॥ बृहत्साम ॥ भगवान् श्रीकृष्णाने वेदों में सामवेदको अपनी विभूति बताया है-‘वेदानां सामवेदोऽस्मि’ (गीता १०।२२) । सामवेदमें अनेक मनोहारी गीत हैं, जिन्हें ‘साम’ कहा जाता है। यथा-रथन्तरसाम, वार्षसाम, बृहत्साम, सेतुसाम, वीङ्कसाम, कल्माषसाम, आज्यदोहसाम, ज्येष्ठसाम इत्यादि। इनका गायन एक विशिष्ट परम्परागत वैदिक पद्धतिसे किया जाता है, जो अत्यन्त मनोहारी होता है। गीतामें भगवान्ने स्वयंको सामोंमें बृहत्साम… Read More