भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय २३ भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय २३ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – २३ विक्रमस्य यज्ञकरणम्, चंद्रलोकं प्रतिगमनम्, भर्तृहरिवृत्तान्त व्यास जी बोले-विशाला नगरी में स्थित महर्षि वृन्द ने इसे सुनकर केदार कुण्ड में स्नान करके शिव जी की मानसिक अर्चना प्रारम्भ की । इसी प्रकार… Read More
भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय २२ भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय २२ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – २२ क्षत्रसिंहनृपतिकथावर्णनम्, विक्रमाख्यानकालवर्णनम् वैताल बोले — राजन् ! गंगा-यमुना के मध्य प्रदेश में बिल्वती नामक गाँव है। जन्मान्तर में मैं वहाँ का क्षत्रसिह नामक राजा था। उसी गाँव में शम्भुदत्त नामक ब्राह्मण… Read More
भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय २१ भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय २१ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – २१ विष्णुस्वामिचतुष्पुत्रकथा सूत जी बोले — इतना कहने पर उस वैताल ने विनम्र होकर राजा से कहा — जयस्थल नगर में वर्धमान नामक राजा हुआ । उसकी राजधानी में विष्णु स्वामी नामक… Read More
भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय २० भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय २० ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – २० अनंगमञ्जरीकथा सूत जी बोले — इतना सुनकर वैताल ने पुनः राजा से कथा कहना आरम्भ किया । उस रमणीक विशाल नामक नगर में विपुलेश नामक राजा राज्य करता था । उस… Read More
भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १९ भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १९ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – १९ विप्रपुत्रकथा चित्रकूट में रूपदत्त नामक राजा रहता था । वह मृगया (शिकार) के लिए एक वन से दूसरे वन में पहुँच गया । वहां मध्याह्न के समय सरोवर के तट पर… Read More
भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १८ भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १८ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – १८ मोहिनीनामकचोरविप्रपत्नी-चोरपिण्ड कथा सूतजी बोले — शौनक, महाप्राज्ञ ! वैताल ने राजा से कहा-कम्बल नगर में सूदक्ष नामक राजा रहता था, जो न्यायी, धार्मिक, शूर, दानी एवं शिव जी का उपासक था।… Read More
भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १७ भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १७ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – १७ गुणाकराख्यद्विजसुत -यक्षिणीकथा सूत जी बोले — उस ब्राह्मण रूपधारी वैताल ने पुनः राजा से कहा — राजन् महाभाग ! मैं तुम्हें मनोहर कथा सुना रहा हूँ सुनो — महाभाग ! उज्जयिनी… Read More
भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १६ भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १६ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – १६ अधिक साहसी कौन ? कामावरूथिन्याख्य वैश्य कन्या कथा सूत जी बोले — उस वैताल ने पुनः ज्ञान निपुण उस राजा से कहा — दक्षिण प्रदेश में राजा चन्द्रशेखर की राजधानी है… Read More
भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १५ भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १५ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – १५ जीवन-दान का आदर्श जीमूतवाहन-शंखचूड-गरुडकथा सृत जी बोले — विप्र ! रुद्रगण उस वैताल ने राजा की प्रशंसा करते हुए पुनः एक सुन्दर आख्यान का वर्णन करना आरम्भ किया — महाराज !… Read More
भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १४ भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १४ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – १४ चन्द्रावलीकथा सूत जी बोले — भृगुवर्य, महाभाग ! वैताल ने राजा से कहा — राजन् ! पुष्पावती नामक रमणीक नगरी में सुविचार नामक राजा राज करता था । वह प्रजाओं के… Read More