श्रीकृष्णजन्माष्टमी – व्रत की विधि ( शिवपुराण, विष्णपुराणु, ब्रह्मवैवर्त, अग्निपुराण, भविष्यादि पुराणों में जन्माष्टमी व्रत का उल्लेख है ।) -यह व्रत भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को किया जाता है । भगवान् श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि के समय वृष राशि के चन्द्रमा में हुआ था । अतः अधिकांश उपासक… Read More


जन्माष्टमी व्रत के पूजन, उपवास और महत्त्व आदि का निरूपण (ब्रह्म वैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्मखण्ड: अध्याय 8) नारद जी बोले– भगवन! जन्माष्टमी-व्रत समस्त व्रतों में उत्तम कहा गया है। अतः आप उसका वर्णन कीजिये। जिस जन्माष्टमी-व्रत में जयन्ती नामक योग प्राप्त होता है, उसका फल क्या है? तथा सामान्यतः जन्माष्टमी-व्रत का अनुष्ठान करने से किस फल… Read More


जन्माष्टमी व्रत – अग्निपुराण अध्याय १६३ अग्निदेव कहते हैं – वसिष्ठ ! अब मैं अष्टमी को किये जानेवाले व्रतों का वर्णन करूँगा । उनमें पहला रोहिणी नक्षत्रयुक्त अष्टमी का व्रत है । भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की रोहिणी नक्षत्र से युक्त अष्टमी तिथि को ही अर्धरात्रि के समय भगवान् श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ था, इसलिये… Read More


वैशाख शुक्ल तृतीया (अक्षयतृत्तीया) वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षयतृतीया कहते हैं । यह सनातनधर्मियों का प्रधान त्यौहार है । इस दिन दिये हुए दान और किये हुए स्त्रान, होम, जप आदि सभी कर्मों का फल अनन्त 1 होता है – सभी अक्षय हो जाते हैं; इसीसे इसका नाम अक्षया 2 हुआ है । इसी तिथि… Read More


श्री गरुड़-पुराणोक्त रोग-नाशिनी श्री धन्वन्तरि व्रत-कथा प्रथम अध्याय सनकादिक मुनियों ने सूत जी से कहा – हे सूत महा-मुने ! आपने भगवान् धन्वन्तरि की पूजा-विधि का विस्तार-पूर्वक वर्णन किया, किन्तु इसे सुनने पर भी हमें तृप्ति नहीं हुई । अतः श्री धन्वन्तरि का माहात्म्य अधिक विस्तार से बताइए । मुनि-श्रेष्ठ सुत जी ने कहा –… Read More


शरत्-पूर्णिमाः ‘लक्ष्मी-इन्द्र-कुबेर-पूजन’ ‘आश्विन पूर्णिमा’ में “प्रदोष-लक्ष्मी-पूजन’ 1.  सायं-काल यथा-शक्ति पूजा-सामग्री को एकत्र कर पवित्र आसन पर बैठे। आचमन कर दाएँ हाथ में जल-अक्षत-पुष्प लेकर ‘संकल्प’ करे। यथा- ॐ अस्य रात्रौ आश्विन-मासे-शुक्ल-पक्षे पूर्णिमायां तिथौ अमुक-गोत्रस्य अमुक-शर्मा (वर्मा या दासः) मम सकल-दुःख-दारिद्र्य-निरास-पूर्वक लक्ष्मी-इन्द्र-कुबेर-पूजनं अहं करिष्यामि (करिष्ये)।… Read More


विजया-दशमी ‘आश्विन शुक्ल पक्ष’ की दशमी को ‘विजया-दशमी’ का पर्व होता है। ‘ज्योतिर्निबन्ध ‘ में लिखा है कि ‘आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये । स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये ॥’… Read More


अपराजिता – पूजा (निर्णयामृत ) – आश्विन शुक्ल दशमीको प्रस्थान करने के पहले अपराजिता का पूजन किया जाता है । उसके लिये अक्षतादि के अष्टदल पर मृत्तिका की मूर्ति स्थापन करके – ‘ॐ अपराजितायै नमः’ इससे अपराजिता का, ( उसके दक्षिण भागमें )… Read More


नव-पत्रिका-पूजन बिल्वनिमन्त्रण – आश्विन शुक्ल षष्ठी को प्रातः-कृत्यादि करके देवी का पूजन करे और यदि ज्येष्ठा हो तो उनकी पूजा के लिये बिल्व-वृक्ष को निमन्त्रित करें। बिल्व-सप्तमी –… Read More


शारदीय नव-रात्र में कलश-स्थापन चारों नव-रात्रों में “शारदीय-नव-रात्र’ का विशेष महत्त्व है। कहा भी है- शरत्-काले महा-पूजा, क्रियते या च वार्षिकी । तस्याह सकलां बाधां, नाशयिष्याम्यसंशयम् ।। ऐसी दशा में ‘शारदीय नव-रात्र’ के पूजा-विधान पर विशेष रुप से ध्यान देना आवश्यक है। भगवान् आशुतोष कथित अनेक तन्त्र-शास्त्र एवं स्मार्त-शास्त्र इस पूजा के उत्तमोत्तम विधि-विधान से… Read More