January 5, 2016 | aspundir | Leave a comment स्थान बाँधने का मन्त्र मन्त्र :- “उतरे पाँव परन्ते जी, सुमिरन सुग्रीव लाभा होय । चौगुना सान्से परे न जीव, धरती करो बिछौना । तम्बू तनू आकाश, सूर्य – चन्द्रमा दीपक-सुख, सोमै हरी के दास । पाँच पुतरी के रखवार, भाग-भाग रे दुष्ट ! हनुमन्त बिराजे आय । जहाँ बजी हनु- मन्त की ताली, तहाँ नहीं दुष्टन पैठारी ।” विधि– उक्त अनुभूत शाबर मन्त्र को मङ्गलवार को हनुमान जी की मूर्ति के सामने १००८ बार जप कर दशांश गुग्गुल से हवन कर सिद्ध कर ले । तदनन्तर इस मन्त्र से किसी भी स्थान में, अपने चतुर्दिक् रेखा १२ अंगुल आम की कलम से खीचकर बैठने से, सोने से किसी भी प्रकार का कोई भय नही रहता । जङ्गल या वन पर्वत में निर्भय शयन कर सकते हैं । Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe