श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-नवमः स्कन्धः-अध्याय-20 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-नवमः स्कन्धः-विंशोऽध्यायः बीसवाँ अध्याय पुष्पदन्त का शंखचूड़ के पास जाकर भगवान् शंकर का सन्देश सुनाना, युद्ध की बात सुनकर तुलसी का सन्तप्त होना और शंखचूड़ का उसे ज्ञानोपदेश देना शङ्‌खचूडेन सह देवानां सङ्ग्रामोद्योगवर्णनम् श्रीनारायण बोले — [हे नारद!] उस दानव के… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-नवमः स्कन्धः-अध्याय-19 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-नवमः स्कन्धः-एकोनविंशोऽध्यायः उनीसवाँ अध्याय तुलसी के साथ शंखचूड़ का गान्धर्वविवाह, शंखचूड़ से पराजित और निर्वासित देवताओं का ब्रह्मा तथा शंकरजी के साथ वैकुण्ठधाम जाना, श्रीहरि का शंखचूड़ के पूर्वजन्म का वृत्तान्त बताना शङ्‌खचूडेन सह तुलसीसङ्‌गमवर्णनम् नारदजी बोले — [ हे भगवन्!]… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-नवमः स्कन्धः-अध्याय-18 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-नवमः स्कन्धः-अष्टादशोऽध्यायः अठारहवाँ अध्याय तुलसी को स्वप्न में शंखचूड़ का दर्शन, ब्रह्माजी का शंखचूड़ तथा तुलसी को विवाह के लिये आदेश देना शङ्‌खचूडेन सह तुलस्याः सङ्‌गतिवर्णनम् श्रीनारायण बोले — [हे नारद!] एक समय की बात है — वृषध्वज की नवयौवनसम्पन्न कन्या… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-नवमः स्कन्धः-अध्याय-17 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-नवमः स्कन्धः-सप्तदशोऽध्यायः सत्रहवाँ अध्याय भगवती तुलसी के प्रादुर्भाव का प्रसंग धर्मध्वजसुतातुलस्युपाख्यानवर्णनम् श्रीनारायण बोले — [हे नारद!] राजा धर्मध्वज की पत्नी माधवी नाम से प्रसिद्ध थी । वह राजा के साथ गन्धमादन पर्वत पर एक सुरम्य उपवन में विहार करती थी ॥… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-नवमः स्कन्धः-अध्याय-16 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-नवमः स्कन्धः-षोडशोऽध्यायः सोलहवाँ अध्याय वेदवती की कथा, इसी प्रसंग में भगवान् श्रीराम के चरित्र के एक अंश का कथन, भगवती सीता तथा द्रौपदी के पूर्वजन्म का वृत्तान्त महालक्षम्या वेदवतीरूपेण राजगृहे जन्मवर्णनम् श्रीनारायण बोले — हे मुने! उन दोनों ने कठिन तपस्या… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-नवमः स्कन्धः-अध्याय-15 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-नवमः स्कन्धः-पञ्चदशोऽध्यायः पन्द्रहवाँ अध्याय तुलसी के कथा-प्रसंग में राजा वृषध्वज का चरित्र-वर्णन नारायणनारदसंवादे शक्तिप्रादुर्भावः नारदजी बोले — परम साध्वी तुलसी भगवान् श्रीहरि की प्रिय भार्या कैसे बनीं, वे कहाँ उत्पन्न हुई थीं, पूर्वजन्म में कौन थीं, किसके कुल में उत्पन्न हुई… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-नवमः स्कन्धः-अध्याय-14 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-नवमः स्कन्धः-चतुर्दशोऽध्यायः चौदहवाँ अध्याय गंगा के विष्णु पत्नी होने का प्रसंग गङ्‌गायाः कृष्णपत्‍नीत्ववर्णनम् नारदजी बोले — [ हे प्रभो ! ] यह तो मैंने आपसे सुन लिया कि लक्ष्मी, सरस्वती, गंगा और विश्वपावनी तुलसी — ये चारों ही भगवान् नारायण की… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-नवमः स्कन्धः-अध्याय-13 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-नवमः स्कन्धः-त्रयोदशोऽध्यायः तेरहवाँ अध्याय श्रीराधाजी के रोष से भयभीत गंगा का श्रीकृष्ण के चरणकमलों की शरण लेना, श्रीकृष्ण के प्रति राधा का उपालम्भ, ब्रह्माजी की स्तुति से राधा का प्रसन्न होना तथा गंगा का प्रकट होना गङ्‌गोपाख्यानवर्णनम् नारदजी बोले — हे… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-नवमः स्कन्धः-अध्याय-12 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-नवमः स्कन्धः-द्वादशोऽध्यायः बारहवाँ अध्याय गंगा के ध्यान एवं स्तवन का वर्णन, गोलोक में श्रीराधा-कृष्ण के अंश से गंगा के प्रादुर्भाव की कथा गङ्‌गोपाख्यानवर्णनम् श्रीनारायण बोले — [ हे नारद!] कण्वशाखा में कहा गया यह देवी-ध्यान सभी पापों का नाश करने वाला… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-नवमः स्कन्धः-अध्याय-11 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-नवमः स्कन्धः-एकादशोऽध्यायः ग्यारहवाँ अध्याय गंगा की उत्पत्ति एवं उनका माहात्म्य गङ्‌गोपाख्यानवर्णनम् नारदजी बोले — हे वेदवेत्ताओं में श्रेष्ठ ! पृथ्वी का यह परम मनोहर उपाख्यान मैं सुन चुका; अब आप गंगा का उपाख्यान कहिये । सुरेश्वरी, विष्णुस्वरूपा और स्वयं विष्णुपदी —… Read More