ब्रह्मर्षि श्रीश्री सत्यदेव — एक विलक्षण विभूति ब्रह्मर्षि श्रीश्री सत्यदेव — एक विलक्षण विभूति इस धरती पर समय-समय पर अनेक ऐसी विभूतियाँ प्रकट हुई हैं, जिन्होंने मानवमात्र के कल्याण एवं अभ्युदयहेतु ही मनुष्य-शरीर धारण किया । ऐसी ही एक उच्चकोटि की आध्यात्मिक विभूति थे, ब्रह्मर्षि श्रीश्री सत्यदेव । बंगाल के बारीशाल (इस समय बांग्लादेश में) नामक स्थान में शाक्त परम्परा के एक… Read More
भक्त गोस्वामी रघुनाथदास भक्त गोस्वामी रघुनाथदास श्रीरघुनाथदास का जन्म आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्वबंगाल में तीस बीघा के पास पहले एक सप्तग्राम नामक महासमृद्धि शाली प्रसिद्ध नगर था। इस नगर में हिरण्यदास और गोवर्धनदास- ये दो प्रसिद्ध धनी महाजन रहते थे। दोनों भाई-भाई ही थे। ये लोग गौड़ के तत्कालीन अधिपति सैयद हुसैनशाह का ठेके पर… Read More
संत श्री जलाराम बापा संत श्री जलाराम बापा संत श्री जलाराम बापा एक हिन्दु संत थे । वे राम-भक्त थे । वे ‘बापा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं । जलाराम बापा का जन्म सन् 1799 (4 नवम्बर 1799 विक्रम सम्वत 1856, वीरपुर-(खेरडी राज्य) में गुजरात के राजकोट जिले के वीरपुर गाँव में हुआ था । ये लोहाणा क्षत्रियकुल में… Read More
भक्त अल्लूदासजी (कविया) भक्त अल्लूदासजी (कविया) भक्तकवि अल्लूदास कविया-शाखा के चारण थे । इनका जन्म वि. स. १५६० में हेमराज कविया के घर मारवाड के सिणली ग्राम में हुआ था । अल्लूदास की परमात्म-भक्ति और काव्य से प्रभावित होकर आमेर-नरेश पृथ्वीराज कछवाह के पुत्र रूपसिंह ने इन्हें कुचामन के समीप जसराणा नामक ग्राम प्रदान किया था । इसके… Read More
स्वामी श्री वृन्दावनदेवाचार्य जी स्वामी श्री वृन्दावनदेवाचार्य जी (सलेमाबाद) श्री वृन्दावनदेवाचार्य जी स. 1754 से 1797 तक निम्बार्क सम्प्रदाय के अखिल भारतीय पीठ सलेमाबाद के पीठाधीश थे । वे भी सलेमाबाद के पूर्व पीठाधीशों के समान बड़े प्रतापी थे । परम रसिक तो वे थे ही । ‘मनिमंजरी’ सखी के रूप में प्रिया प्रियतम की मानसिक सेवा मे निरन्तर… Read More
किशनसिंह राठौड़ भक्त ठाकुर श्री किशनसिंह राठौड़ (गारबदेसर, बीकानेर) बीकानेर राज्य के संस्थापक राव बीकाजी राठौड़ के दो पुत्र हुए लूणकरणजी और घड़सी जी । बडे लूणकरणजी बीकाजी के बाद गद्दी पर बैठे । छोटे घड़सी घडसाना के जागीरदार हुए । घड़सीजी के पुत्र देदलजी को 84 गांव सहित गारबदेसर का तामीजी ठिकाना मिला । देदलजी के… Read More
नाभादासजी श्री नाभादासजी (गलता / रेवासा) भक्तमाल के रचयिता परम भागवत श्री नाभादासजी का चरित्र आदि से अन्त तक सन्त-सेवा-मय है। उन्होंने जन्म से ही आँखें बन्द रखी और तब तक नहीं खोली, जब तक उनको संतों के दर्शन नहीं हुए। आजन्म संतों की सेवा की और संतों की सीध-प्रसादी का सेवन किया। उसी का चेतन… Read More
अग्रदास जी श्री स्वामी अग्रदास जी (गलता / रैवासा, जिला-सीकर (राजस्थान)) अग्रदासजी राममोपासना में श्रृंगार-रस के आचार्य रूप में विख्यात हैं । इन्हें श्री जानकी जी की प्रिय सखी श्रीचन्द्रकलाजी का अवतार माना जाता है । रामचरितमानस में जानकी जी की एक प्रिय सखी का उल्लेख है, जिसे आगे कर जानकी जी पुष्पवाटिका में रामचन्द्र जी के… Read More
भक्त श्रीसीहाजी राठौड् भक्त श्रीसीहाजी राठौड् हथूंडी / पाली, मारवाड तेरहवीं शताब्दी का समय था । भारत के क्षितिजि पर संकट के बादल मंडरा रहे थे । मुसलमानों कं आतंक से देशवासी पीड़ित थे । भारत छोटे-छोटे हिन्दू राज्यों में बटा हुआ था, जो मुसलमान आक्रमणकारियों का सामना करने में असमर्थ थे । राजस्थान की दशा विशेष रूप… Read More
शंकराचार्य परम्परा अध्यात्म परम्परा १ ॐ गुरु जी प्रथमे उत्पत्ति आद्य शून्य, २ आद्य शून्य से अनादि शून्य, ३ अनादि शून्य से योगाशून्य, ४ योगाशून्य से महा-शून्य, ५ महा-शून्य से निरा शून्य, ६ निरा शून्य से आत्म-शून्य, ७ आत्म-शून्य से प्रमाल-शून्य, ८ प्रमाल-शून्य से चेतन-शून्य, ९ चेतन-शून्य से अजोड़ी शून्य, १० अजोड़ी शून्य से ओङ्कार, ११ ओङ्कार… Read More