श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-11 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-11 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-षष्ठ स्कन्धः-एकादशोऽध्यायः ग्यारहवाँ अध्याय युगधर्म एवं तत्सम्बन्धी व्यवस्था का वर्णन युगधर्मव्यवस्थावर्णनम् जनमेजय बोले — हे द्विजश्रेष्ठ ! पृथ्वी का भार उतारने के लिये बलराम और श्रीकृष्ण के अवतार की बात आपने कही, किंतु मेरे मन में एक संशय है ॥ १… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-10 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-10 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-षष्ठ स्कन्धः-दशमोऽध्यायः दसवाँ अध्याय कर्म की गहन गति का वर्णन तथा इस सम्बन्ध में भगवान् श्रीकृष्ण और अर्जुन का उदाहरण कर्मणां गहनगतिवर्णनम् जनमेजय बोले — हे ब्रह्मन् ! आपने अद्भुत कर्म करने वाले इन्द्र का आख्यान कहा, जिसमें उनके पदच्युत होने… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-09 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-09 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-षष्ठ स्कन्धः-नवमोऽध्यायः नौवाँ अध्याय शची का इन्द्र से अपना दुःख कहना, इन्द्र का शची को सलाह देना कि वह नहुष से ऋषियों द्वारा वहन की जा रही पालकी में आने को कहे, नहुष का ऋषियों द्वारा वहन की जा रही पालकी… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-08 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-08 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-षष्ठ स्कन्धः-अष्टमोऽध्यायः आठवाँ अध्याय इन्द्राणी को बृहस्पति की शरण में जानकर नहुष का क्रुद्ध होना, देवताओं का नहुष को समझाना, बृहस्पति के परामर्श से इन्द्राणी का नहुष से समय माँगना, देवताओं का भगवान् विष्णु के पास जाना और विष्णु का उन्हें… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-07 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-07 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-षष्ठ स्कन्धः-सप्तमोऽध्यायः सातवाँ अध्याय त्वष्टा का वृत्रासुर की पारलौकिक क्रिया करके इन्द्र को शाप देना, इन्द्र को ब्रह्महत्या लगना, नहुष का स्वर्गाधिपति बनना और इन्द्राणी पर आसक्त होना इन्द्रस्य पद्मनालप्रवेशानन्तरं नहुषस्य देवेन्द्रपदेऽभिषेकवर्णनम् व्यासजी बोले — इस प्रकार उसे गिरा हुआ देखकर… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-06 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-06 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-षष्ठ स्कन्धः-षष्ठोऽध्यायः छठा अध्याय भगवान् विष्णु का इन्द्र को वृत्रासुर से सन्धि का परामर्श देना, ऋषियों की मध्यस्थता से इन्द्र और वृत्रासुर में सन्धि, इन्द्र द्वारा छलपूर्वक वृत्रासुर का वध छद्मेनेन्द्रेण फेनद्वारा पराशक्तिस्मरणमूर्वकं वृत्रहननवर्णनम् व्यासजी बोले — इस प्रकार वरप्राप्त उन… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-05 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-05 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-षष्ठ स्कन्धः-पञ्चमोऽध्यायः पाँचवाँ अध्याय भगवान् विष्णु की प्रेरणा से देवताओं का भगवती की स्तुति करना और प्रसन्न होकर भगवती का वरदान देना देवीसमाराधनाय देवकृतस्तुतिवर्णनम् व्यासजी बोले — हे राजन् ! तब सभी तत्त्वों के ज्ञाता माधव भगवान् विष्णु समस्त देवताओं को… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-04 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-04 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-षष्ठ स्कन्धः-चतुर्थोऽध्यायः चौथा अध्याय तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी का वृत्रासुर को वरदान देना, त्वष्टा की प्रेरणा से वृत्रासुर का स्वर्ग पर आक्रमण करके अपने अधिकार में कर लेना, इन्द्र का पितामह ब्रह्मा और भगवान् शंकर के साथ वैकुण्ठधाम जाना ब्रह्मनेतृत्वे… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-03 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-03 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-षष्ठ स्कन्धः-तृतीयोऽध्यायः तीसरा अध्याय वृत्रासुर का देवलोक पर आक्रमण, बृहस्पति द्वारा इन्द्र की भर्त्सना करना और वृत्रासुर को अजेय बतलाना, इन्द्र की पराजय, त्वष्टा के निर्देश से वृत्रासुर का ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिये तपस्यारत होना ब्रह्मणः समाराधनाय त्वष्ट्रा वृत्रोपदेशवर्णनम्… Read More
श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-02 श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-षष्ठ स्कन्धः-अध्याय-02 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-षष्ठ स्कन्धः-द्वितीयोऽध्यायः दूसरा अध्याय इन्द्र द्वारा त्रिशिरा का वध, क्रुद्ध त्वष्टा द्वारा अथर्ववेदोक्त मन्त्रों से हवन करके वृत्रासुर को उत्पन्न करना और उसे इन्द्र के वध के लिये प्रेरित करना त्रिशिरवधानन्तरं वृत्रोत्पत्तिवर्णनम् व्यासजी बोले — इस प्रकार लोभ के वशीभूत होकर… Read More