August 20, 2015 | aspundir | 1 Comment सिद्ध वशीकरण मन्त्र १॰ “बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका। चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी। आगू म राखौं सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार। जाँघे म राखौं लोहा के झार, पिण्डरी म राखौं सोखन वीर। उल्टन काया, पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करे, मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी। मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथी, बत्तीस मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।” विधि- उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में १०८ बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर १०८ बार मन्त्र जपे। मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक इच्छित व्यक्ति के सामने हो। २॰ शूकर-दन्त वशीकरण मन्त्र “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं वाराह-दन्ताय भैरवाय नमः।” विधि- ‘शूकर-दन्त’ को अपने सामने रखकर उक्त मन्त्र का होली, दीपावली, दशहरा आदि में १०८ बार जप करे। फिर इसका ताबीज बनाकर गले में पहन लें। ताबीज धारण करने वाले पर जादू-टोना, भूत-प्रेत का प्रभाव नहीं होगा। लोगों का वशीकरण होगा। मुकदमें में विजय प्राप्ति होगी। रोगी ठीक होने लगेगा। चिन्ताएँ दूर होंगी और शत्रु परास्त होंगे। व्यापार में वृद्धि होगी। ३॰ कामिया सिन्दूर-मोहन मन्त्र- “हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार। नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार। मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर। सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे। तेल सिन्दूर कहाँ से आया ? कैलास-पर्वत से आया। कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त, गौरी का गनेश लाया। काला, गोरा, तोतला-तीनों बसे कपार। बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल। दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए। सत्य नाम, आदेश गुरु की। सत् गुरु, सत् कबीर। विधि- आसाम के ‘काम-रुप कामाख्या, क्षेत्र में ‘कामीया-सिन्दूर’ पाया जाता है। इसे प्राप्त कर लगातार सात रविवार तक उक्त मन्त्र का १०८ बार जप करें। इससे मन्त्र सिद्ध हो जाएगा। प्रयोग के समय ‘कामिया सिन्दूर’ पर ७ बार उक्त मन्त्र पढ़कर अपने माथे पर टीका लगाए। ‘टीका’ लगाकर जहाँ जाएँगे, सभी वशीभूत होंगे। आकर्षण एवं वशीकरण के प्रबल सूर्य मन्त्र १॰ “ॐ नमो भगवते श्रीसूर्याय ह्रीं सहस्त्र-किरणाय ऐं अतुल-बल-पराक्रमाय नव-ग्रह-दश-दिक्-पाल-लक्ष्मी-देव-वाय, धर्म-कर्म-सहितायै ‘अमुक’ नाथय नाथय, मोहय मोहय, आकर्षय आकर्षय, दासानुदासं कुरु-कुरु, वश कुरु-कुरु स्वाहा।” विधि- सुर्यदेव का ध्यान करते हुए उक्त मन्त्र का १०८ बार जप प्रतिदिन ९ दिन तक करने से ‘आकर्षण’ का कार्य सफल होता है। २॰ “ऐं पिन्स्थां कलीं काम-पिशाचिनी शिघ्रं ‘अमुक’ ग्राह्य ग्राह्य, कामेन मम रुपेण वश्वैः विदारय विदारय, द्रावय द्रावय, प्रेम-पाशे बन्धय बन्धय, ॐ श्रीं फट्।” विधि- उक्त मन्त्र को पहले पर्व, शुभ समय में २०००० जप कर सिद्ध कर लें। प्रयोग के समय ‘साध्य’ के नाम का स्मरण करते हुए प्रतिदिन १०८ बार मन्त्र जपने से ‘वशीकरण’ हो जाता है। बजरङग वशीकरण मन्त्र “ॐ पीर बजरङ्गी, राम लक्ष्मण के सङ्गी। जहां-जहां जाए, फतह के डङ्के बजाय। ‘अमुक’ को मोह के, मेरे पास न लाए, तो अञ्जनी का पूत न कहाय। दुहाई राम-जानकी की।” विधि- ११ दिनों तक ११ माला उक्त मन्त्र का जप कर इसे सिद्ध कर ले। ‘राम-नवमी’ या ‘हनुमान-जयन्ती’ शुभ दिन है। प्रयोग के समय दूध या दूध निर्मित पदार्थ पर ११ बार मन्त्र पढ़कर खिला या पिला देने से, वशीकरण होगा। आकर्षण हेतु हनुमद्-मन्त्र-तन्त्र “ॐ अमुक-नाम्ना ॐ नमो वायु-सूनवे झटिति आकर्षय-आकर्षय स्वाहा।” विधि- केसर, कस्तुरी, गोरोचन, रक्त-चन्दन, श्वेत-चन्दन, अम्बर, कर्पूर और तुलसी की जड़ को घिस या पीसकर स्याही बनाए। उससे द्वादश-दल-कलम जैसा ‘यन्त्र’ लिखकर उसके मध्य में, जहाँ पराग रहता है, उक्त मन्त्र को लिखे। ‘अमुक’ के स्थान पर ‘साध्य’ का नाम लिखे। बारह दलों में क्रमशः निम्न मन्त्र लिखे- १॰ हनुमते नमः, २॰ अञ्जनी-सूनवे नमः, ३॰ वायु-पुत्राय नमः, ४॰ महा-बलाय नमः, ५॰ श्रीरामेष्टाय नमः, ६॰ फाल्गुन-सखाय नमः, ७॰ पिङ्गाक्षाय नमः, ८॰ अमित-विक्रमाय नमः, ९॰ उदधि-क्रमणाय नमः, १०॰ सीता-शोक-विनाशकाय नमः, ११॰ लक्ष्मण-प्राण-दाय नमः और १२॰ दश-मुख-दर्प-हराय नमः। यन्त्र की प्राण-प्रतिष्ठा करके षोडशोपचार पूजन करते हुए उक्त मन्त्र का ११००० जप करें। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए लाल चन्दन या तुलसी की माला से जप करें। आकर्षण हेतु अति प्रभावकारी है। वशीकरण हेतु कामदेव मन्त्र “ॐ नमः काम-देवाय। सहकल सहद्रश सहमसह लिए वन्हे धुनन जनममदर्शनं उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा।” विधि- कामदेव के उक्त मन्त्र को तीनों काल, एक-एक माला, एक मास तक जपे, तो सिद्ध हो जायेगा। प्रयोग करते समय जिसे देखकर जप करेंगे, वही वश में होगा। Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe