श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-पंचम स्कन्धः-अध्याय-20 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-पंचम स्कन्धः-विंशोऽध्यायः बीसवाँ अध्याय देवी का मणिद्वीप पधारना तथा राजा शत्रुघ्न का भूमण्डलाधिपति बनना महिषवधानन्तरं पृथिवीसुखवर्णनम् जनमेजय बोले — हे मुने! अब मैंने भगवती के अत्यन्त अद्भुत तथा जगत्‌ को शान्ति प्रदान करने वाले प्रभाव को तो देख लिया, फिर भी… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-पंचम स्कन्धः-अध्याय-19 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-पंचम स्कन्धः-एकोनविंशोऽध्यायः उन्नीसवाँ अध्याय देवताओं द्वारा भगवती की स्तुति देवीसान्त्वनम् व्यासजी बोले — महिषासुर का संहार देखकर इन्द्र आदि प्रधान देवता परम प्रसन्न हुए और वे जगदम्बा की स्तुति करने लगे ॥ १ ॥ देवता बोले — हे देवि ! आपकी… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-पंचम स्कन्धः-अध्याय-18 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-पंचम स्कन्धः-अष्टादशोऽध्यायः अठारहवाँ अध्याय दुर्धर, त्रिनेत्र, अन्धक और महिषासुर का वध महिषासुरवधः महिष बोला — उस मन्दोदरी की इन्दुमती नाम की एक छोटी बहन थी, जो समस्त शुभ लक्षणों से सम्पन्न तथा अत्यन्त रूपवती थी। जब वह विवाह के योग्य हुई,… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-पंचम स्कन्धः-अध्याय-17 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-पंचम स्कन्धः-सप्तदशोऽध्यायः सत्रहवाँ अध्याय महिषासुर का देवी को मन्दोदरी नामक राजकुमारी का आख्यान सुनाना राजपुत्रीमन्दोदरीवृत्तवर्णनम् व्यासजी बोले — [ हे महाराज!] उसका यह वचन सुनकर भगवती ने उस दानव से पूछा — वह स्त्री मन्दोदरी कौन थी और वह राजा कौन… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-पंचम स्कन्धः-अध्याय-16 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-पंचम स्कन्धः-षोडशोऽध्यायः सोलहवाँ अध्याय महिषासुर का रणभूमि में आना तथा देवी से प्रणय-याचना करना महिषद्वारा देवीप्रबोधनम् व्यासजी बोले — उन सैनिकों की बात सुनकर राजा महिष क्रोधित हो उठा और उसने सारथि से कहा —हजार गधों से जुते हुए, ध्वजा तथा… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-पंचम स्कन्धः-अध्याय-15 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-पंचम स्कन्धः-पञ्चदशोऽध्यायः पन्द्रहवाँ अध्याय बिडालाख्य और असिलोमा का रणभूमि में आना, देवी से उनका वार्तालाप और युद्ध तथा देवी द्वारा उनका वध असिलोमबिडालाख्यवधवर्णनम् व्यासजी बोले — उस देवी ने चिक्षुराख्य तथा ताम्र का वध कर दिया — यह सुनकर महिषासुर को… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-पंचम स्कन्धः-अध्याय-14 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-पंचम स्कन्धः-चतुर्दशोऽध्यायः चौदहवाँ अध्याय चिक्षुर और ताम्र का रणभूमि में आना, देवी से उनका वार्तालाप और युद्ध तथा देवी द्वारा उनका वध ताम्रचिक्षुराख्यवधवर्णनम् व्यासजी बोले — हे राजन् ! दुर्मुख मार दिया गया — यह सुनकर महिषासुर क्रोध से मूर्च्छित हो… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-पंचम स्कन्धः-अध्याय-13 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-पंचम स्कन्धः-त्रयोदशोऽध्यायः तेरहवाँ अध्याय बाष्कल और दुर्मुख का रणभूमि में आना, देवी से उनका वार्तालाप और युद्ध तथा देवी द्वारा उनका वध महिषसेनाधिपबाष्कलदुर्मुखनिपातनवर्णनम् व्यासजी बोले — हे राजन् ! ऐसा कहकर अभिमान से चूर अंगों वाले तथा सभी शस्त्रास्त्रों के विशारद… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-पंचम स्कन्धः-अध्याय-12 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-पंचम स्कन्धः-द्वादशोऽध्यायः बारहवाँ अध्याय देवी के अट्टहास से भयभीत होकर ताम्र का महिषासुर के पास भाग आना, महिषासुर का अपने मन्त्रियों के साथ पुनः विचार-विमर्श तथा दुर्धर, दुर्मुख और बाष्कल की गर्वोक्ति देवीपराजयकरणाय दुर्धरप्रबोधवचनम् व्यासजी बोले — उस ताम्र की वह… Read More


श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-पंचम स्कन्धः-अध्याय-11 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ पूर्वार्द्ध-पंचम स्कन्धः-एकादशोऽध्यायः ग्यारहवाँ अध्याय महिषासुर का अपने मन्त्रियों से विचार-विमर्श करना और ताम्र को भगवती के पास भेजना ताम्रकृतं देवीं प्रति विस्रंसनवचनवर्णनम् व्यासजी बोले — मन्त्री की यह बात सुनकर मदोन्मत्त राजा महिषासुर अपने वयोवृद्ध मन्त्रियों को बुलाकर उनसे यह वचन… Read More