सिद्ध लक्ष्मी-प्रार्थना
सिद्धि के लिए दो बातें अत्यन्त आवश्यक है – श्रद्धा और विश्वास । श्रद्धा और विश्वास से ‘मन्त्र’ साधना अवश्य सफल होती है । भगवती कमला की शास्त्रीय प्रार्थना – ‘श्री श्रीविद्यार्णव तन्त्र’ में द्वा-विंशः श्वास में ‘लक्ष्मी-हृदय’ के प्रसङ्ग में बतलाई हुई एक सिद्ध-क्रिया यहाँ आपके सम्मुख प्रस्तुत है । इससे सरल प्रक्रिया संसार में दूसरी कोई नहीं है ।
भाव-पूर्वक यदि सर्वथा कर्तुमकर्तुमपाकर्तुं समर्थ श्रीमहा-रानी कमला से माँगेंगे, तो भगवती बड़ी कृपालु हैं । रात्रि को एकान्त में १० से १ के मध्य या प्रातः ब्रह्म-मुहूर्त में उठकर बगैर किसी प्रपञ्च के, बच्चे की भाँति रो-रोकर शुद्ध उच्चारण से एक-एक शब्द को पढ़ते हुए, ध्यान देकर सर्वत्र विराजमान सर्व-साक्षिणी, सर्व-कल्याण-कर्त्री श्रीकमला से यह प्रार्थना करें –
Lakshmi
सुवर्ण-वृद्धिं कुरु मे गृहे श्रीः । कल्याण-वृद्धिं कुरु मे गृहे श्रीः ।।
विभूति-वृद्धिं कुरु मे गृहे श्रीः । सौभाग्य-वृद्धिं कुरु मे गृहे श्रीः ।।
श्रीशाङ्घ्रि-भक्ति हरदास-दास्यं, प्रसन्न-मन्त्रार्थ-दृढैक-निष्ठाम् ।
गुरोः स्मृतिं निर्मल-बोध-बुद्धिं, प्रदेहि मे देहि परं पदं श्रीः ।। १
पृथ्वी-पतित्वं पुरुषोत्तमत्वं, विभूति-वासं विविधर्द्धि-सिद्धिम् ।
सम्पूर्ण-सिद्धिं बहु-वर्ष-भोग्यां, प्रदेहि मे देहि पुनः पुनस्त्वम् ।। २
वागर्थ-सिद्धिं बहु-लोक-वश्यं, वयः स्थिरत्वं ललना-सुभोगम् ।
पौत्रादि-लब्धिं सकलार्थ-सिद्धिं, प्रदेहि मे भार्गवि ! जन्म-जन्मनि ।। ३

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