October 1, 2015 | Leave a comment सु-प्रभात स्तोत्र ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च । गुरुश्च शुक्रः सह भानुजेन कुर्वन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।। भृगुर्वसिष्ठः क्रतुरङ्गिराश्च मनुः पुलस्त्यः पुलहः सगौतमः । रैभ्यो मरीचिश्च्यवनो ऋभुश्च कुर्वन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।। सनत्कुमारः सनकः सनन्दन सनातनोऽप्यासुररिपिङ्गलौ च । सप्त स्वराः सप्त रसातलाश्च कुर्वन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।। पृथ्वी सगन्धा सरसास्तथापः स्पर्शश्च वायुर्ज्वलनः सतेजाः । नभः सशब्दं महता सहैव यच्छन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।। सप्तार्णवाः सप्त कुलाचलाश्च सप्तर्षयो द्वीपवराश्च सप्त । भूरादि कृत्वा भुवनानि सप्त ददन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।। इत्थं प्रभाते परमं पवित्रं पठेत् स्मरेद्वा शृणुयाच्च भक्त्या । दुःस्वप्ननाशोऽनघ सु-प्रभातं भवेच्च सत्यं भगवत्प्रसादात् ।। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनैश्चर – ये सब देवता मेरे प्रभात को मंगलमय बनायें । भृगु, वसिष्ठ, क्रतु, अंगिरा, मनु, पुलस्त्य, पुलह, गौतम, रैभ्य, मरीचि, च्यवन तथा ऋभु – ये सब (ऋषि) मेरे प्रातः-काल को मंगलमय बनायें । सनत्कुमार, सनक, सनन्दन, सनातन, आसुरि, पिंगल, सातों स्वर एवं सातों रसातल – ये सब मेरे प्रभात को मंघलमय बनायें । गन्ध-गुण-मयी पृथ्वी, रस-गुण-युक्त जल, स्पर्श-गुण-वाली वायु, तेजो-गुण-युक्त अग्नि, शब्द-गुण-मय आकाश एवं महतत्त्व (बुद्धि) – ये सब मेरे प्रातः-काल को मंगलमय बनायें । सातों समुद्र, सातों कुल-पर्वत, सप्तर्षि, सातों श्रेष्ठ द्वीप और भू-आदि सातों लोक – ये सब प्रभात-काल में मुझे मंगल प्रदान करें । (हे अनघ !) इस प्रकार प्रातः-काल में परम पवित्र सु-प्रभात-स्तोत्र को यदि कोई भक्ति-पूर्वक पाठ करे या स्मरण करे अथवा सुने तो भगवान् की कृपा से निश्चय ही उसके दुःस्वप्न का नाश होता है तथा प्रभात मंगलमय होता है । Related