॥ हेरम्बोपनिषत् ॥ ॐ सहनाववतु । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अथातो हेरम्बोपनिषदं व्याख्यास्यामः । गौरी सा सर्वमङ्गला सर्वज्ञं परिसमेत्योवाच । अधीहि भगवन्नात्मविद्यां प्रशस्तां यया जन्तुर्मुच्यते मायया च । यतो दुःखाद्विमुक्तो याति लोकं परं शुभ्रं केवलं सात्विकं च ॥ १॥… Read More


॥ गौरिकृतम् हेरम्बस्तोत्रं ॥ ॥ गौर्युवाच ॥ गजानन ज्ञानविहारकारिन्न मां च जानासि परावमर्षाम् । गणेश रक्षस्व न चेच्छरीरं त्यजामि सद्यस्त्वयि भक्तियुक्ता ॥ १ ॥ विघ्नेश हेरम्ब महोदर प्रिय लम्बोदर प्रेमविवर्धनाच्युत । विघ्नस्य हर्ताऽसुरसङ्घहर्ता मां रक्ष दैत्यात्वयि भक्तियुक्ताम् ॥ २ ॥… Read More


॥ महागणपति मंत्रः ॥ मंत्र – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा । यह मन्त्र संसार का वशीकरण कर सर्वसिद्धि देने वाला है । विनियोगः- ॐ अस्य श्री महागणपति मंत्रस्य गणक ऋषिः (शिरसि), निवृद गायत्री छन्दः (मुखे), महागणपतये देवताये (हृदि), सर्वाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।… Read More


गणेशजी  शाबर मंत्र प्रयोग १ – निम्न मंत्र का पाठ प्रति दिन तीन बार करने से विद्या, बुद्धि की प्राप्ति होती है । मंत्रः— जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश पाहि माम । जय गणेश जय गणेश, जय गणेश रक्ष माम । जय सरस्वती, जय सरस्वती जय सरस्वती पाहि माम । जय अम्बे, जय अम्बे,… Read More


॥ विरिगणपति ॥ इस देवता की वीरभाव से उपासना करे, पात्रासादन तथा शक्त्यार्चन कर पूजा करें तो अधिक लाभ रहे । इस मंत्र के गणक ऋषि, गायत्री छन्द तथा विरिंगणपति देवता है । मंत्र :- ॐ ह्रीं विरि विरिगणपति वर वरद सर्वलोकं मे वशमानय स्वाहा ।… Read More


॥ अथ दशाक्षर क्षिप्रप्रसादगणपति (विघ्नराज) मंत्र ॥ मन्त्र – गं क्षिप्रप्रसादनाय नमः । क्षिप्र प्रसाद गणपति का पूजन श्रीविद्या ललिता सुन्दरी उपासना में मुख्य है । इनके बिना श्री विद्या अधूरी है। जो साधक श्री साधना करते हैं उन्हें सर्वप्रथम इनकी साधना कर इन्हें प्रसन्न करना चाहिए। कामदेव की भस्म से उत्पन्न दैत्य से श्री… Read More


॥ अथ उच्छिष्ट गणपति प्रयोगः ॥ उच्छिष्ट गणपति का प्रयोग अत्यंत सरल है तथा इसकी साधना में अशुचि-शुचि आदि बंधन नहीं हैं तथा मंत्र शीघ्रफल प्रद है । यह अक्षय भण्डार का देवता है । प्राचीन समय में यति जाति के साधक उच्छिष्ट गणपति या उच्छिष्ट चाण्डालिनी (मातङ्गी) की साधना व सिद्धि द्वारा थोड़े से… Read More


॥ एकाक्षर गणपति कवचम् अथवा त्रैलोक्यमोहन कवचम् ॥ ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ नमस्तस्मै गणेशाय सर्वविघ्नविनाशिने । कार्यारम्भेषु सर्वेषु पूजितो यः सुरैरपि ॥ १॥ ॥ पार्वत्युवाच॥ भगवन् देवदेवेश लोकानुग्रहकारकः । इदानी श्रोतृमिच्छामि कवचं यत्प्रकाशितम् ॥ २॥ एकाक्षरस्य मन्त्रस्य त्वया प्रीतेन चेतसा । वदैतद्विधिवद्देव यदि ते वल्लभास्म्यहम् ॥ ३॥… Read More


॥ शत्रुसंहारकमेकदन्तस्तोत्रम् ॥ ॥ सनत्कुमार उवाच ॥ श‍ृणु शम्भ्वादयो देवा मदासुरविनाशने । उपायं कथयिष्यामि तत्कुरुध्वं मुनीश्वराः ॥ १ ॥ गणेशं पूजयध्वं वै यूयं सर्वे समावृताः । स बाह्यान्तरसंस्थो वै हनिष्यति मदासुरम् ॥ २ ॥ सनत्कुमारवाक्यं तच्छ्रुत्वा देवर्षिसत्तमाः । ऊचुस्तं प्रणिपत्यादौ भक्तिनम्रात्मकन्धराः ॥ ३ ॥… Read More