शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 22 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] बाईसवाँ अध्याय शिवशास्त्रोक्त न्यास आदि कर्मोंका वर्णन उपमन्यु बोले – [हे कृष्ण !] स्थिति, उत्पत्ति तथा लयके क्रमसे न्यास तीन प्रकारका कहा गया है। स्थिति [ नामक ] न्यास गृहस्थोंके लिये और उत्पत्तिन्यास ब्रह्मचारियोंको विहित बताया गया… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 21 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] इक्कीसवाँ अध्याय शिवशास्त्रोक्त नित्य नैमित्तिक कर्मका वर्णन श्रीकृष्ण बोले- मैं शिवके आश्रमका सेवन करनेवालोंके शिवशास्त्रोक्त नित्य – नैमित्तिक कर्मको सुनना चाहता हूँ ॥ १ ॥ उपमन्यु बोले – प्रातःकाल शयनसे उठकर पार्वतीसहित शिवका ध्यान करके अपने [… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 20 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] बीसवाँ अध्याय योग्य शिष्यके आचार्यपदपर अभिषेकका वर्णन तथा संस्कारके विविध प्रकारोंका निर्देश उपमन्यु कहते हैं- यदुनन्दन ! जिसका इस प्रकार संस्कार किया गया हो और जिसने पाशुपत – व्रतका अनुष्ठान पूरा कर लिया हो, वह शिष्य यदि… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 19 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] उन्नीसवाँ अध्याय साधक – संस्कार और मन्त्र – माहात्म्यका वर्णन उपमन्यु कहते हैं— [ यदुनन्दन !] अब मैं साधक-संस्कार और मन्त्र – माहात्म्यका वर्णन करूँगा। इस बातकी सूचना मैं पहले दे चुका हूँ ॥ १ ॥ पूर्ववत्… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 18 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] अठारहवाँ अध्याय षडध्वशोधनकी विधि उपमन्यु कहते हैं— यदुनन्दन ! तदनन्तर गुरुकी आज्ञा ले शिष्य स्नान आदि सम्पूर्ण कर्मको समाप्त करके शिवका चिन्तन करता हुआ हाथ जोड़ शिवमण्डलके समीप जाय ॥ १ ॥ इसके बाद पूजाके सिवा पहले… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 17 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] सत्रहवाँ अध्याय षडध्वशोधनका निरूपण उपमन्यु कहते हैं – यदुनन्दन ! इसके बाद गुरु शिष्यकी योग्यताको देखकर उसके सम्पूर्ण बन्धनोंकी निवृत्तिके लिये षडध्वशोधन करे ॥ १ ॥ कला, तत्त्व, भुवन, वर्ण, पद और मन्त्र-ये ही संक्षेपसे छः अध्वा… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 16 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] सोलहवाँ अध्याय समय-संस्कार या समयाचारकी दीक्षाकी विधि उपमन्यु कहते हैं—– यदुनन्दन ! नाना प्रकारके दोषोंसे रहित शुद्ध स्थान और पवित्र दिनमें गुरु पहले शिष्यका ‘समय’ नामक संस्कार करे ॥ १ ॥ गन्ध, वर्ण और रस आदिसे विधिपूर्वक… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 15 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] पन्द्रहवाँ अध्याय त्रिविध दीक्षाका निरूपण, शक्तिपातकी आवश्यकता तथा उसके लक्षणोंका वर्णन, गुरुका महत्त्व, ज्ञानी गुरुसे ही मोक्षकी प्राप्ति तथा गुरुके द्वारा शिष्यकी परीक्षा श्रीकृष्ण बोले – भगवन् ! आपने मन्त्रका माहात्म्य तथा उसके प्रयोगका विधान बताया, जो… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 14 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] चौदहवाँ अध्याय गुरुसे मन्त्र लेने तथा उसके जप करनेकी विधि, पाँच प्रकारके जप तथा उनकी महिमा, मन्त्रगणनाके लिये विभिन्न प्रकारकी मालाओंका महत्त्व तथा अंगुलियोंके उपयोगका वर्णन, जपके लिये उपयोगी स्थान तथा दिशा, जपमें वर्जनीय बातें, सदाचारका महत्त्व,… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 13 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] तेरहवाँ अध्याय पंचाक्षर मन्त्रकी महिमा, उसमें समस्त वाङ्मयकी स्थिति, उसकी उपदेशपरम्परा, देवीरूपा पंचाक्षरीविद्याका ध्यान, उसके समस्त और व्यस्त अक्षरोंके ऋषि, छन्द, देवता, बीज, शक्ति तथा अंगन्यास आदिका विचार देवी बोलीं- महेश्वर ! दुर्जय, दुर्लङ्घ्य एवं कलुषित कलिकालमें… Read More