हवन से वशीकरण का शाबर मन्त्र

मन्त्रः-
“ॐ गणपति वीर बसै मसान, जो मैं माँगो (मंगौ) सो तुम आनु (आन)। पाँच लडुवा सिर सिन्दूर, त्रिभुवन माँगे चम्पे के फूल । अष्ट कुलि नाग मोहु, जो नारी (नौ सौ नाड़ी) बहुत्तरि कोठा मोहु । सभा माहे इन्द्र की बेटी मोहुँ । आवती-आवती स्त्री मोहुँ, जात-जाता पुरुष मोहुँ । डाँबा (डाँवा) अंग बसै नरसिंह जी, वनै क्षेत्रपाल । आवे मार मर करन्ता, सो (सब) जाई हमारे पाँव परन्ता । गुरु की शक्ति, हमारी भक्ति । चलो मन्त्र, आदेश गुरु को ।”
vadicjagat
विधिः-
पहले ‘हवन’ हेतु समिधा, घृत, शर्करा और गुग्गुल एकत्रित करें । फिर एकान्त कमरे में ‘होम-कुण्ड’ बनाए । सभी वस्तुओं को समुचित विधि से मिश्रित कर रखें । बाद में उक्त मन्त्र द्वारा ३५१ आहुतियाँ दें । ‘हवन’ के प्रभाव से साधक में ऐसी शक्ति का सञ्चार होगा कि उसके आस-पास सभी लोग उसके वश में हो जाएँगे और शत्रु भी वैर-भाव त्याग कर अनुकूल होंगे ।

विशेषः- मन्त्र में दिये गये कोष्ठकों में पाठान्तर हैं । साधक-गण दोनों पाठान्तरों से लाभ उठा सकते हैं ।

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