ लघिमा, ५॰ प्राप्ति, ६॰ प्राकाम्य, ७॰ ईशित्व तथा ८॰ वशीत्व । आत्मा के आठ गुण – १॰ दया, २॰ क्षमा, ३॰ अनसूया, ४॰ शौच, ५॰ अनायास, ६॰ मंगल, ७॰ अकृपणता तथा ८॰ अस्पृहा । आठ भाव – १॰ धर्म, २॰ ज्ञान, ३॰ वैराग्य, ४॰ ऐश्वर्य, ५॰ अधर्म, ६॰ अज्ञान, ७॰ अवैराग्य (राग) तथा अनैश्वर्य । पञ्च-प्राण – १॰ प्राण, २॰ अपान, ३॰ समान, ४॰ व्यान तथा ५॰ उदान । पञ्च-विष – १॰ अविद्या, २॰ अस्मिता (अहंकार), ३॰ राग, ४॰ द्वेष तथा ५॰ अभिनिवेश । पञ्च-भय – १॰ गर्भ, २॰ जन्म, ३॰ रोग, ४॰ बुढ़ापा तथा मृत्यु का भय । Related