श्रीमद्भागवतकी आरती ॥ श्रीहरिः ॥ ॥ श्रीमद्भागवतकी आरती ॥ आरति अतिपावन पुरान की । धर्म-भक्ति-विज्ञान-खान की ॥ आरति अतिपावन पुरान की ॥ महापुरान भागवत निरमल । शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल । परमानन्द-सुधा-रसमय कल । लीला-रति-रस रस-निधान की ॥ आरति अतिपावन पुरान की ॥ कलि-मल-मथनि त्रिताप-निवारिनि । जन्म-मृत्युमय भव-भय-हारिनि । सेवत सतत सकल सुखकारिनि । सुमहौषधि हरि-चरित-गान की ॥ आरति… Read More
श्रीमद्भागवत-पाठके विभिन्न प्रयोग श्रीमद्भागवत-पाठके विभिन्न प्रयोग भागवत-महिमा श्लोकार्द्धं श्लोकपादं वा नित्यं भागवतं पठेत् । यः पुमान् सोऽपि संसारान्मुच्यते किमुताखिलात् ॥ आधा श्लोक या चौथाई श्लोक का भी नित्य जो मनुष्य पाठ करता है, उसकी भी संसार से मुक्ति हो जाती है; फिर सम्पूर्ण पाठ करनेवाले की तो बात ही क्या है । एषा बुद्धिमतां बुद्धिर्यद् भागवतमादरात् । नित्यं… Read More
श्रीमद्भागवतमाहात्म्यम् – अध्याय ४ श्रीमद्भागवतमाहात्म्यम् – अध्याय ४ ॐ गणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय चौथा अध्याय श्रीमद्भागवत का स्वरूप, प्रमाण, श्रोता-वक्ता के लक्षण, श्रवणविधि और माहात्म्य शौनकादि ऋषियों ने कहा — सूतजी ! आपने हमलोगों को बहुत अच्छी बात बतायी । आपकी आयु बढे, आप चिरजीवी हों और चिरकाल तक हमें इसी प्रकार उपदेश करते रहें । आज… Read More
श्रीमद्भागवतमाहात्म्यम् – अध्याय ३ श्रीमद्भागवतमाहात्म्यम् – अध्याय ३ ॐ गणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय तीसरा अध्याय श्रीमद्भागवत की परम्परा और उसका माहात्म्य, भागवत-श्रवण से श्रोताओं को भगवद्धाम की प्राप्ति सूतजी कहते हैं — उद्धवजी ने वहाँ एकत्र हुए सब लोगों को श्रीकृष्ण-कीर्तन में लगा देखकर सभी का सत्कार किया और राजा परीक्षित् को हृदय से लगाकर कहा ॥… Read More
श्रीमद्भागवतमाहात्म्यम् – अध्याय २ श्रीमद्भागवतमाहात्म्यम् – अध्याय २ ॐ गणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय दूसरा अध्याय यमुना और श्रीकृष्णपत्नियों का संवाद, कीर्तनोत्सव में उद्धवजी का प्रकट होना ऋषियों ने पूछा — सूतजी ! अब यह बतलाइये कि परीक्षित् और वज्रनाभ को इस प्रकार आदेश देकर जब शाण्डिल्य मुनि अपने आश्रम को लौट गये, तब उन दोनों राजाओं ने… Read More
श्रीमद्भागवतमाहात्म्यम् – अध्याय १ श्रीमद्भागवतमाहात्म्यम् – अध्याय १ ॐ गणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय पहला अध्याय परीक्षित् और वज्रनाभ का समागम, शाण्डिल्यमुनि के मुख से भगवान् की लीला के रहस्य और व्रजभूमि के महत्त्व का वर्णन महर्षि व्यास कहते हैं — जिनका स्वरूप है सच्चिदानन्दघन, जो अपने सौन्दर्य और माधुर्यादि गुणों से सबका मन अपनी ओर आकर्षित कर… Read More
श्रीमद्भागवतमहापुराण – द्वादशः स्कन्ध – अध्याय १३ श्रीमद्भागवतमहापुराण – द्वादशः स्कन्ध – अध्याय १३ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय तेरहवाँ अध्याय विभिन्न पुराणों की श्लोक-संख्या और श्रीमद्भागवत की महिमा सूतजी कहते हैं — ब्रह्मा, वरुण, इन्द्र, रुद्र और मरुद्गण दिव्य स्तुतियों के द्वारा जिनके गुण-गान में संलग्न रहते हैं; साम-सङ्गीत के मर्मज्ञ ऋषि-मुनि अङ्ग, पद, क्रम एवं… Read More
श्रीमद्भागवतमहापुराण – द्वादशः स्कन्ध – अध्याय १२ श्रीमद्भागवतमहापुराण – द्वादशः स्कन्ध – अध्याय १२ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय बारहवाँ अध्याय श्रीमद्भागवत की संक्षिप्त विषय-सूची सूतजी कहते हैं — भगवद्भक्तिरूप महान् धर्म को नमस्कार है । विश्वविधाता भगवान् श्रीकृष्ण को नमस्कार है । अब मैं ब्राह्मणों को नमस्कार करके श्रीमद्भागवतोक्त सनातन धर्म का संक्षिप्त विवरण सुनाता हूँ… Read More
श्रीमद्भागवतमहापुराण – द्वादशः स्कन्ध – अध्याय ११ श्रीमद्भागवतमहापुराण – द्वादशः स्कन्ध – अध्याय ११ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ग्यारहवाँ अध्याय भगवान् के अङ्ग, उपाङ्ग और आयुधों का रहस्य तथा विभिन्न सूर्यगणों का वर्णन शौनकजी ने कहा — सूतजी ! आप भगवान् के परमभक्त और बहुज्ञों में शिरोमणि हैं । हमलोग समस्त शास्त्रों के सिद्धान्त के सम्बन्ध… Read More
श्रीमद्भागवतमहापुराण – द्वादशः स्कन्ध – अध्याय १० श्रीमद्भागवतमहापुराण – द्वादशः स्कन्ध – अध्याय १० ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय दसवाँ अध्याय मार्कण्डेयजी को भगवान् शङ्कर का वरदान सूतजी कहते हैं — शौनकादि ऋषियो ! मार्कण्डेय मुनि ने इस प्रकार नारायण निर्मित योगमाया-वैभव का अनुभव किया । अब यह निश्चय करके कि इस माया से मुक्त होने के… Read More