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आप स्मार्त्त हैं या वैष्णव
कभी-कभी पंचांगों में एकादशी और जन्माष्टमी के वर्तों में स्मार्त्तों के लिये और वैष्णवों के लिये – दो व्रत दो दिन लिखे रहते हैं। जनसाधारण नहीं समझ पाता कि वह व्रत किस दिन करे -पहले दिन या दूसरे दिन । ध्यान रहे – सम्पूर्ण संसार में फैले हिन्दू मात्र स्मार्त्त हैं । जो वेद, पुराणों को मानते हैं, पाँच देवों की उपासना करते हैं, वे सब हिन्दू (सनातनी) स्मार्त्त हैं । मात्र लहसुन-प्याज नहीं खाने से या विष्णु-सहस्त्रनाम पढ़ने से कोई वैष्णव नहीं हो जाता ।
धर्म शास्त्रों के अनुसार जो स्मार्त्त किसी वैष्णव गुरु से विधिपूर्वक अपनी भुजाओं पर तप्त मुद्रा द्वारा शंख-चक्र अंकित करवाता है या विधिपूर्वक वैष्णव धर्म के सम्प्रदाय के धर्माचार्य से दीक्षा लेकर कण्ठी और तुलसी की माला धारण करता है, वही वैष्णव कहलाने का अधिकारी है । वैष्णवों को और विधवा स्त्रियों को दूसरे दिन वैष्णव व्रत करने का अधिकार है, अन्यों को नहीं ।

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