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सर्वार्थ-सिद्धि-दायक शाबर-मन्त्र
सर्वार्थ-सिद्धि का सरल-सफल साधन है-‘शाबर-मन्त्र-साधना । जहाँ शास्त्रोक्त मन्त्रोपासना में अनेक नियमों का पालन करना प्रत्येक साधक के लिए असम्भव है, वही ‘शाबर-मन्त्रोपासना’ (साधना) सरलता व सुलभता-पूर्ण नियमों के पालन करने से सफल हो जाती है । स्पष्ट है कि शाबर मन्त्रों में असीम शक्तियाँ समाहित रहती हैं, किन्तु ये मन्त्र शास्त्रीय नही हैं । vadicjagatलोक-भाषा में रचे हुए इन मन्त्रों का अर्थ बडा ही विचित्र होता है । यदि कोई विद्वान् इन मन्त्रों के भावों (अर्थ) पर विचार करें, तो इनका आश्रय बड़े ही निर्णायक ढ़ंग से लेगा । इन मन्त्रों का शब्द-समूह चाहे छोटा हो या बड़ा, सभी में अपनी-अपनी एक अलग विशेषता होती है । ‘शाबर-मन्त्र-साधना’ में श्रद्धा-विश्वास-लगन का होना अति आवश्यक है । किसी भी ‘शाबर मन्त्र’ का प्रयोग करने से पहले ‘रक्षा-कवच’ सिद्ध कर लेना चाहिए । जो मन्त्र सिद्ध हो गया हो, उसे समय-समय पर चैतन्य कर लेना चाहिए । जैसे अमावास्या, पूर्णिमा या अन्य किसी पर्व पर । इससे मन्त्र प्रभाव-कारी बना रहता है । सौम्य-मन्त्रों को अपने कक्ष ने और क्रूर-मन्त्रों को ‘श्मशान’ अथवा ‘देवालय’ या ‘निर्जन स्थान’ पर सिद्ध करें या मन्त्रों के प्रयोग में जहाँ स्थान का निर्णय दिया हो, वहां उसी स्थान पर करें । क्रूर मन्त्रों को सिद्ध करने से पहले किसी श्रेष्ट साधक की अनुमति ले लेना लाभ-दायक रहेगा ।

मदारी का खेल बाँधना
मन्त्रः- “काली काली महा काली, ब्रह्मा की बेटी-इन्द्र की साली । खावै पान, बजावै ताली, जा बैठी पीपल की डाली । बाँध-बाँध मदारी को बाँध, मदारी के खेल को बाँध । ना बाँधै, तो तुझे गुरु गोरखनाथ की आन ।।”
विधिः-
अमावास्या की रात्रि में काली-मन्दिर जाकर यथोपचारों सहित भगवती काली का पूजन करे । शुद्ध घी और सरसों के तेल का दिपक जलाए । काले कम्बल के आसन पर बैठकर इस मन्त्र को १००८ बार जप कर सिद्ध कर ले । जब कभी मदारी का खेल देखने का अवसर आए, तो हाथ में थोड़ी-सी मिट्टी लेकर २१ बार मन्त्र पढ़े और उस मिट्टी को एक ही फूँक मे मदारी की ओर उड़ा दे, तो मदारी व मदारी का खेल बँध जाएगा ।

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