January 12, 2016 | Leave a comment सभा-मोहक सिन्दूर मन्त्र — “हथेली तो हनुमन्त बसै, भैरों बसै कपाल । नृसिंह की मोहनी मोह्यो सब संसार ! मोहन रे मोहता बीर, सब बीरन में तेरा सीर । सबकी दृष्टि बांधि दे, तोहि तेल-सिन्दूर चढाऊँ । तोहि तेल- सिन्दूर कहाँ से आया ? कैलास – परवत से आया । कौन लाया ? अञ्जनी का हनुमत, गौरी का गणेश । काला-गोरा-तोतला– तीनों बसे कपाल । बिन्दा तेल-सिन्दूर का, दुश्मन गया पताल । दुहाई कामिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाय । हमारी भक्ति, गुरू की शक्ति । फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा । सत्य नाम, आदेश गुरु का ।” विधि – सात शनिवार दीपक तेल भर के, लोबान, खेवे मिठाई भोग धरे । १०८ बार जपे । फल-पान से पूजा कर सिद्ध करे । जब जहां जाए, सिन्दूर पर सात बार मन्त्र पढकर माथे पर लगाकर जाए । कोई क्रोधित होकर दण्ड देने को भी बुलाए, तो देखते ही शान्त हो जाएगा । कोर्ट-कचहरी में, थाने में, सचिवालय में या किसी उच्च अधिकारी द्वारा बुलाया जाय या आपको जाना आवश्यक हो, तब यह प्रयोग उपयोगी हो सकता है । Related