श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-10 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-10 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-अष्टमः स्कन्धः-दशमोऽध्यायः दसवाँ अध्याय हिरण्मयवर्ष में अर्यमा के द्वारा कच्छपरूप की आराधना, उत्तरकुरुवर्ष में पृथ्वी द्वारा वाराहरूप की एवं किम्पुरुषवर्ष में श्रीहनुमान् जी के द्वारा श्रीरामचन्द्ररूप की स्तुति-उपासना भुवनकोशवर्णने हिरण्मयकिम्पुरुषवर्षवर्णनम् श्रीनारायण बोले — [ हे नारद!] हिरण्मय नामक वर्ष में भगवान्… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-09 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-09 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-अष्टमः स्कन्धः-नवमोऽध्यायः नौवाँ अध्याय हरिवर्ष में प्रह्लाद के द्वारा नृसिंहरूप की आराधना, केतुमालवर्ष में श्रीलक्ष्मीजी के द्वारा कामदेवरूप की तथा रम्यकवर्ष में मनुजी के द्वारा मत्स्यरूप की स्तुति-उपासना भुवनकोशवर्णने हरिवर्षकेतुमालरम्यकवर्षवर्णनम् श्रीनारायण बोले — [ हे नारद!] पापों का नाश करने वाले,… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-08 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-08 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-अष्टमः स्कन्धः-अष्टमोऽध्यायः आठवाँ अध्याय इलावृतवर्ष में भगवान् शंकर द्वारा भगवान् श्रीहरि के संकर्षणरूप की आराधना तथा भद्राश्ववर्ष में भद्रश्रवा द्वारा हयग्रीव रूप की उपासना भुवनकोशवर्णने इलावृतभद्राश्ववर्षवर्णनम् श्रीनारायण बोले — उन नौ वर्षों में रहने वाले सभी देवेश पूर्वोक्त स्तोत्रों तथा जप,… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-07 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-07 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-अष्टमः स्कन्धः-सप्तमोऽध्यायः सातवाँ अध्याय सुमेरुपर्वत का वर्णन तथा गंगावतरण का आख्यान भुवनकोशवर्णने पर्वतनदीवर्षादिवर्णनम् श्रीनारायण बोले — हे नारद! सुमेरुगिरि के पूर्व में अठारह हजार योजन लम्बाई तथा दो हजार योजन चौड़ाई तथा ऊँचाई वाले दो पर्वत हैं । वे दोनों श्रेष्ठ… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-06 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-06 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-अष्टमः स्कन्धः-षष्ठोऽध्याय छठा अध्याय भूमण्डल के विभिन्न पर्वतों से निकलने वाली विभिन्न नदियों का वर्णन भुवनकोशवर्णनेऽरुणोदादिनदीनां निसर्गस्थानवर्णनम् श्रीनारायण बोले — हे नारद! मैंने अरुणोदा नामक जिस नदी का वर्णन किया है, वह मन्दरपर्वत से निकलकर इलावृत के पूर्व भाग में प्रवाहित… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-05 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-05 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-अष्टमः स्कन्धः-पञ्चमोऽध्यायः पाँचवाँ अध्याय भूमण्डल पर स्थित विभिन्न द्वीपों और वर्षों का संक्षिप्त परिचय भुवनलोकवर्णने द्वीपवर्षविभेदवर्णनम् श्रीनारायण बोले — हे देवर्षे ! अब आप द्वीप तथा वर्ष के भेद से देवताओं के द्वारा किये गये सम्पूर्ण भूमण्डल विस्तार के विषय में… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-04 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-04 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-अष्टमः स्कन्धः-चतुऽर्थोऽध्यायः चौथा अध्याय महाराज प्रियव्रत का आख्यान तथा समुद्र और द्वीपों की उत्पत्ति का प्रसंग भुवनकोशविषये प्रियव्रतवंशवर्णनम् श्रीनारायण बोले — [ हे नारद!] स्वायम्भुव मनु के ज्येष्ठ पुत्र प्रियव्रत थे, वे नित्य पिता की सेवामें संलग्न रहते थे तथा सत्य… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-03 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-03 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-अष्टमः स्कन्धः-तृतीयोऽध्यायः तीसरा अध्याय महाराज मनु की वंश-परम्परा का वर्णन भुवनकोशविस्तारे स्वायम्भुवमनुवंशकीर्तनम् श्रीनारायण बोले — हे नारद! इस प्रकार पृथ्वी को यथास्थान प्रतिष्ठित करके भगवान् जब वैकुण्ठ चले गये तब ब्रह्माजी ने अपने पुत्र से कहा — ॥ १ ॥ तेजस्वियों… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-02 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-02 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-अष्टमः स्कन्धः-द्वितीयोऽध्यायः दूसरा अध्याय ब्रह्माजी की नासिका से वराह के रूप में भगवान् श्रीहरि का प्रकट होना और पृथ्वी का उद्धार करना, ब्रह्माजी का उनकी स्तुति करना धरण्युद्धारवर्णनम् श्रीनारायण बोले — हे परन्तप ! मनु एवं मरीचि आदि श्रेष्ठ मुनियों के… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-01 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-अष्टमः स्कन्धः-अध्याय-01 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-अष्टमः स्कन्धः-प्रथमोऽध्यायः पहला अध्याय प्रजा की सृष्टि के लिये ब्रह्माजी की प्रेरणा से मनु का देवी की आराधना करना तथा देवी का उन्हें वरदान देना भुवनकोशप्रसङ्गे देव्या मनवे वरदानवर्णनम् जनमेजय बोले — [ हे मुने!] आपने सूर्यवंश तथा चन्द्रवंश में उत्पन्न… Read More