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स्थान बाँधने का मन्त्र
मन्त्र :- “उतरे पाँव परन्ते जी, सुमिरन सुग्रीव लाभा होय । चौगुना सान्से परे न जीव, धरती करो बिछौना । तम्बू तनू आकाश, सूर्य – चन्द्रमा दीपक-सुख, सोमै हरी के दास । पाँच पुतरी के रखवार, भाग-भाग रे दुष्ट ! हनुमन्त बिराजे आय । जहाँ बजी हनु- मन्त की ताली, तहाँ नहीं दुष्टन पैठारी ।”

om, ॐ
विधि– उक्त अनुभूत शाबर मन्त्र को मङ्गलवार को हनुमान जी की मूर्ति के सामने १००८ बार जप कर दशांश गुग्गुल से हवन कर सिद्ध कर ले । तदनन्तर इस मन्त्र से किसी भी स्थान में, अपने चतुर्दिक् रेखा १२ अंगुल आम की कलम से खीचकर बैठने से, सोने से किसी भी प्रकार का कोई भय नही रहता । जङ्गल या वन पर्वत में निर्भय शयन कर सकते हैं ।

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