श्रीजानकी-मंगल – हिन्दी भावार्थ सहित श्रीजानकी-मंगल – हिन्दी भावार्थ सहित ( प्रातः स्मरणीय गोस्वामी तुलसीदास जी ने जगज्जननी आद्याशक्ति भगवती श्री जानकी जी तथा परात्पर पुर्ण पुरूषोत्तम भगवान् श्रीराम के परम मंगलमय विवाहोत्सव का बड़े ही मधुर शब्दों में वर्णन किया है। जनक पुर मे स्वयंवर की तैयारी से आरंभ करके विश्वामित्र के अयोध्या जाकर श्रीराम -लक्ष्मण को यज्ञ रक्षा… Read More
श्रीभगवती-मानस-पूजा-स्तोत्र भगवान् श्रीशङ्कराचार्य विरचित श्रीभगवती-मानस-पूजा-स्तोत्र (हिन्दी पद्यानुवाद श्री अमरसिंह ‘अमर’) ॥ प्रबोधन ॥ उषा-काल में गायक जन की मङ्गल-ध्वनि से शीघ्र जागिए । महती कृपा-कटाक्ष द्वारा, जगदम्बे ! जग को सुख-मय करिए ॥ १ ॥ ॥ आवाहन ॥ स्वर्ण-वेदियों से अति शोभित, दिशि-दिशि स्वर्ण-कलश से सज्जित । मणि-मय मम मानस-मण्डप में, कृपया पूजन ग्रहण कीजिए ॥… Read More
॥ पार्वती – मंगल ॥ – हिन्दी भावार्थ सहित ॥ पार्वती – मंगल ॥ – हिन्दी भावार्थ सहित ॥ श्रीहरि: ॥ ॥ पार्वती-मंगल ॥ बिनइ गुरहि गुनिगनहि गिरिहि गननाथहि । हृदयँ आनि सिय राम धरे धनु भाथहि ॥ १ ॥ गावउँ गौरि गिरीस बिबाह सुहावन । पाप नसावन पावन मुनि मन भावन ॥ २ ॥ ‘गुरु’ की, ‘गुणी लोगों’ (विज्ञजनों) – की, ‘पर्वतराज’ (हिमालय)… Read More
गोरक्ष संकट मोचन || गोरक्ष संकट मोचन || बाल योगी भये रूप लिये तब, आदि नाथ लियो अवतारो । ताहि समै सुख भयो सिद्धो का, तब शिव गोरक्ष नाथ उचारो || भेष भगवान ने की विनती, तब अनुपान शिला पे ज्ञान विचारो। को नहि जानत है जग में, शिव गोरक्षनाथ है नाम तुम्हारो ॥१ ॥ सतयुग में भये… Read More
श्री गोरक्षनाथ स्तवन श्री गोरक्षनाथ स्तवन कैलाशाचल चारु श्रंग रचिता वेदी यदी यासनं, शान्तं शंख शशांक कुन्दकुमुस स्फितश्रियालिंगितम् । बालार्करुणतीर्णकोण किरण ज्योतिर्जटा मण्डितं, तज्जयोतिर्मयमैश्वर वपुरिदं गोरक्ष ! ते धीमहि ।। आत्म-खलु विश्व-मूलम् ॐ कृण्वन्तो विश्वमार्यम् । गोरक्ष-बालं गुरु-शिष्य-पालं शेष-हिमालं शशि-खण्ड-भालम् ।। कालस्य-कालं जित-जन्म-जालं वन्दे जटालं जगदाब्जनालम् । गोरक्षनाथ ! भवरुप भवाब्धि पोत, भक्तार्ति-नाशन विभो करुणैकमूर्ते । त्वपाद–पद्म–मकरन्द–मधुव्रतोऽहं, तापं… Read More
ब्रह्मादि देवों द्वारा भगवान् की स्तुति ब्रह्मादि देवों द्वारा भगवान् की स्तुति जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता । गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता ।। पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई । जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई ।।… Read More
शक्ति चालीसी शक्ति चालीसी श्रीदुर्गायै नमः नमस्कार उसको ही जिससे है पैदा खल्क़ 1 में हर शै 2 । पये 3 क़त्ले 4 सितमगारां जो पै दर 5 पै रहे दरपै 6 ।। मचा जब ग़ुल 7 कि अय दुर्गा ये हंगामेतरह् 8 हुम है । मदद की बरमेला 9 सब देवता कहने लगे जय जय ।।… Read More
पीताम्बरा अष्टक पीताम्बरा अष्टक ध्यावत धनेश-अमरेश हू रमेश नित्य, पूजत प्रजेश पद-कञ्ज शम्भु-रानी के । गावत गजानन षडानन अनन्त वेद, पावन दयाल मातु गुन वर-दानी के । पावत परम पुरषारथ प्रसाद जन, लावत ललकि उर ध्यान दया-धानी के । भावत ‘सरोज’ बल-वैभव अपार, अरि-नाशक समृद्ध सदा बगला भवानी के ।। १… Read More
श्रीबगला ध्यानावली श्रीबगला ध्यानावली पीत-पीत वसन प्रसार करैं देह-छवि, अंग-अंग भूषन, सु-पीत झरि लावै है । मुख-कान्ति पीत-पीत, तीनों नेत्र पीत-पीत, अंग-राग पीत-पीत शोभा सरसावै है ।। निज भीत भक्तन को, हीत देति दौरि आय, अपनी दया को, रुप प्रकट दिखावै है । बगला ! तिहार नाम जपत, स-भक्ति जौन, भुक्ति पावै मुक्ति पावै, पीता बन जावै… Read More
श्रीरुद्र गीता श्रीरुद्र गीता ।। चौपाई ।। सुनु मुनि यह तन – मन्दिर माहीं । दुइ विधी चेतन-रुप सदा ही ।। निर्विकल्प आतम यक रुपा । सदा एक – रस शान्त अनूपा ।। यक चैतन्योन्मुख वपु अहई । सो वह मिला दृश्य सन रहई ।। वास्तव मँह न भयो कछु कैसे । स्वप्न -सृष्टि पुनि जाग्रत जैसे… Read More