August 5, 2015 | Leave a comment हस्तरेखा और आर्थिक सम्पन्नता ॰ यदि अंगुलियों कर पर्व लम्बे हो तो जातक धनी होने के साथ-साथ दीर्घायु भी प्राप्त करता है। ॰ यदि कनिष्ठा अँगुली का नाखुन अनामिका अँगुलू के द्वितीय पर्व से आगे निकलकर तीसरे पर्व तक जाये तो जातक को कभी भी धन का अभाव नहीं होता। ॰ यदि कनिष्ठा एवं अनामिका अँगुली के आपस में सटाने के उपरान्त मध्य छिद्र रहे तो वृद्धावस्था में आर्थिक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। ॰ यदि मध्यमा तथा अनामिका के मध्य छिद्र हो तो जातक को युवावस्था में आर्थिक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। ॰ यदि मध्यमा और तर्जनी के मध्य छिद्र हो तो बाल्यावस्था में आर्थिक कष्ट हो। ॰ यदि किसी भी अँगुली के मध्य छिद्र न हो तो जातक का जीवन धन-धान्य से सम्पन्न रहता है। ॰ यदि मध्यमा अँगुली के तीसरे पर्व में अनामिका आकर मिल गई हो तो ऐसा जातक विद्वान, विचारवान्, साहित्यकार तथा कलाप्रेमी होता है तथा इस क्षेत्र में धन व यश की प्राप्ति करता है। ॰ अनामिका अँगुली सीधी, लम्बी तथा पुज़्ट होने पर जातक धनोपार्जन में प्रवीण, अनामिका टेढ़ी-मेढ़ी होने पर जातक दृढ़ रहकर धनोपार्जन करता है। ॰ अनामिका का झुकाव कनिष्ठा की ओर हो तो जातक कार्य-व्यापार द्वारा धन व सम्मान अर्जित करता है। ॰ अनामिका तर्जनी के बराबर लम्बी हो, उसका पहला पर्व चपटा एवं लम्बा हो तो जातक को धन व यश की प्राप्ति होती है। ॰ अनामिका का तीसरा पर्व लम्बा हो, संधि की गांठे उन्नत हो तो बिना किसी चिन्ता के धनोपार्जन में लगा रहता है। ॰ यदि कनिष्ठा अनामिका के प्रथम पर्व को स्पर्श करती हो तो जातक यात्रा द्वारा धन की प्राप्ति करता है। ॰ महीन, स्पष्ट व गहरी भाग्य रेखा मणिबन्ध से शनि पर्वत तक जाती हो तो मनुष्य के उद्योग धंधे में दिन-प्रतिदिन आय का स्तर बढता है। ॰ चन्द्र पर्वत से भाग्य रेखा गुरु पर्वत पर पहुँच जाए तो व्यक्ति का भाग्योदय चिचाह उपरान्त या स्त्री के द्वारा होता है। ॰ स्पष्ट चार रेखाऐं मणिबंध पर यवाकार हो तो व्यक्ति जन्म से ही धनवान होता है। ॰ अंगुठे के दोनों ऊपरी पर्वों का बराबर व कठोर होना धन एवं व्यापार वृद्धिकारक माना गया है। ॰ सूर्य पर्वत का उभरा हुआ होना, स्पष्ट एक रेखा का होना व चन्द्र पर्वत से भाग्य रेखा का निकलना धनागम का संकेत होता है। ॰ मणिबंध के बीच क्रॉस, यव चिह्न होने पर जातक को वसीयत के द्वारा धन की प्राप्ति होती है। यदि हथेली के नीचे मणिबंध की चार रेखाएं यवाकार हो तो ऐसा जातक ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करता है। ॰ यदि जीवन रेखा से छोटी रेखायें निकलकर ऊपर की ओर जाए तो जातक उस आयु विशेष में धन एवं सम्मान प्राप्त करता है। ॰ यदि दोनों हाथों में मस्तिष्क रेखा लम्बी हो तथा चन्द्र पर्वत पर घुमावदार हो, चन्द्र पर्वत बलवान हो एवं अनामिका तथा मध्यमा अंगुली बराबर लम्बाई की हो तो जातक व्यापारी होता है। व्यापार-व्यवसाय में आकस्मिक धन प्राप्त करता है। ॰ यदि मस्तिष्क रेखा अंत में द्विशाखायुक्त हो जाए तथा एक शाखा ह्रदय रेखा को काटती हुई बुध क्षेत्र तक जाए तथा दूसरी शाखा चन्द्र पर्वत तक जाए तो जातक अत्यन्त चालाक एवं व्यापार से धन अर्जन करने वाला होता है। ॰ यदि मस्तिष्क रेखा से कोई शाखा निकलकर गुरु पर्वत तक जाए और उसके अंत पर क्रॉस का चिह्न हो अथवा कोई आड़ी रेखा हो तो ऐसे जातक को धन अर्जन में सफलता प्राप्त नहीं होती किन्तु उपरोक्त लक्षण के साथ ही यदि मणिबंध पर भी क्रॉस का चिह्न हो तो ऐसे जातक को धन प्राप्ति के संकेत हैं। ॰ यदि हथेली में दो मस्तिष्क रेखा चन्द्र पर्वत के ऊपर की ओर जाकर द्विशाखायुक्त हो जाए तो ऐसा जातक लेखन, प्रकाशन एवं वैज्ञानिक कार्यों के द्वारा धन अर्जन कर सकता है। ॰ यदि शुक्र पर्वत से रेखाएं निकलकर जीवन रेखा तथा मस्तिष्क रेखा दोनों को काटे तो ऐसे जातक पारिवारिक स्थिति में आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। ॰ यदि हृदय रेखा का उद्गम मध्यमा और तर्जनी अंगुलियों के मध्य भाग से प्रारम्भ होता हो तो ऐसे जातक को कठिन परिश्रमोपरान्त धन प्राप्त होता है। ॰ यदि हृदय रेखा बुध पर्वत को नीचे की ओर से अर्द्धवृत की भाँति घेर ले ऐसा जातक ज्योतिष, योग अथवा दर्शन के द्वारा धनार्जन करता है। ॰ हथेली में यदि दोहरी हृदय रेखा हो तथा शनि क्षेत्र पर क्रॉस का चिह्न हो तो संभव है जातक अनैतिक कार्यों से धन अर्जन करे। ॰ यदि भाग्य रेखा का उद्गम चन्द्र पर्वत से हो तो ऐसा जातक स्त्री के सहयोग से अपना भाग्योदय करता है। ॰ यदि यदि अनामिका तथा मध्यमा अंगुलियाँ बराबर हो तथा सूर्य रेखा पर द्वीप चिह्न हो तो संभव है ऐसा जातक सटोरिया हो। ॰ जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा में अधिक अंतर हो तो ऐसा जातक बिना सोचे-समझे सट्टे लगाए अथवा व्यापारिक कार्य करे तो धनहानि की संभावना रहती है। ॰ सूर्य रेखा से कोई शाखा निकलकर गुरु पर्वत तक जाए और रेखा के अंत में गुरु पर्वत पर तारे का चिह्न हो तो जातक के उच्चपद पर आसीन होने के योग होते हैं। ॰ यदि सूर्य रेखा से कोई छोटी रेखा निकलकर बुधक्षेत्र तक जाए तथा कनिष्ठिका का प्रथम पर्व लम्बा हो तो लेखन, प्रकाशन द्वारा अपनी आजीविका अर्जित करता है। ॰ यदि कनिष्ठिका का दूसरा पर्व लम्बा हो एवं बुध पर्वत पर कोई खड़ी रेखाएं हो तो ऐसा जातक चिकित्सा के क्षेत्र से धनार्जन करता है। ॰ यदि कनिष्ठिका का तीसरा पर्व लम्बा हो तो जातक के धनोपार्जन में सफलता के योग होते हैं। Related