भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १३ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – १३ (सुखभाविनी वैश्य कन्या-चोरकथा) सूत जी बोले — कृतकृत्य होकर उस वैताल ने प्रसन्नचित्त से राजा से कहा — चन्द्रहृदय नामक नगर में रणधीर नामक राजा राज कर रहा था । उसी… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १२ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – १२ किये गये कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है (ब्राह्मण हत्या कथा) शौनक ने कहा — वैताल ने हँसकर राजा से कहा — राजन् ! चूड़ापुर में चूड़ामणि नामक राजा राज… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय ११ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – ११ विषयी राजा राज्य के विनाश का कारण बनता है (राजा धर्मवल्लभ और मंत्री बुद्धिप्रकाश की कथा) सूत जी बोले — महाभाग ! शौनक ! उस वैताल देव ने पुनः शुभ एवं… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय १० ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – १० सबसे अधिक श्रेष्ठ कौन? (गुणशेखर राज पत्नी कथा) सूत जी बोले — महाभाग ! वैताल ने राजा से यह कहा कि — महाराज ! गौड़ देश में वर्धन नामक नगर है,… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय ९ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – ९ किसका सत्य श्रेष्ठ (कामालसाख्य वैश्य कन्या कथा) सूतजी बोले — महाबुद्धे, शौनक ! उस महाकुशल राजा का सम्मान करता हुआ वैताल ने उनसे कहा — राजन् ! रमणीक कामपुर नामक नगर… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय ८ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – ८ (कुसुमदा देवी चिरंजीव कथा) सूत जी बोले — इसे सुनकर वैताल ने राजा से कहा — राजन् ! विदेह प्रदेश में मिथिला नामक नगरी है, धन-धान्य सम्पन्न गुणाधिप नामक राजा वहाँ… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय ७ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – ७ समान-वर्ण में विवाह-सम्बन्ध का औचित्य (त्रिलोकसुन्दरी की कथा) सूत जी बोले— उस समय वह वैताल प्रसन्न होकर राजा से एक उत्तम गाथा का वर्णन करने लगा । चम्पापुरी में चम्प नामक… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय ६ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – ६ पत्नी किसकी ? (कामांगी कन्या कथा) सूत जी बोले — पुनः वैताल ने कहा — राजन् ! इस कथा को सुनो ! उस धर्मपुर गाँव में जो रमणीक और अनेक जाति… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय ५ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – ५ वरण करने योग्य वर (हरिदास कन्या महादेवी की कथा) सूत जी बोले — भृगुश्रेष्ठ, महाभाग ! प्रसन्न होकर उस वैताल ने ज्ञान-निधि उस राजा विक्रमादित्य से कहा — महाराज ! उज्जयिनी… Read More


भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय ४ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — द्वितीय भाग) अध्याय – ४ अधिक पाप करने वाला कौन स्त्री या पुरुष (राजा रुपवर्मा तथा रानी चन्द्रावती की कथा) सूत उवाच — इसे सुनकर वैताल ने राजा से पुनः कहा — परम अद्भुत एक भोगावती… Read More