ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 133 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ तैंतीसवाँ अध्याय पुराणों के लक्षण और उनकी श्लोक संख्या का निरूपण, ब्रह्मवैवर्तपुराण के पठन-श्रवण के माहात्म्य का वर्णन करके सूतजी का सिद्धाश्रम को प्रयाण शौनकजी ने कहा — वत्स ! ब्रह्मवैवर्त-पुराण में जिस फल का निरूपण हुआ है, वह निर्विघ्नतापूर्वक… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 132 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ बतीसवाँ अध्याय सम्पूर्ण कथा का संक्षेप तथा अनुक्रमणिका शौनक बोले — हे धर्मेश ! मैंने सब कुछ सुन लिया। कुछ अवशिष्ट नहीं है । हे महाभाग ! मुझ ब्राह्मण से पुनः पुराण का कथन करें । जन्म से ही मैंने… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 131 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ इकतीसवाँ अध्याय अग्नि तथा स्वर्ण की उत्पत्ति का प्रसङ्ग शौनक बोले — मैंने परम अद्भुत, अति गोपनीय, अत्यन्त रम्य एवं परम नवीन यह अपूर्व उपाख्यान सुना । पुराणों में क्या ही अनिर्वचनीय, कमनीय एवं मनोहर, प्राचीन तथा अति दुर्लभ कथा… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 130 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ तीसवाँ अध्याय नारायण के आदेश से नारद का विवाह के लिये उद्यत हो ब्रह्मलोक में जाना, ब्रह्मा का दल-बल के साथ राजा संजय के पास आना, संजय-कन्या और नारद का विवाह, सनत्कुमार द्वारा नारद को श्रीकृष्ण-मन्त्रोपदेश, महादेवजी का उन्हें श्रीकृष्ण… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 129 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ उनतीसवाँ अध्याय श्रीकृष्ण के गोलोक-गमन का वर्णन श्रीनारायण कहते हैं — नारद! परिपूर्णतम प्रभु भगवान् श्रीकृष्ण वहाँ तत्काल ही गोकुलवासियों के सालोक्य मोक्ष को देखकर भाण्डीरवन में वटवृक्ष के नीचे पाँच गोपों के साथ ठहर गये। वहाँ उन्होंने देखा कि… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 128 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ अठ्ठाईसवाँ अध्याय श्रीकृष्ण द्वारा नन्द को ज्ञानोपदेश और राधा-कलावती आदि गोपियों का गोलोक-गमन श्रीनारायण कहते हैं — नारद! जहाँ पहले ब्राह्मणपत्नियों ने श्रीकृष्ण को अन्न दिया था; उस भाण्डीर-वट की छाया में श्रीकृष्ण स्वयं विराजमान हुए और वहीं समस्त गोपों… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 127 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ सत्ताईसवाँ अध्याय श्रीकृष्ण का राधा के साथ विभिन्न स्थलों में विहार करके पुनः गोकुल में जाना, वहाँ उनका स्वागत-सत्कार, यशोदा का राधा सहित श्रीकृष्ण को महल में ले जाना और मङ्गल-महोत्सव करना तदनन्तर राधिका ने कहा — महाभाग ! अब… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 126 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ छब्बीसवाँ अध्याय राधा और श्रीकृष्ण का पुनः मिलाप, राधा के पूछने पर श्रीकृष्ण द्वारा अपना तथा राधा का रहस्योद्घाटन श्रीनारायण कहते हैं — नारद! इस प्रकार माधव ने यादवों, देवों, मुनियों तथा अन्यान्य व्यक्तियों और देवियों के साथ गणेश-पूजन का… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 125 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ पच्चीसवाँ अध्याय वसुदेवजी का शंकरजी से भव-तरण का उपाय पूछना, शंकरजी का उन्हें ज्ञानोपदेश देकर राजसूय-यज्ञ करने का आदेश देना, वसुदेवजी द्वारा राजसूय यज्ञ का अनुष्ठान और यज्ञान्त में सर्वस्व दक्षिणा में देकर उनका द्वारका को लौटना नारदजी ने पूछा… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 124 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) एक सौ चौबीसवाँ अध्याय गणेशकृत राधा-प्रशंसा, पार्वती-राधा-सम्भाषण, पार्वती के आदेश से सखियों द्वारा राधा का शृङ्गार और उनकी विचित्र झाँकी; ब्रह्मा, शिव, अनन्त आदि के द्वारा राधा की स्तुति श्रीनारायण कहते हैं — नारद! सती राधा ने गणेश की विधिपूर्वक भली-भाँति पूजा… Read More