ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 57 February 8, 2025 | aspundir | Leave a comment ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 57 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ सतावनवाँ अध्याय दुर्गाजी के सोलह नामों की व्याख्या, दुर्गा की उत्पत्ति तथा उनके पूजन की परम्परा का संक्षिप्त वर्णन नारदजी बोले — ब्रह्मन् ! मैंने अत्यन्त अद्भुत सम्पूर्ण उपाख्यानों को सुना। अब दुर्गाजी के उत्तम उपाख्यान को सुनना चाहता… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 56 February 8, 2025 | aspundir | Leave a comment ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 56 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ छप्पनवाँ अध्याय श्रीजगन्मङ्गल-राधाकवच तथा उसकी महिमा श्रीपार्वती बोलीं — श्रीराधा की पूजा का विधान और स्तोत्र अत्यन्त अद्भुत है, उसे मैंने सुन लिया । अब राधा-कवच का वर्णन कीजिये । आपकी कृपा से उसे भी सुनूँगी । श्रीमहेश्वर ने… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 55 February 8, 2025 | aspundir | Leave a comment ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 55 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ पचपनवाँ अध्याय श्रीराधा के ध्यान, षोडशोपचार पूजन, परिचारिका पूजन, परिहार स्तवन, पूजन-महिमा तथा स्तुति एवं उसके माहात्म्य का वर्णन श्रीपार्वती ने पूछा — भगवन् ! आप पुरुषों के ईश्वर श्रीकृष्ण के मन्त्र के होते हुए उन वैष्णव नरेश सुयज्ञ… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 54 February 7, 2025 | aspundir | Leave a comment ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 54 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ चौवनवाँ अध्याय गोलोक एवं श्रीकृष्ण की उत्कृष्टता, कालमान एवं विभिन्न प्रलयों का निरूपण, चौदह मनुओं का परिचय, ब्रह्मा से लेकर प्रकृति तक के श्रीकृष्ण में लय होने का वर्णन, शिव का मृत्युञ्जयत्व, मूलप्रकृति से महाविष्णु का प्रादुर्भाव, सुयज्ञ को… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 53 February 7, 2025 | aspundir | Leave a comment ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 53 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ तिरपनवाँ अध्याय सुतपा के द्वारा सुयज्ञ को शिवप्रदत्त परम दुर्लभ महाज्ञान का उपदेश श्रीपार्वतीजी ने पूछा — प्रभो ! मुनिसमूहों के चले जाने पर मनुष्यों के कर्मफल का वर्णन सुनने के अनन्तर ब्रह्मशाप से विह्वल हुए नृपश्रेष्ठ सुयज्ञ ने… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 52 February 7, 2025 | aspundir | Leave a comment ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 52 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ बावनवाँ अध्याय शेष कृतघ्नों के कर्मफलों का विभिन्न मुनियों द्वारा प्रतिपादन पार्वती ने पूछा — प्रभो ! अन्य कृतघ्नों को जिस-जिस फल की प्राप्ति होती है, उसके विषय में उन वेद-वेदाङ्ग के पारंगत विद्वानों ने क्या कहा ? श्रीमहेश्वर… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 51 February 7, 2025 | aspundir | Leave a comment ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 51 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ इक्यावनवाँ अध्याय ऋषियों द्वारा ब्राह्मण को क्षमा के लिये प्रेरित करते हुए कृतघ्नों के भेद तथा विभिन्न पापों के फल का प्रतिपादन पार्वती ने पूछा — प्रभो ! ब्राह्मणों और ब्रह्माजी के पुत्रों ने, जो नीति के विद्वान् थे,… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 50 February 7, 2025 | aspundir | Leave a comment ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 50 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ पचासवाँ अध्याय राजा सुयज्ञ की यज्ञशीलता और उन्हें ब्राह्मण के शाप की प्राप्ति पार्वती ने पूछा — प्रभो ! राजा सुयज्ञ कौन थे? किस वंश में उनका जन्म हुआ था ? उन्हें ब्राह्मण का शाप कैसे प्राप्त हुआ था… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 49 February 6, 2025 | aspundir | Leave a comment ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 49 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ उनचासवाँ अध्याय श्रीराधा और श्रीकृष्ण के चरित्र तथा श्रीराधा की पूजा-परम्परा का अत्यन्त संक्षिप्त परिचय श्रीमहादेवजी कहते हैं — पार्वति ! एक समय की बात है, श्रीकृष्ण विरजा नाम वाली सखी के यहाँ उसके पास थे। इससे श्रीराधाजी को… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 48 February 6, 2025 | aspundir | Leave a comment ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 48 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ अड़तालीसवाँ अध्याय नारद-नारायण-संवाद में पार्वतीजी के पूछने पर महादेवजी के द्वारा श्रीराधा के प्रादुर्भाव एवं महत्त्व आदि का वर्णन नारदजी बोले — भगवान् नारायण के ध्यान में तत्पर रहनेवाले महाभाग मुनिवर नारायण ! आप नारायण के ही अंश हैं।… Read More