November 8, 2015 | aspundir | Leave a comment || श्री महालक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्रम् || श्रीः पद्मा प्रकृतिः सत्त्वा शान्ता चिच्छक्तिरव्यया | केवला निष्कला शुद्धा व्यापिनी व्योमविग्रहा || १|| व्योमपद्मकृताधारा परा व्योमामृतोद्भवा | निर्व्योमा व्योममध्यस्था पञ्चव्योमपदाश्रिता || २|| अच्युता व्योमनिलया परमानन्दरूपिणी | नित्यशुद्धा नित्यतृप्ता निर्विकारा निरीक्षणा || ३|| ज्ञानशक्तिः कर्तृशक्तिर्भोक्तृशक्तिः शिखावहा | स्नेहाभासा निरानन्दा विभूतिर्विमलाचला || ४|| अनन्ता वैष्णवी व्यक्ता विश्वानन्दा विकासिनी | शक्तिर्विभिन्नसर्वार्तिः समुद्रपरितोषिणी || ५|| मूर्तिः सनातनी हार्दी निस्तरङ्गा निरामया | ज्ञानज्ञेया ज्ञानगम्या ज्ञानज्ञेयविकासिनी || ६|| स्वच्छन्दशक्तिर्गहना निष्कम्पार्चिः सुनिर्मला | स्वरूपा सर्वगा पारा बृंहिणी सुगुणोर्जिता || ७|| अकलङ्का निराधारा निःसंकल्पा निराश्रया | असंकीर्णा सुशान्ता च शाश्वती भासुरी स्थिरा || ८|| अनौपम्या निर्विकल्पा नियन्त्री यन्त्रवाहिनी | अभेद्या भेदिनी भिन्ना भारती वैखरी खगा || ९|| अग्राह्या ग्राहिका गूढा गम्भीरा विश्वगोपिनी | अनिर्देश्या प्रतिहता निर्बीजा पावनी परा || १०|| अप्रतर्क्या परिमिता भवभ्रान्तिविनाशिनी | एका द्विरूपा त्रिविधा असंख्याता सुरेश्वरी || ११|| सुप्रतिष्ठा महाधात्री स्थितिर्वृद्धिर्ध्रुवा गतिः | ईश्वरी महिमा ऋद्धिः प्रमोदा उज्ज्वलोद्यमा || १२|| अक्षया वर्द्धमाना च सुप्रकाशा विहङ्गमा | नीरजा जननी नित्या जया रोचिष्मती शुभा || १३|| तपोनुदा च ज्वाला च सुदीप्तिश्चांशुमालिनी | अप्रमेया त्रिधा सूक्ष्मा परा निर्वाणदायिनी || १४|| अवदाता सुशुद्धा च अमोघाख्या परम्परा | संधानकी शुद्धविद्या सर्वभूतमहेश्वरी || १५|| लक्ष्मीस्तुष्टिर्महाधीरा शान्तिरापूरणानवा | अनुग्रहा शक्तिराद्या जगज्ज्येष्ठा जगद्विधिः || १६|| सत्या प्रह्वा क्रिया योग्या अपर्णा ह्लादिनी शिवा | सम्पूर्णाह्लादिनी शुद्धा ज्योतिष्मत्यमृतावहा || १७|| रजोवत्यर्कप्रतिभाऽऽकर्षिणी कर्षिणी रसा | परा वसुमती देवी कान्तिः शान्तिर्मतिः कला || १८|| कला कलङ्करहिता विशालोद्दीपनी रतिः | सम्बोधिनी हारिणी च प्रभावा भवभूतिदा || १९|| अमृतस्यन्दिनी जीवा जननी खण्डिका स्थिरा | धूमा कलावती पूर्णा भासुरा सुमतीरसा || २०|| शुद्धा ध्वनिः सृतिः सृष्टिर्विकृतिः कृष्टिरेव च | प्रापणी प्राणदा प्रह्वा विश्वा पाण्डुरवासिनी || २१|| अवनिर्वज्रनलिका चित्रा ब्रह्माण्डवासिनी | अनन्तरूपानन्तात्मानन्तस्थानन्तसम्भवा || २२|| महाशक्तिः प्राणशक्तिः प्राणदात्री ऋतम्भरा | महासमूहा निखिला इच्छाधारा सुखावहा || २३|| प्रत्यक्षलक्ष्मीर्निष्कम्पा प्ररोहाबुद्धिगोचरा | नानादेहा महावर्ता बहुदेहविकासिनी || २४|| सहस्राणी प्रधाना च न्यायवस्तुप्रकाशिका | सर्वाभिलाषपूर्णेच्छा सर्वा सर्वार्थभाषिणी || २५|| नानास्वरूपचिद्धात्री शब्दपूर्वा पुरातनी | व्यक्ताव्यक्ता जीवकेशा सर्वेच्छापरिपूरिता || २६|| संकल्पसिद्धा सांख्येया तत्त्वगर्भा धरावहा | भूतरूपा चित्स्वरूपा त्रिगुणा गुणगर्विता || २७|| प्रजापतीश्वरी रौद्री सर्वाधारा सुखावहा | कल्याणवाहिका कल्या कलिकल्मषनाशिनी || २८|| नीरूपोद्भिन्नसंताना सुयन्त्रा त्रिगुणालया | महामाया योगमाया महायोगेश्वरी प्रिया || २९|| महास्त्री विमला कीर्तिर्जया लक्ष्मीर्निरञ्जना | प्रकृतिर्भगवन्माया शक्तिर्निद्रा यशस्करी || ३०|| चिन्ता बुद्धिर्यशः प्रज्ञा शान्तिः सुप्रीतिवर्द्धिनी | प्रद्युम्नमाता साध्वी च सुखसौभाग्यसिद्धिदा || ३१|| काष्ठा निष्ठा प्रतिष्ठा च ज्येष्ठा श्रेष्ठा जयावहा | सर्वातिशायिनी प्रीतिर्विश्वशक्तिर्महाबला || ३२|| वरिष्ठा विजया वीरा जयन्ती विजयप्रदा | हृद्गृहा गोपिनी गुह्या गणगन्धर्वसेविता || ३३|| योगीश्वरी योगमाया योगिनी योगसिद्धिदा | महायोगेश्वरवृता योगा योगेश्वरप्रिया || ३४|| ब्रह्मेन्द्ररुद्रनमिता सुरासुरवरप्रदा | त्रिवर्त्मगा त्रिलोकस्था त्रिविक्रमपदोद्भवा || ३५|| सुतारा तारिणी तारा दुर्गा संतारिणी परा | सुतारिणी तारयन्ती भूरितारेश्वरप्रभा || ३६|| गुह्यविद्या यज्ञविद्या महाविद्या सुशोभिता | अध्यात्मविद्या विघ्नेशी पद्मस्था परमेष्ठिनी || ३७|| आन्वीक्षिकी त्रयी वार्ता दण्डनीतिर्नयात्मिका | गौरी वागीश्वरी गोप्त्री गायत्री कमलोद्भवा || ३८|| विश्वम्भरा विश्वरूपा विश्वमाता वसुप्रदा | सिद्धिः स्वाहा स्वधा स्वस्तिः सुधा सर्वार्थसाधिनी || ३९|| इच्छा सृष्टिर्द्युतिर्भूतिः कीर्तिः श्रद्धा दयामतिः | श्रुतिर्मेधा धृतिर्ह्रीः श्रीर्विद्या विबुधवन्दिता || ४०|| अनसूया घृणा नीतिर्निर्वृतिः कामधुक्करा | प्रतिज्ञा संततिर्भूतिर्द्यौः प्रज्ञा विश्वमानिनी || ४१|| स्मृतिर्वाग्विश्वजननी पश्यन्ती मध्यमा समा | संध्या मेधा प्रभा भीमा सर्वाकारा सरस्वती || ४२|| काङ्क्षा माया महामाया मोहिनी माधवप्रिया | सौम्याभोगा महाभोगा भोगिनी भोगदायिनी || ४३|| सुधौतकनकप्रख्या सुवर्णकमलासना | हिरण्यगर्भा सुश्रोणी हारिणी रमणी रमा || ४४|| चन्द्रा हिरण्मयी ज्योत्स्ना रम्या शोभा शुभावहा | त्रैलोक्यमण्डना नारी नरेश्वरवरार्चिता || ४५|| त्रैलोक्यसुन्दरी रामा महाविभववाहिनी | पद्मस्था पद्मनिलया पद्ममालाविभूषिता || ४६|| पद्मयुग्मधरा कान्ता दिव्याभरणभूषिता | विचित्ररत्नमुकुटा विचित्राम्बरभूषणा || ४७|| विचित्रमाल्यगन्धाढ्या विचित्रायुधवाहना | महानारायणी देवी वैष्णवी वीरवन्दिता || ४८|| कालसंकर्षिणी घोरा तत्त्वसंकर्षिणीकला | जगत्सम्पूरणी विश्वा महाविभवभूषणा || ४९|| वारुणी वरदा व्याख्या घण्टाकर्णविराजिता | नृसिंही भैरवी ब्राह्मी भास्करी व्योमचारिणी || ५०|| ऐन्द्री कामधेनुः सृष्टिः कामयोनिर्महाप्रभा | दृष्टा काम्या विश्वशक्तिर्बीजगत्यात्मदर्शना || ५१|| गरुडारूढहृदया चान्द्री श्रीर्मधुरानना | महोग्ररूपा वाराही नारसिंही हतासुरा || ५२|| युगान्तहुतभुग्ज्वाला कराला पिङ्गलाकला | त्रैलोक्यभूषणा भीमा श्यामा त्रैलोक्यमोहिनी || ५३|| महोत्कटा महारक्ता महाचण्डा महासना | शङ्खिनी लेखिनी स्वस्था लिखिता खेचरेश्वरी || ५४|| भद्रकाली चैकवीरा कौमारी भवमालिनी | कल्याणी कामधुग्ज्वालामुखी चोत्पलमालिका || ५५|| बालिका धनदा सूर्या हृदयोत्पलमालिका | अजिता वर्षिणी रीतिर्भरुण्डा गरुडासना || ५६|| वैश्वानरी महामाया महाकाली विभीषणा | महामन्दारविभवा शिवानन्दा रतिप्रिया || ५७|| उद्रीतिः पद्ममाला च धर्मवेगा विभावनी | सत्क्रिया देवसेना च हिरण्यरजताश्रया || ५८|| सहसावर्तमाना च हस्तिनादप्रबोधिनी | हिरण्यपद्मवर्णा च हरिभद्रा सुदुर्द्धरा || ५९|| सूर्या हिरण्यप्रकटसदृशी हेममालिनी | पद्मानना नित्यपुष्टा देवमाता मृतोद्भवा || ६०|| महाधना च या शृङ्गी कर्द्दमी कम्बुकन्धरा | आदित्यवर्णा चन्द्राभा गन्धद्वारा दुरासदा || ६१|| वराचिता वरारोहा वरेण्या विष्णुवल्लभा | कल्याणी वरदा वामा वामेशी विन्ध्यवासिनी || ६२|| योगनिद्रा योगरता देवकी कामरूपिणी | कंसविद्राविणी दुर्गा कौमारी कौशिकी क्षमा || ६३|| कात्यायनी कालरात्रिर्निशितृप्ता सुदुर्जया | विरूपाक्षी विशालाक्षी भक्तानांपरिरक्षिणी || ६४|| बहुरूपा स्वरूपा च विरूपा रूपवर्जिता | घण्टानिनादबहुला जीमूतध्वनिनिःस्वना || ६५|| महादेवेन्द्रमथिनी भ्रुकुटीकुटिलानना | सत्योपयाचिता चैका कौबेरी ब्रह्मचारिणी || ६६|| आर्या यशोदा सुतदा धर्मकामार्थमोक्षदा | दारिद्र्यदुःखशमनी घोरदुर्गार्तिनाशिनी || ६७|| भक्तार्तिशमनी भव्या भवभर्गापहारिणी | क्षीराब्धितनया पद्मा कमला धरणीधरा || ६८|| रुक्मिणी रोहिणी सीता सत्यभामा यशस्विनी | प्रज्ञाधारामितप्रज्ञा वेदमाता यशोवती || ६९|| समाधिर्भावना मैत्री करुणा भक्तवत्सला | अन्तर्वेदी दक्षिणा च ब्रह्मचर्यपरागतिः || ७०|| दीक्षा वीक्षा परीक्षा च समीक्षा वीरवत्सला | अम्बिका सुरभिः सिद्धा सिद्धविद्याधरार्चिता || ७१|| सुदीक्षा लेलिहाना च कराला विश्वपूरका | विश्वसंधारिणी दीप्तिस्तापनी ताण्डवप्रिया || ७२|| उद्भवा विरजा राज्ञी तापनी बिन्दुमालिनी | क्षीरधारासुप्रभावा लोकमाता सुवर्चसा || ७३|| हव्यगर्भा चाज्यगर्भा जुह्वतोयज्ञसम्भवा | आप्यायनी पावनी च दहनी दहनाश्रया || ७४|| मातृका माधवी मुख्या मोक्षलक्ष्मीर्महर्द्धिदा | सर्वकामप्रदा भद्रा सुभद्रा सर्वमङ्गला || ७५|| श्वेता सुशुक्लवसना शुक्लमाल्यानुलेपना | हंसा हीनकरी हंसी हृद्या हृत्कमलालया || ७६|| सितातपत्रा सुश्रोणी पद्मपत्रायतेक्षणा | सावित्री सत्यसंकल्पा कामदा कामकामिनी || ७७|| दर्शनीया दृशा दृश्या स्पृश्या सेव्या वराङ्गना | भोगप्रिया भोगवती भोगीन्द्रशयनासना || ७८|| आर्द्रा पुष्करिणी पुण्या पावनी पापसूदनी | श्रीमती च शुभाकारा परमैश्वर्यभूतिदा || ७९|| अचिन्त्यानन्तविभवा भवभावविभावनी | निश्रेणिः सर्वदेहस्था सर्वभूतनमस्कृता || ८०|| बला बलाधिका देवी गौतमी गोकुलालया | तोषिणी पूर्णचन्द्राभा एकानन्दा शतानना || ८१|| उद्याननगरद्वारहर्म्योपवनवासिनी | कूष्माण्डा दारुणा चण्डा किराती नन्दनालया || ८२|| कालायना कालगम्या भयदा भयनाशिनी | सौदामनी मेघरवा दैत्यदानवमर्दिनी || ८३|| जगन्माता भयकरी भूतधात्री सुदुर्लभा | काश्यपी शुभदाता च वनमाला शुभावरा || ८४|| धन्या धन्येश्वरी धन्या रत्नदा वसुवर्द्धिनी | गान्धर्वी रेवती गङ्गा शकुनी विमलानना || ८५|| इडा शान्तिकरी चैव तामसी कमलालया | आज्यपा वज्रकौमारी सोमपा कुसुमाश्रया || ८६|| जगत्प्रिया च सरथा दुर्जया खगवाहना | मनोभवा कामचारा सिद्धचारणसेविता || ८७|| व्योमलक्ष्मीर्महालक्ष्मीस्तेजोलक्ष्मीः सुजाज्वला | रसलक्ष्मीर्जगद्योनिर्गन्धलक्ष्मीर्वनाश्रया || ८८|| श्रवणा श्रावणी नेत्री रसनाप्राणचारिणी | विरिञ्चिमाता विभवा वरवारिजवाहना || ८९|| वीर्या वीरेश्वरी वन्द्या विशोका वसुवर्द्धिनी | अनाहता कुण्डलिनी नलिनी वनवासिनी || ९०|| गान्धारिणीन्द्रनमिता सुरेन्द्रनमिता सती | सर्वमङ्गल्यमाङ्गल्या सर्वकामसमृद्धिदा || ९१|| सर्वानन्दा महानन्दा सत्कीर्तिः सिद्धसेविता | सिनीवाली कुहू राका अमा चानुमतिर्द्युतिः || ९२|| अरुन्धती वसुमती भार्गवी वास्तुदेवता | मायूरी वज्रवेताली वज्रहस्ता वरानना || ९३|| अनघा धरणिर्धीरा धमनी मणिभूषणा | राजश्री रूपसहिता ब्रह्मश्रीर्ब्रह्मवन्दिता || ९४|| जयश्रीर्जयदा ज्ञेया सर्गश्रीः स्वर्गतिः सताम् | सुपुष्पा पुष्पनिलया फलश्रीर्निष्कलप्रिया || ९५|| धनुर्लक्ष्मीस्त्वमिलिता परक्रोधनिवारिणी | कद्रूर्द्धनायुः कपिला सुरसा सुरमोहिनी || ९६|| महाश्वेता महानीला महामूर्तिर्विषापहा | सुप्रभा ज्वालिनी दीप्तिस्तृप्तिर्व्याप्तिः प्रभाकरी || ९७|| तेजोवती पद्मबोधा मदलेखारुणावती | रत्ना रत्नावली भूता शतधामा शतापहा || ९८|| त्रिगुणा घोषिणी रक्ष्या नर्द्दिनी घोषवर्जिता | साध्या दितिर्दितिदेवी मृगवाहा मृगाङ्कगा || ९९|| चित्रनीलोत्पलगता वृषरत्नकराश्रया | हिरण्यरजतद्वन्द्वा शङ्खभद्रासनास्थिता || १००|| गोमूत्रगोमयक्षीरदधिसर्पिर्जलाश्रया | मरीचिश्चीरवसना पूर्णा चन्द्रार्कविष्टरा || १०१|| सुसूक्ष्मा निर्वृतिः स्थूला निवृत्तारातिरेव च | मरीचिज्वालिनी धूम्रा हव्यवाहा हिरण्यदा || १०२|| दायिनी कालिनी सिद्धिः शोषिणी सम्प्रबोधिनी | भास्वरा संहतिस्तीक्ष्णा प्रचण्डज्वलनोज्ज्वला || १०३|| साङ्गा प्रचण्डा दीप्ता च वैद्युतिः सुमहाद्युतिः | कपिला नीलरक्ता च सुषुम्णा विस्फुलिङ्गिनी || १०४|| अर्चिष्मती रिपुहरा दीर्घा धूमावली जरा | सम्पूर्णमण्डला पूषा स्रंसिनी सुमनोहरा || १०५|| जया पुष्टिकरीच्छाया मानसा हृदयोज्ज्वला | सुवर्णकरणी श्रेष्ठा मृतसंजीविनीरणे || १०६|| विशल्यकरणी शुभ्रा संधिनी परमौषधिः | ब्रह्मिष्ठा ब्रह्मसहिता ऐन्दवी रत्नसम्भवा || १०७|| विद्युत्प्रभा बिन्दुमती त्रिस्वभावगुणाम्बिका | नित्योदिता नित्यहृष्टा नित्यकामकरीषिणी || १०८|| पद्माङ्का वज्रचिह्ना च वक्रदण्डविभासिनी | विदेहपूजिता कन्या माया विजयवाहिनी || १०९|| मानिनी मङ्गला मान्या मालिनी मानदायिनी | विश्वेश्वरी गणवती मण्डला मण्डलेश्वरी || ११०|| हरिप्रिया भौमसुता मनोज्ञा मतिदायिनी | प्रत्यङ्गिरा सोमगुप्ता मनोऽभिज्ञा वदन्मतिः || १११|| यशोधरा रत्नमाला कृष्णा त्रैलोक्यबन्धनी | अमृता धारिणी हर्षा विनता वल्लकी शची || ११२|| संकल्पा भामिनी मिश्रा कादम्बर्यमृतप्रभा | अगता निर्गता वज्रा सुहिता संहिताक्षता || ११३|| सर्वार्थसाधनकरी धातुर्धारणिकामला | करुणाधारसम्भूता कमलाक्षी शशिप्रिया || ११४|| सौम्यरूपा महादीप्ता महाज्वाला विकाशिनी | माला काञ्चनमाला च सद्वज्रा कनकप्रभा || ११५|| प्रक्रिया परमा योक्त्री क्षोभिका च सुखोदया | विजृम्भणा च वज्राख्या शृङ्खला कमलेक्षणा || ११६|| जयंकरी मधुमती हरिता शशिनी शिवा | मूलप्रकृतिरीशानी योगमाता मनोजवा || ११७|| धर्मोदया भानुमती सर्वाभासा सुखावहा | धुरन्धरा च बाला च धर्मसेव्या तथागता || ११८|| सुकुमारा सौम्यमुखी सौम्यसम्बोधनोत्तमा | सुमुखी सर्वतोभद्रा गुह्यशक्तिर्गुहालया || ११९|| हलायुधा चैकवीरा सर्वशस्त्रसुधारिणी | व्योमशक्तिर्महादेहा व्योमगा मधुमन्मयी || १२०|| गङ्गा वितस्ता यमुना चन्द्रभागा सरस्वती | तिलोत्तमोर्वशी रम्भा स्वामिनी सुरसुन्दरी || १२१|| बाणप्रहरणावाला बिम्बोष्ठी चारुहासिनी | ककुद्मिनी चारुपृष्ठा दृष्टादृष्टफलप्रदा || १२२|| काम्याचरी च काम्या च कामाचारविहारिणी | हिमशैलेन्द्रसंकाशा गजेन्द्रवरवाहना || १२३|| अशेषसुखसौभाग्यसम्पदा योनिरुत्तमा | सर्वोत्कृष्टा सर्वमयी सर्वा सर्वेश्वरप्रिया || १२४|| सर्वाङ्गयोनिः साव्यक्ता संप्रधानेश्वरेश्वरी | विष्णुवक्षःस्थलगता किमतः परमुच्यते || १२५|| परा निर्महिमा देवी हरिवक्षःस्थलाश्रया | सा देवी पापहन्त्री च सान्निध्यं कुरुतान्मम || १२६|| इति नाम्नां सहस्रं तु लक्ष्म्याः प्रोक्तं शुभावहम् | परावरेण भेदेन मुख्यगौणेन भागतः || १२७|| यश्चैतत् कीर्तयेन्नित्यं शृणुयाद् वापि पद्मज | शुचिः समाहितो भूत्वा भक्तिश्रद्धासमन्वितः || १२८|| श्रीनिवासं समभ्यर्च्य पुष्पधूपानुलेपनैः | भोगैश्च मधुपर्काद्यैर्यथाशक्ति जगद्गुरुम् || १२९|| तत्पार्श्वस्थां श्रियं देवीं सम्पूज्य श्रीधरप्रियाम् | ततो नामसहस्रोण तोषयेत् परमेश्वरीम् || १३०|| नामरत्नावलीस्तोत्रमिदं यः सततं पठेत् | प्रसादाभिमुखीलक्ष्मीः सर्वं तस्मै प्रयच्छति || १३१|| यस्या लक्ष्म्याश्च सम्भूताः शक्तयो विश्वगाः सदा | कारणत्वे न तिष्ठन्ति जगत्यस्मिंश्चराचरे || १३२|| तस्मात् प्रीता जगन्माता श्रीर्यस्याच्युतवल्लभा | सुप्रीताः शक्तयस्तस्य सिद्धिमिष्टां दिशन्ति हि || १३३|| एक एव जगत्स्वामी शक्तिमानच्युतः प्रभुः | तदंशशक्तिमन्तोऽन्ये ब्रह्मेशानादयो यथा || १३४|| तथैवैका परा शक्तिः श्रीस्तस्य करुणाश्रया | ज्ञानादिषाङ्गुण्यमयी या प्रोक्ता प्रकृतिः परा || १३५|| एकैव शक्तिः श्रीस्तस्या द्वितीयात्मनि वर्तते | परा परेशी सर्वेशी सर्वाकारा सनातनी || १३६|| अनन्तनामधेया च शक्तिचक्रस्य नायिका | जगच्चराचरमिदं सर्वं व्याप्य व्यवस्थिता || १३७|| तस्मादेकैव परमा श्रीर्ज्ञेया विश्वरूपिणी | सौम्या सौम्येन रूपेण संस्थिता नटजीववत् || १३८|| यो यो जगति पुम्भावः स विष्णुरिति निश्चयः | या या तु नारीभावस्था तत्र लक्ष्मीर्व्यवस्थिता || १३९|| प्रकृतेः पुरुषाच्चान्यस्तृतीयो नैव विद्यते | अथ किं बहुनोक्तेन नरनारीमयो हरिः || १४०|| अनेकभेदभिन्नस्तु क्रियते परमेश्वरः | महाविभूतिं दयितां ये स्तुवन्त्यच्युतप्रियाम् || १४१|| ते प्राप्नुवन्ति परमां लक्ष्मीं संशुद्धचेतसः | पद्मयोनिरिदं प्राप्य पठन् स्तोत्रमिदं क्रमात् || १४२|| दिव्यमष्टगुणैश्वर्यं तत्प्रसादाच्च लब्धवान् | सकामानां च फलदामकामानां च मोक्षदाम् || १४३|| पुस्तकाख्यां भयत्रात्रीं सितवस्त्रां त्रिलोचनाम् | महापद्मनिषण्णां तां लक्ष्मीमजरतां नमः || १४४|| करयुगलगृहीतं पूर्णकुम्भं दधाना क्वचिदमलगतस्था शङ्खपद्माक्षपाणिः | क्वचिदपि दयिताङ्गे चामरव्यग्रहस्ता क्वचिदपि सृणिपाशं बिभ्रती हेमकान्तिः || १४५|| || इत्यादिब्रह्मपुराणे काश्मीरवर्णने हिरण्यगर्भहृदये सर्वकामप्रदायकं पुरुषोत्तमप्रोक्तं श्रीलक्ष्मीसहस्रनामस्तोत्रं समाप्तम् || Related