सर्वरोगनाशक धर्मराज मन्त्र विधानम् ॥ सर्वरोगनाशक धर्मराज मन्त्र विधानम् ॥ (मन्त्रमहोदधि ग्रन्थ में इसका संक्षिप्त विधान है।) संकल्प – मम सकलापदां विनाशनाय सर्वरोगाणां प्रशमनार्थे श्रीधर्मराज मन्त्र जपमहं करिष्ये। करन्यास – हृदयादिन्यास की तरह करें । ॐ क्रों ह्रीं हृदयाय नमः । ॐ आं वैं शिरसे स्वाहा । ॐ वैवस्वताय श्खिायै वषट् । ॐ धर्मराजाय कवचाय हुँ । ॐ भक्तानुग्रहकृते… Read More
सर्व रोग निवारक मन्त्र सर्व रोग निवारक मन्त्र विधिः- शनिवार को व्रत रख कर नियमपूर्वक रहकर एक माला उपरोक्त मंत्र की जपे। इसी प्रकार सात शनिवार तक करता रहे। ऐसा करने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। कंखाई अदीठ, कनफेरबद (एक प्रकार का चर्म रोग), कण्ठमाला, दाढ़ का दर्द इन्हें राख से झाड़ना चहिए। डमरु को, ताप तिल्ली को… Read More
नकसीर स्तम्भन मन्त्र नकसीर स्तम्भन मन्त्र मन्त्रः- “ॐ नमो गुरु की आज्ञा सार-सार महासागरे बांधूं सातवार फिर बांधूं तीन बार लोहे की सार बांधे हनुमन्त वीर पाके न फूटे तुरत सोखे।”… Read More
कण्ठवेल पीड़ा मुक्ति मन्त्र – कण्ठवेल पीड़ा मुक्ति मन्त्र – विधिः— किसी भी नवरात्रों में प्रतिदिन एक माला जप कर उपरोक्त मंत्र को सिद्ध करलें। फिर आवश्यकता पड़ने पर रोगी को मोरपंख से झाड़ें । सोमवार से रविवार तक प्रतिदिन सात बार झाड़ देने से कण्ठवेल सूख जाती है और रोगी को पूर्ण लाभ मिलता है । मन्त्रः- “ओम नमो… Read More
पीलिया झाड़ने का मन्त्र पीलिया झाड़ने का मन्त्र विधिः –श्री हनुमान जी की मूर्ति के आगे नित्य एक हजार मन्त्रों का जप कर इक्कीस दिनों तक इक्कीस हजार बार जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। साधना पूर्ण होने के बाद पीलिया ग्रस्त रोगी को सामने बैठाकर काँसे की कटोरी में तेल डाल कर उसके सिर के ऊपर रखें… Read More
अर्श (बवासीर) नाशक शाबर मन्त्र अर्श (बवासीर) नाशक शाबर मन्त्र मन्त्रः- “ॐ नमो आदेश गुरु को । खुरासान सूं आया वीर, छप्पन सूर संग में तीर । सीस कटै और खून न आवै, टपका एक पड़न नहिं पावै ।। खूनी बादी कैसी होय, करो दूर पीड़ा कम होय । शब्द साँचा पिण्ड काँचा, फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।।”… Read More
रोग, उपद्रव की शान्ति हेतु सप्तशती-प्रयोग रोग, उपद्रव की शान्ति हेतु सप्तशती-प्रयोग विनियोगः- ॐ अस्य श्री ‘शरणागत-दीनार्त’ इति मन्त्रस्य श्रीवह्नि-पुरोगमा-ब्रह्मादयो सेन्द्रा सुराः ऋषयः, श्रीमहा-काली देवता, ग्लौं बीजं, श्रीछाया शक्तिः, श्रीकाल्यादि-दश-महा-विद्याः, तमो गुण-प्रधाना त्रिगुणाः, श्रोतृ-प्रधान-पञ्च-ज्ञानेन्द्रियाणि, शान्तः रसः, कर-प्रधाना पञ्च-कर्मेन्द्रियाणि, स्तवन स्वरः, पञ्चतत्त्वानि, पञ्च कलाः, ऐं ह्रीं श्रीं उत्कीलनं, स्तवनं मुद्रा मम क्षेम्-स्थैर्यायुरोग्याभि-वृद्धयर्थं श्रीजगदम्बा-योग-माया-भगवती-दुर्गा-प्रसाद-सिद्धयर्थं च नमो-युत-प्रणव-वाग्-वीज-स्व-वीज-लोम-विलोम-पुटितोक्त-मन्त्र-जपे विनियोगः ।… Read More
रोग नाशक देवी मन्त्र रोग नाशक देवी मन्त्र “ॐ उं उमा-देवीभ्यां नमः” ‘Om um uma-devibhyaM namah’ इस मन्त्र से मस्तक-शूल (headache) तथा मज्जा-तन्तुओं (Nerve Fibres) की समस्त विकृतियाँ दूर होती है – ‘पागल-पन'(Insanity, Frenzy, Psychosis, Derangement, Dementia, Eccentricity)तथा ‘हिस्टीरिया’ (hysteria) पर भी इसका प्रभाव पड़ता है ।… Read More