भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय २०८ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय २०८ अनुक्रमणिका-कथन (वृत्तान्त) इस पर्व के प्रारम्भ में महाराज युधिष्ठिर के पास महर्षि वेदव्यास के साथ अनेक ऋषियों के आगमन, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, नारद को वैष्णवीमाया का दर्शन, संसार के दोषों का वर्णन, पापों के भेद, शुभ… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय २०७ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय २०७ श्रीकृष्ण का द्वारका-गमन-वर्णन श्रीकृष्ण बोले — राजन् ! मैंने व्रत तथा दान द्वारा तुम्हें धर्मों का वर्णन सुनाया है, क्योंकि यही धर्म के मूल कारण हैं । अतः तुम निरन्तर अपनी धार्मिक भावना दृढ़ करो ।… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय २०६ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय २०६ रोहिणीचन्द्रशयन विधि का वर्णन नारद बोले — मुझे चन्द्रमौलिक (शिव) जी के उस व्रत की भलीभाँति व्याख्या बताने की कृपा करें, जिससे दीर्घायु, नीरोग और कुल आदि की वृद्धि समेत पुरुष प्रत्येक जन्म में गुणी होता… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय २०५ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय २०५ सदाचार धर्म-वर्णन युधिष्ठिर ने कहा — मधुसूदन ! मैं तो प्रतिपदा आदि तिथियों के क्रमशः विस्तृत वर्णन रहस्य मंत्र समेत प्रारम्भ उद्यापन विधान सुना । नवग्रह यज्ञ से होमकर्म, स्नान क्रम, समस्त उत्सव, निखिल दान धर्म,… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय २०४ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय २०४ शर्कराचल दानविधि-वर्णन श्रीकृष्ण बोले — मैं तुम्हें उत्तम शक्कर-पर्वत का विधान बता रहा हूँ, जिसके दान करने से विष्णु, सूर्य और रुद्र देव सर्वदा प्रसन्न रहते हैं । इसके निर्माण में आठ-भार शक्कर का उत्तम पर्वत,… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय २०३ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय २०३ रौप्याचलदानविधि-वर्णन श्रीकृष्ण बोले — नरोत्तम ! मैं तुम्हें वह उत्तम रौप्याचल व्रत का विधान बता रहा हूँ जिसके द्वारा मनुष्य सोमलोक प्राप्त करता है । उसके निर्माण में सहस्र पल चाँदी का पर्वत उत्तम, पाँच सौ… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय २०२ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय २०२ रत्नाचलदानविधि-वर्णन श्रीकृष्ण बोले — मैं तुम्हें रत्नाचल का विधान बता रहा हूँ, जिसके दान करने से मनुष्य सप्तर्षि के लोकों की प्राप्ति करता है और जो सहस्रों मोतियों द्वारा निर्मित पर्वत उत्तम, पाँच सौ मध्यम, और… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय २०१ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय २०१ घृताचल दान विधि-वर्णन श्रीकृष्ण बोले — मैं तुम्हें घृताचल का विधान बता रहा हूँ, जो तेज तथा अमृतमय, दिव्य एवं महापातकों का नाश करता है । इसके निर्माण में पाँच सौ घृत पूर्ण कलश का उत्तम… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय २०० ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय २०० कपास पर्वत दान विधि का वर्णन श्रीकृष्ण बोले — अब मैं तुम्हें कपास (रुई) पर्वत के दान का विधान बता रहा हूँ, जो समस्त दानों में उत्तम एवं समस्त देवों को अत्यन्त प्रिय है । धनागम… Read More


भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १९९ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय १९९ तिलाचल दान-विधि-वर्णन श्रीकृष्ण बोले — मैं तुम्हें सविधान तिल शैल का वर्णन सुना रहा हूँ, जिसके दान करने से मनुष्य परमोत्तम विष्णुलोक की प्राप्ति करता है । तिल अत्यन्त पवित्र एवं पवित्रों में पावन है, भगवान्… Read More