October 20, 2015 | aspundir | Leave a comment सिद्ध बीसा-यन्त्र प्रयोग विधि “बीसा-यन्त्र” अष्ट-गन्ध (सफेद चन्दन, रक्त चन्दन, अगर काष्ठ, कपूर, केसर, शुद्ध कस्तूरी, कुष्ठ, गोरोचन) से तैयार मसी (स्याही) से लिखा जाता है। यन्त्र लिखने के लिए शुभ (गुरु-पुष्य या रविपुष्य) योग में विधिवत तैयार अनार की कलम से भोजपत्र या रेशमी वस्त्र पर लिखें। बीसा यन्त्र लिखने के बाद बची स्याही को किसी अन्य कार्य में न लें, जलप्रवाह कर सकते हैं। स्नानोपरान्त एकान्त शुद्ध पूजास्थल पर शुद्ध कम्बल का आसन पर पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख बैठ कर शुद्ध घी की ज्योति जलाकर एकमात्र अस्यूत वस्त्र (धोती) पहनकर बांए कन्धे -पर लाल वस्त्र रखकर शान्तचित्त होकर भोजपत्र पर १०८ बार बीसा यन्त्र लिखें। साथ-साथ मूलमन्त्र का जाप करते जाएं। “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं भगवति मम सर्वं वांछितं देहि देहि स्वाहा।” इस मन्त्रोच्चारणपूर्वक १०८ बार बीसा यन्त्र लिख लेने के बाद उक्त मन्त्र से ही प्रत्येक यन्त्र का चन्दन, कुंकुम, पुष्प, धूप, दीप आदि प्रदान करके दक्षिणापूर्वक पूजा करें। यथा- “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं भगवति मम सर्वं वांछितं देहि देहि स्वाहा, विंशति यन्त्रराजाय चन्दनं समर्पयामि नमः।” इस प्रकार १०८ यन्त्रों का पृथक्-पृथक् पूजन करके दूसरे दिन से मूलमन्त्र का जाप, हवनादि प्रारम्भ करें। प्रथम दिन तो १०८ बीसा यन्त्रों के निर्माण, पूजन में ही व्यतीत हो जाएगा। दूसरे दिन से मूलमन्त्र जाप शुरु होगा। ८८ दिन तक जाप के प्रारम्भ में १०८ बीसा यन्त्रों का सामुहिकपूजन एवं धूप-दीप पूर्वक ही जाप प्रारम्भ करें। यह प्रयोग ८८ दिन का है। प्रयोग की अवधि में दिन या रात को (निश्चित समय पर) प्रतिदिन मूल-मन्त्र की १० माला जाप करें। प्रतिदिन एक माला का हवन रात्रि को (जप के बाद) करें। हवनार्थ तांबे का हवनकुण्ड एवं आम की लकड़ी प्रयोग में लाएं। खीर, घी, शहद एवं बिल्वपत्र मिलाकर एक माला होम करें। हवन के बाद १० मूलमन्त्रों से कुशा द्वारा शरीर पर पानी छिड़कें, मार्जन करें। प्रतिदिन एक छोटी कन्या को ८८ दिन तक भोजन कराएं। इस प्रकार ८८ दिन तक प्रतिदिन १० माला जप, १ माला से हवन, १० मन्त्रों से मार्जन तथा १ कन्या को भोजन-यही क्रम चलेगा। रात्रि में पूजनोपरान्त सात्विक भोजन करें। ८८ दिन भूशयन करें। मितभाषी तथा ब्रह्मचर्य का पालन करें। दिन में दूध-जल-फल प्रयोग में ला सकते हैं। दिन में अन्नग्रहण न करें। इस प्रकार ८८ दिन का प्रयोग होने पर चमत्कार अनुभव होगा। प्रयोग के अन्त में कदाचित् भगवती का दर्शन भी सम्भव है। वाणी में अवन्ध्य प्रभाव आ जाता है। प्रयोग पूर्ण होने पर यन्त्र प्रयोग के समय लिखित १०८ सुपूजित बीसा यन्त्रों को एक ही चाँदी या ताँबे के तावीज में मढ़ाकर पूजा स्थान में रखें। तन्त्र प्रयोग पूर्ण होने पर नित्यकर्म से निवृत्त होकर प्रतिदिन आम की लकड़ी से बने हुए पट्टे पर रोली (कुंकुम) बिछाकर सिद्ध बीसायन्त्र को अनार की कलम से ११ बार लिखें। प्रत्येक यन्त्र की मूलमन्त्र से पूजा करें। ऐसा करने पर सिद्धि एवं यन्त्र का प्रभाव बना रहेगा। Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe