हिन्दी सप्त-श्लोकी चण्डी-पाठ ।। श्री शिव बोले ।। ।। पूर्व पीठिका ।। तुम हो देवी ! भक्ति-सुलभ, सब कार्य कलापों की स्वामिनि हो । बोलो, कलि में कार्य-सिद्धि-हित, जन को क्या उपाय करना है ? ।। श्रीदेवी बोलीं ।। कलियुग का उत्तम-तम साधन, श्रवण करें हे देव ! ध्यान धर । बतलाती मैं स्नेह-सहित, केवल… Read More


राहुकाल दुर्गापूजा विधानम् राहुकाल की दक्षिण भारत में विशेष मान्यता है । राहुकाल में आसुरी शक्तियों का उदय होता है अतः अन्य शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं । आसुरी शक्तिरयों के दमन हेतु व्यक्ति को जप पाठ एवं स्वाध्याय करना श्रेयस्कर होता है । राहुकाल में दुर्गा उपासना श्रेष्ठ फलदायिनी हैं । राहु का… Read More


मन्त्रात्मक सप्त-श्लोकी चण्डी (१) ‘ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि’ – प्रथम मन्त्र विनियोगः- ॐ अस्य ‘ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि’ इति सप्त-श्लोकी-चण्डी-प्रथम-मन्त्रस्य श्रीवशिष्ठ ऋषिः, श्रीआद्या-महा-काली देवता, स्त्रौं बीजं, कामाक्षा शक्तिः, श्रीत्रिपुर-सुन्दरी महा-विद्या, तमो गुणः, त्वक् ज्ञानेन्द्रियं, मोहो रसः, भगं कर्मेन्द्रियं, आश्चर्यं स्वरं, अग्निः तत्त्वं, अविद्या कला, स्त्रीं उत्कीलनं, योनिः मुद्रा मम क्षेम्-स्थैर्यायुरोग्याभि-वृद्धयर्थं श्रीजगदम्बा-योग-माया-भगवती-दुर्गा-प्रसाद-सिद्धयर्थं च नमो-युत-प्रणव-वाग्-वीज-स्व-वीज-लोम-विलोम-पुटितोक्त-सप्त-श्लोकी-चण्डी-प्रथम-मन्त्र-जपे विनियोगः ।… Read More


नवरात्र में करें शत्रु-शमन नवरात्रों में माँ दुर्गा की उपासना प्रायः सभी हिन्दुधर्मावलम्बी करते हैं, लेकिन उस उपासना को विशेष विधि के अनुसार किया जाए तो, उपासना के साथ-साथ मनोकामना की भी पूर्ति की जा सकती है। आधुनिक प्रतिस्पर्द्धी युग में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष शत्रु होना स्वाभाविक है। शत्रुओं के भय से मुक्ति तथा शत्रुओं से पीड़ित… Read More


सार्द्ध नव-चण्डी प्रयोग कर्म-फल का इच्छुक प्राणी स्व-अभिलषित वस्तुओं की प्राप्ति के लिए अत्यधिक व्यग्र मन से प्रयत्न करता है। जीवन का बहुत बडा भाग व्यग्र मन से की गई साधना में व्यतीत हो जाता है। तथापि, सिद्धि एवं शान्ति नहीं मिल पाती और व्यक्ति सन्तप्त-चित्त ही संसार से चला जाता है। इसके कारणों पर… Read More


श्रीदुर्गा-सप्तशती पाठ विधि 1 पूजनकर्ता स्नान करके, आसन शुद्धि की क्रिया सम्पन्न करके, शुद्ध आसन पर बैठ जाएँ, साथ में शुद्ध जल, पूजन सामग्री और श्री-दुर्गा-सप्तशती की पुस्तक । इन्हें अपने सामने काष्ठ आदि के शुद्ध आसन पर विराजमान कर दें। माथे पर अपनी पसंद के अनुसार भस्म, चंदन अथवा रोली लगा लें, शिखा बाँध… Read More


‘आपदुद्धारक-बटुक-भैरव-स्तोत्र’ घटित चन्डी-विधानम् सम्पूर्ण कामनाओं की यथा-शीघ्र सिद्धि के लिए मैथिलों द्वारा कही हुई चण्डी-पाठ-घटित ‘आपदुद्धारक-बटुक-भैरव-स्तोत्र’ के पाठ की विधि आचमन, प्राणायाम, संकल्प (देश-काल-निर्देश) के उपरान्त – ‘अमुक-प्रवरान्वित अमुक-गोत्रोत्पन्नामुक-शर्मणः अमुक-वेदान्तर्गत अमुक-शाखाध्यायी मम (यजमानस्य) शीघ्रं अमुक-दुस्तर-संकट-निवृत्त्यर्थं सप्तशती-माला-मन्त्रस्य क्रमेण प्रथमादि-त्रयोदशाध्यायान्ते क्रियमाण आपदुद्धारक-बटुक-भैरवाष्टोत्तर-शत-नाम-मात्रावर्तन-घटित-अमुक-संख्यकावर्तनमहं करिष्ये।’ उक्त प्रकार ‘संकल्प’ में योजना करे। इसके बाद पहले विघ्नों के निवारण के लिए… Read More


श्री दुर्गा पूजन और श्रीदुर्गा-सप्तशती पाठ का सही क्रम नवरात्र में माता दुर्गा की प्रसन्नता के लिए श्रीदुर्गा-सप्तशती का पाठ करने का भी विधान है। कतिपय ध्यातव्य नियम इस प्रकार हैं – १॰ प्रथम दिन घट-स्थापना की जाती है और उसके बाद ही देवी के स्वरुप एवं अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी… Read More


श्रीदुर्गा-सप्तशती-पाठ के विविध क्रम – ‘श्रीदुर्गा-सप्तशती’ के स्वाध्याय अर्थात् पाठ की कई विधियाँ है। ‘मरीच-कल्प’ में लिखा है कि ‘सप्तशती’ का पाठ करने के पहले ‘रात्रि-सूक्त’ का पाठ करना चाहिए और जब उसका पाठ कर चुके, तब अन्त में ‘देवी-सूक्त’ का पाठ करे। – दूसरा मत यह है कि ‘सप्तशती’ का पाठ उसके अंगों के… Read More


सप्त-दिवसीय श्रीदुर्गा-सप्तशती-पाठ का परिचय एवं विधि १॰ सप्त-दिवसीय श्रीदुर्गा-सप्तशती-पाठ के अन्तर्गत श्रीदुर्गा-सप्तशती के १३ अध्यायों का पाठ सात दिनों में किया जाता है। २॰ “पा – ठोऽ – यं – व – र – का – रः” – सूत्र के अनुसार पहले दिन एक अध्याय (प), दूसरे दिन दो अध्याय (ठ), तीसरे दिन एक अध्याय… Read More