|| श्री महालक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्रम् ||
श्रीः पद्मा प्रकृतिः सत्त्वा शान्ता चिच्छक्तिरव्यया |
केवला निष्कला शुद्धा व्यापिनी व्योमविग्रहा || १||
व्योमपद्मकृताधारा परा व्योमामृतोद्भवा |
निर्व्योमा व्योममध्यस्था पञ्चव्योमपदाश्रिता || २||Lakshmi
अच्युता व्योमनिलया परमानन्दरूपिणी |
नित्यशुद्धा नित्यतृप्ता निर्विकारा निरीक्षणा || ३||
ज्ञानशक्तिः कर्तृशक्तिर्भोक्तृशक्तिः शिखावहा |
स्नेहाभासा निरानन्दा विभूतिर्विमलाचला || ४||
अनन्ता वैष्णवी व्यक्ता विश्वानन्दा विकासिनी |
शक्तिर्विभिन्नसर्वार्तिः समुद्रपरितोषिणी || ५||
मूर्तिः सनातनी हार्दी निस्तरङ्गा निरामया |
ज्ञानज्ञेया ज्ञानगम्या ज्ञानज्ञेयविकासिनी || ६||
स्वच्छन्दशक्तिर्गहना निष्कम्पार्चिः सुनिर्मला |
स्वरूपा सर्वगा पारा बृंहिणी सुगुणोर्जिता || ७||
अकलङ्का निराधारा निःसंकल्पा निराश्रया |
असंकीर्णा सुशान्ता च शाश्वती भासुरी स्थिरा || ८||
अनौपम्या निर्विकल्पा नियन्त्री यन्त्रवाहिनी |
अभेद्या भेदिनी भिन्ना भारती वैखरी खगा || ९||
अग्राह्या ग्राहिका गूढा गम्भीरा विश्वगोपिनी |
अनिर्देश्या प्रतिहता निर्बीजा पावनी परा || १०||
अप्रतर्क्या परिमिता भवभ्रान्तिविनाशिनी |
एका द्विरूपा त्रिविधा असंख्याता सुरेश्वरी || ११||
सुप्रतिष्ठा महाधात्री स्थितिर्वृद्धिर्ध्रुवा गतिः |
ईश्वरी महिमा ऋद्धिः प्रमोदा उज्ज्वलोद्यमा || १२||
अक्षया वर्द्धमाना च सुप्रकाशा विहङ्गमा |
नीरजा जननी नित्या जया रोचिष्मती शुभा || १३||
तपोनुदा च ज्वाला च सुदीप्तिश्चांशुमालिनी |
अप्रमेया त्रिधा सूक्ष्मा परा निर्वाणदायिनी || १४||
अवदाता सुशुद्धा च अमोघाख्या परम्परा |
संधानकी शुद्धविद्या सर्वभूतमहेश्वरी || १५||
लक्ष्मीस्तुष्टिर्महाधीरा शान्तिरापूरणानवा |
अनुग्रहा शक्तिराद्या जगज्ज्येष्ठा जगद्विधिः || १६||
सत्या प्रह्वा क्रिया योग्या अपर्णा ह्लादिनी शिवा |
सम्पूर्णाह्लादिनी शुद्धा ज्योतिष्मत्यमृतावहा || १७||
रजोवत्यर्कप्रतिभाऽऽकर्षिणी कर्षिणी रसा |
परा वसुमती देवी कान्तिः शान्तिर्मतिः कला || १८||
कला कलङ्करहिता विशालोद्दीपनी रतिः |
सम्बोधिनी हारिणी च प्रभावा भवभूतिदा || १९||
अमृतस्यन्दिनी जीवा जननी खण्डिका स्थिरा |
धूमा कलावती पूर्णा भासुरा सुमतीरसा || २०||
शुद्धा ध्वनिः सृतिः सृष्टिर्विकृतिः कृष्टिरेव च |
प्रापणी प्राणदा प्रह्वा विश्वा पाण्डुरवासिनी || २१||
अवनिर्वज्रनलिका चित्रा ब्रह्माण्डवासिनी |
अनन्तरूपानन्तात्मानन्तस्थानन्तसम्भवा || २२||
महाशक्तिः प्राणशक्तिः प्राणदात्री ऋतम्भरा |
महासमूहा निखिला इच्छाधारा सुखावहा || २३||
प्रत्यक्षलक्ष्मीर्निष्कम्पा प्ररोहाबुद्धिगोचरा |
नानादेहा महावर्ता बहुदेहविकासिनी || २४||
सहस्राणी प्रधाना च न्यायवस्तुप्रकाशिका |
सर्वाभिलाषपूर्णेच्छा सर्वा सर्वार्थभाषिणी || २५||
नानास्वरूपचिद्धात्री शब्दपूर्वा पुरातनी |
व्यक्ताव्यक्ता जीवकेशा सर्वेच्छापरिपूरिता || २६||
संकल्पसिद्धा सांख्येया तत्त्वगर्भा धरावहा |
भूतरूपा चित्स्वरूपा त्रिगुणा गुणगर्विता || २७||
प्रजापतीश्वरी रौद्री सर्वाधारा सुखावहा |
कल्याणवाहिका कल्या कलिकल्मषनाशिनी || २८||
नीरूपोद्भिन्नसंताना सुयन्त्रा त्रिगुणालया |
महामाया योगमाया महायोगेश्वरी प्रिया || २९||
महास्त्री विमला कीर्तिर्जया लक्ष्मीर्निरञ्जना |
प्रकृतिर्भगवन्माया शक्तिर्निद्रा यशस्करी || ३०||
चिन्ता बुद्धिर्यशः प्रज्ञा शान्तिः सुप्रीतिवर्द्धिनी |
प्रद्युम्नमाता साध्वी च सुखसौभाग्यसिद्धिदा || ३१||
काष्ठा निष्ठा प्रतिष्ठा च ज्येष्ठा श्रेष्ठा जयावहा |
सर्वातिशायिनी प्रीतिर्विश्वशक्तिर्महाबला || ३२||
वरिष्ठा विजया वीरा जयन्ती विजयप्रदा |
हृद्गृहा गोपिनी गुह्या गणगन्धर्वसेविता || ३३||
योगीश्वरी योगमाया योगिनी योगसिद्धिदा |
महायोगेश्वरवृता योगा योगेश्वरप्रिया || ३४||
ब्रह्मेन्द्ररुद्रनमिता सुरासुरवरप्रदा |
त्रिवर्त्मगा त्रिलोकस्था त्रिविक्रमपदोद्भवा || ३५||
सुतारा तारिणी तारा दुर्गा संतारिणी परा |
सुतारिणी तारयन्ती भूरितारेश्वरप्रभा || ३६||
गुह्यविद्या यज्ञविद्या महाविद्या सुशोभिता |
अध्यात्मविद्या विघ्नेशी पद्मस्था परमेष्ठिनी || ३७||
आन्वीक्षिकी त्रयी वार्ता दण्डनीतिर्नयात्मिका |
गौरी वागीश्वरी गोप्त्री गायत्री कमलोद्भवा || ३८||
विश्वम्भरा विश्वरूपा विश्वमाता वसुप्रदा |
सिद्धिः स्वाहा स्वधा स्वस्तिः सुधा सर्वार्थसाधिनी || ३९||
इच्छा सृष्टिर्द्युतिर्भूतिः कीर्तिः श्रद्धा दयामतिः |
श्रुतिर्मेधा धृतिर्ह्रीः श्रीर्विद्या विबुधवन्दिता || ४०||
अनसूया घृणा नीतिर्निर्वृतिः कामधुक्करा |
प्रतिज्ञा संततिर्भूतिर्द्यौः प्रज्ञा विश्वमानिनी || ४१||
स्मृतिर्वाग्विश्वजननी पश्यन्ती मध्यमा समा |
संध्या मेधा प्रभा भीमा सर्वाकारा सरस्वती || ४२||
काङ्क्षा माया महामाया मोहिनी माधवप्रिया |
सौम्याभोगा महाभोगा भोगिनी भोगदायिनी || ४३||
सुधौतकनकप्रख्या सुवर्णकमलासना |
हिरण्यगर्भा सुश्रोणी हारिणी रमणी रमा || ४४||
चन्द्रा हिरण्मयी ज्योत्स्ना रम्या शोभा शुभावहा |
त्रैलोक्यमण्डना नारी नरेश्वरवरार्चिता || ४५||
त्रैलोक्यसुन्दरी रामा महाविभववाहिनी |
पद्मस्था पद्मनिलया पद्ममालाविभूषिता || ४६||
पद्मयुग्मधरा कान्ता दिव्याभरणभूषिता |
विचित्ररत्नमुकुटा विचित्राम्बरभूषणा || ४७||
विचित्रमाल्यगन्धाढ्या विचित्रायुधवाहना |
महानारायणी देवी वैष्णवी वीरवन्दिता || ४८||
कालसंकर्षिणी घोरा तत्त्वसंकर्षिणीकला |
जगत्सम्पूरणी विश्वा महाविभवभूषणा || ४९||
वारुणी वरदा व्याख्या घण्टाकर्णविराजिता |
नृसिंही भैरवी ब्राह्मी भास्करी व्योमचारिणी || ५०||
ऐन्द्री कामधेनुः सृष्टिः कामयोनिर्महाप्रभा |
दृष्टा काम्या विश्वशक्तिर्बीजगत्यात्मदर्शना || ५१||
गरुडारूढहृदया चान्द्री श्रीर्मधुरानना |
महोग्ररूपा वाराही नारसिंही हतासुरा || ५२||
युगान्तहुतभुग्ज्वाला कराला पिङ्गलाकला |
त्रैलोक्यभूषणा भीमा श्यामा त्रैलोक्यमोहिनी || ५३||
महोत्कटा महारक्ता महाचण्डा महासना |
शङ्खिनी लेखिनी स्वस्था लिखिता खेचरेश्वरी || ५४||
भद्रकाली चैकवीरा कौमारी भवमालिनी |
कल्याणी कामधुग्ज्वालामुखी चोत्पलमालिका || ५५||
बालिका धनदा सूर्या हृदयोत्पलमालिका |
अजिता वर्षिणी रीतिर्भरुण्डा गरुडासना || ५६||
वैश्वानरी महामाया महाकाली विभीषणा |
महामन्दारविभवा शिवानन्दा रतिप्रिया || ५७||
उद्रीतिः पद्ममाला च धर्मवेगा विभावनी |
सत्क्रिया देवसेना च हिरण्यरजताश्रया || ५८||
सहसावर्तमाना च हस्तिनादप्रबोधिनी |
हिरण्यपद्मवर्णा च हरिभद्रा सुदुर्द्धरा || ५९||
सूर्या हिरण्यप्रकटसदृशी हेममालिनी |
पद्मानना नित्यपुष्टा देवमाता मृतोद्भवा || ६०||
महाधना च या शृङ्गी कर्द्दमी कम्बुकन्धरा |
आदित्यवर्णा चन्द्राभा गन्धद्वारा दुरासदा || ६१||
वराचिता वरारोहा वरेण्या विष्णुवल्लभा |
कल्याणी वरदा वामा वामेशी विन्ध्यवासिनी || ६२||
योगनिद्रा योगरता देवकी कामरूपिणी |
कंसविद्राविणी दुर्गा कौमारी कौशिकी क्षमा || ६३||
कात्यायनी कालरात्रिर्निशितृप्ता सुदुर्जया |
विरूपाक्षी विशालाक्षी भक्तानांपरिरक्षिणी || ६४||
बहुरूपा स्वरूपा च विरूपा रूपवर्जिता |
घण्टानिनादबहुला जीमूतध्वनिनिःस्वना || ६५||
महादेवेन्द्रमथिनी भ्रुकुटीकुटिलानना |
सत्योपयाचिता चैका कौबेरी ब्रह्मचारिणी || ६६||
आर्या यशोदा सुतदा धर्मकामार्थमोक्षदा |
दारिद्र्यदुःखशमनी घोरदुर्गार्तिनाशिनी || ६७||
भक्तार्तिशमनी भव्या भवभर्गापहारिणी |
क्षीराब्धितनया पद्मा कमला धरणीधरा || ६८||
रुक्मिणी रोहिणी सीता सत्यभामा यशस्विनी |
प्रज्ञाधारामितप्रज्ञा वेदमाता यशोवती || ६९||
समाधिर्भावना मैत्री करुणा भक्तवत्सला |
अन्तर्वेदी दक्षिणा च ब्रह्मचर्यपरागतिः || ७०||
दीक्षा वीक्षा परीक्षा च समीक्षा वीरवत्सला |
अम्बिका सुरभिः सिद्धा सिद्धविद्याधरार्चिता || ७१||
सुदीक्षा लेलिहाना च कराला विश्वपूरका |
विश्वसंधारिणी दीप्तिस्तापनी ताण्डवप्रिया || ७२||
उद्भवा विरजा राज्ञी तापनी बिन्दुमालिनी |
क्षीरधारासुप्रभावा लोकमाता सुवर्चसा || ७३||
हव्यगर्भा चाज्यगर्भा जुह्वतोयज्ञसम्भवा |
आप्यायनी पावनी च दहनी दहनाश्रया || ७४||
मातृका माधवी मुख्या मोक्षलक्ष्मीर्महर्द्धिदा |
सर्वकामप्रदा भद्रा सुभद्रा सर्वमङ्गला || ७५||
श्वेता सुशुक्लवसना शुक्लमाल्यानुलेपना |
हंसा हीनकरी हंसी हृद्या हृत्कमलालया || ७६||
सितातपत्रा सुश्रोणी पद्मपत्रायतेक्षणा |
सावित्री सत्यसंकल्पा कामदा कामकामिनी || ७७||
दर्शनीया दृशा दृश्या स्पृश्या सेव्या वराङ्गना |
भोगप्रिया भोगवती भोगीन्द्रशयनासना || ७८||
आर्द्रा पुष्करिणी पुण्या पावनी पापसूदनी |
श्रीमती च शुभाकारा परमैश्वर्यभूतिदा || ७९||
अचिन्त्यानन्तविभवा भवभावविभावनी |
निश्रेणिः सर्वदेहस्था सर्वभूतनमस्कृता || ८०||
बला बलाधिका देवी गौतमी गोकुलालया |
तोषिणी पूर्णचन्द्राभा एकानन्दा शतानना || ८१||
उद्याननगरद्वारहर्म्योपवनवासिनी |
कूष्माण्डा दारुणा चण्डा किराती नन्दनालया || ८२||
कालायना कालगम्या भयदा भयनाशिनी |
सौदामनी मेघरवा दैत्यदानवमर्दिनी || ८३||
जगन्माता भयकरी भूतधात्री सुदुर्लभा |
काश्यपी शुभदाता च वनमाला शुभावरा || ८४||
धन्या धन्येश्वरी धन्या रत्नदा वसुवर्द्धिनी |
गान्धर्वी रेवती गङ्गा शकुनी विमलानना || ८५||
इडा शान्तिकरी चैव तामसी कमलालया |
आज्यपा वज्रकौमारी सोमपा कुसुमाश्रया || ८६||
जगत्प्रिया च सरथा दुर्जया खगवाहना |
मनोभवा कामचारा सिद्धचारणसेविता || ८७||
व्योमलक्ष्मीर्महालक्ष्मीस्तेजोलक्ष्मीः सुजाज्वला |
रसलक्ष्मीर्जगद्योनिर्गन्धलक्ष्मीर्वनाश्रया || ८८||
श्रवणा श्रावणी नेत्री रसनाप्राणचारिणी |
विरिञ्चिमाता विभवा वरवारिजवाहना || ८९||
वीर्या वीरेश्वरी वन्द्या विशोका वसुवर्द्धिनी |
अनाहता कुण्डलिनी नलिनी वनवासिनी || ९०||
गान्धारिणीन्द्रनमिता सुरेन्द्रनमिता सती |
सर्वमङ्गल्यमाङ्गल्या सर्वकामसमृद्धिदा || ९१||
सर्वानन्दा महानन्दा सत्कीर्तिः सिद्धसेविता |
सिनीवाली कुहू राका अमा चानुमतिर्द्युतिः || ९२||
अरुन्धती वसुमती भार्गवी वास्तुदेवता |
मायूरी वज्रवेताली वज्रहस्ता वरानना || ९३||
अनघा धरणिर्धीरा धमनी मणिभूषणा |
राजश्री रूपसहिता ब्रह्मश्रीर्ब्रह्मवन्दिता || ९४||
जयश्रीर्जयदा ज्ञेया सर्गश्रीः स्वर्गतिः सताम् |
सुपुष्पा पुष्पनिलया फलश्रीर्निष्कलप्रिया || ९५||
धनुर्लक्ष्मीस्त्वमिलिता परक्रोधनिवारिणी |
कद्रूर्द्धनायुः कपिला सुरसा सुरमोहिनी || ९६||
महाश्वेता महानीला महामूर्तिर्विषापहा |
सुप्रभा ज्वालिनी दीप्तिस्तृप्तिर्व्याप्तिः प्रभाकरी || ९७||
तेजोवती पद्मबोधा मदलेखारुणावती |
रत्ना रत्नावली भूता शतधामा शतापहा || ९८||
त्रिगुणा घोषिणी रक्ष्या नर्द्दिनी घोषवर्जिता |
साध्या दितिर्दितिदेवी मृगवाहा मृगाङ्कगा || ९९||
चित्रनीलोत्पलगता वृषरत्नकराश्रया |
हिरण्यरजतद्वन्द्वा शङ्खभद्रासनास्थिता || १००||
गोमूत्रगोमयक्षीरदधिसर्पिर्जलाश्रया |
मरीचिश्चीरवसना पूर्णा चन्द्रार्कविष्टरा || १०१||
सुसूक्ष्मा निर्वृतिः स्थूला निवृत्तारातिरेव च |
मरीचिज्वालिनी धूम्रा हव्यवाहा हिरण्यदा || १०२||
दायिनी कालिनी सिद्धिः शोषिणी सम्प्रबोधिनी |
भास्वरा संहतिस्तीक्ष्णा प्रचण्डज्वलनोज्ज्वला || १०३||
साङ्गा प्रचण्डा दीप्ता च वैद्युतिः सुमहाद्युतिः |
कपिला नीलरक्ता च सुषुम्णा विस्फुलिङ्गिनी || १०४||
अर्चिष्मती रिपुहरा दीर्घा धूमावली जरा |
सम्पूर्णमण्डला पूषा स्रंसिनी सुमनोहरा || १०५||
जया पुष्टिकरीच्छाया मानसा हृदयोज्ज्वला |
सुवर्णकरणी श्रेष्ठा मृतसंजीविनीरणे || १०६||
विशल्यकरणी शुभ्रा संधिनी परमौषधिः |
ब्रह्मिष्ठा ब्रह्मसहिता ऐन्दवी रत्नसम्भवा || १०७||
विद्युत्प्रभा बिन्दुमती त्रिस्वभावगुणाम्बिका |
नित्योदिता नित्यहृष्टा नित्यकामकरीषिणी || १०८||
पद्माङ्का वज्रचिह्ना च वक्रदण्डविभासिनी |
विदेहपूजिता कन्या माया विजयवाहिनी || १०९||
मानिनी मङ्गला मान्या मालिनी मानदायिनी |
विश्वेश्वरी गणवती मण्डला मण्डलेश्वरी || ११०||
हरिप्रिया भौमसुता मनोज्ञा मतिदायिनी |
प्रत्यङ्गिरा सोमगुप्ता मनोऽभिज्ञा वदन्मतिः || १११||
यशोधरा रत्नमाला कृष्णा त्रैलोक्यबन्धनी |
अमृता धारिणी हर्षा विनता वल्लकी शची || ११२||
संकल्पा भामिनी मिश्रा कादम्बर्यमृतप्रभा |
अगता निर्गता वज्रा सुहिता संहिताक्षता || ११३||
सर्वार्थसाधनकरी धातुर्धारणिकामला |
करुणाधारसम्भूता कमलाक्षी शशिप्रिया || ११४||
सौम्यरूपा महादीप्ता महाज्वाला विकाशिनी |
माला काञ्चनमाला च सद्वज्रा कनकप्रभा || ११५||
प्रक्रिया परमा योक्त्री क्षोभिका च सुखोदया |
विजृम्भणा च वज्राख्या शृङ्खला कमलेक्षणा || ११६||
जयंकरी मधुमती हरिता शशिनी शिवा |
मूलप्रकृतिरीशानी योगमाता मनोजवा || ११७||
धर्मोदया भानुमती सर्वाभासा सुखावहा |
धुरन्धरा च बाला च धर्मसेव्या तथागता || ११८||
सुकुमारा सौम्यमुखी सौम्यसम्बोधनोत्तमा |
सुमुखी सर्वतोभद्रा गुह्यशक्तिर्गुहालया || ११९||
हलायुधा चैकवीरा सर्वशस्त्रसुधारिणी |
व्योमशक्तिर्महादेहा व्योमगा मधुमन्मयी || १२०||
गङ्गा वितस्ता यमुना चन्द्रभागा सरस्वती |
तिलोत्तमोर्वशी रम्भा स्वामिनी सुरसुन्दरी || १२१||
बाणप्रहरणावाला बिम्बोष्ठी चारुहासिनी |
ककुद्मिनी चारुपृष्ठा दृष्टादृष्टफलप्रदा || १२२||
काम्याचरी च काम्या च कामाचारविहारिणी |
हिमशैलेन्द्रसंकाशा गजेन्द्रवरवाहना || १२३||
अशेषसुखसौभाग्यसम्पदा योनिरुत्तमा |
सर्वोत्कृष्टा सर्वमयी सर्वा सर्वेश्वरप्रिया || १२४||
सर्वाङ्गयोनिः साव्यक्ता संप्रधानेश्वरेश्वरी |
विष्णुवक्षःस्थलगता किमतः परमुच्यते || १२५||
परा निर्महिमा देवी हरिवक्षःस्थलाश्रया |
सा देवी पापहन्त्री च सान्निध्यं कुरुतान्मम || १२६||
इति नाम्नां सहस्रं तु लक्ष्म्याः प्रोक्तं शुभावहम् |
परावरेण भेदेन मुख्यगौणेन भागतः || १२७||
यश्चैतत् कीर्तयेन्नित्यं शृणुयाद् वापि पद्मज |
शुचिः समाहितो भूत्वा भक्तिश्रद्धासमन्वितः || १२८||
श्रीनिवासं समभ्यर्च्य पुष्पधूपानुलेपनैः |
भोगैश्च मधुपर्काद्यैर्यथाशक्ति जगद्गुरुम् || १२९||
तत्पार्श्वस्थां श्रियं देवीं सम्पूज्य श्रीधरप्रियाम् |
ततो नामसहस्रोण तोषयेत् परमेश्वरीम् || १३०||
नामरत्नावलीस्तोत्रमिदं यः सततं पठेत् |
प्रसादाभिमुखीलक्ष्मीः सर्वं तस्मै प्रयच्छति || १३१||
यस्या लक्ष्म्याश्च सम्भूताः शक्तयो विश्वगाः सदा |
कारणत्वे न तिष्ठन्ति जगत्यस्मिंश्चराचरे || १३२||
तस्मात् प्रीता जगन्माता श्रीर्यस्याच्युतवल्लभा |
सुप्रीताः शक्तयस्तस्य सिद्धिमिष्टां दिशन्ति हि || १३३||
एक एव जगत्स्वामी शक्तिमानच्युतः प्रभुः |
तदंशशक्तिमन्तोऽन्ये ब्रह्मेशानादयो यथा || १३४||
तथैवैका परा शक्तिः श्रीस्तस्य करुणाश्रया |
ज्ञानादिषाङ्गुण्यमयी या प्रोक्ता प्रकृतिः परा || १३५||
एकैव शक्तिः श्रीस्तस्या द्वितीयात्मनि वर्तते |
परा परेशी सर्वेशी सर्वाकारा सनातनी || १३६||
अनन्तनामधेया च शक्तिचक्रस्य नायिका |
जगच्चराचरमिदं सर्वं व्याप्य व्यवस्थिता || १३७||
तस्मादेकैव परमा श्रीर्ज्ञेया विश्वरूपिणी |
सौम्या सौम्येन रूपेण संस्थिता नटजीववत् || १३८||
यो यो जगति पुम्भावः स विष्णुरिति निश्चयः |
या या तु नारीभावस्था तत्र लक्ष्मीर्व्यवस्थिता || १३९||
प्रकृतेः पुरुषाच्चान्यस्तृतीयो नैव विद्यते |
अथ किं बहुनोक्तेन नरनारीमयो हरिः || १४०||
अनेकभेदभिन्नस्तु क्रियते परमेश्वरः |
महाविभूतिं दयितां ये स्तुवन्त्यच्युतप्रियाम् || १४१||
ते प्राप्नुवन्ति परमां लक्ष्मीं संशुद्धचेतसः |
पद्मयोनिरिदं प्राप्य पठन् स्तोत्रमिदं क्रमात् || १४२||
दिव्यमष्टगुणैश्वर्यं तत्प्रसादाच्च लब्धवान् |
सकामानां च फलदामकामानां च मोक्षदाम् || १४३||
पुस्तकाख्यां भयत्रात्रीं सितवस्त्रां त्रिलोचनाम् |
महापद्मनिषण्णां तां लक्ष्मीमजरतां नमः || १४४||
करयुगलगृहीतं पूर्णकुम्भं दधाना
क्वचिदमलगतस्था शङ्खपद्माक्षपाणिः |
क्वचिदपि दयिताङ्गे चामरव्यग्रहस्ता
क्वचिदपि सृणिपाशं बिभ्रती हेमकान्तिः || १४५||
|| इत्यादिब्रह्मपुराणे काश्मीरवर्णने हिरण्यगर्भहृदये सर्वकामप्रदायकं पुरुषोत्तमप्रोक्तं श्रीलक्ष्मीसहस्रनामस्तोत्रं समाप्तम् ||

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