अग्निपुराण – अध्याय 300 July 15, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 300 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ तीन सौ अध्याय ग्रहबाधा एवं रोगों को हरने वाले मन्त्र तथा औषध आदि का कथन ग्रहहृन्मन्त्रादिकम् अग्निदेव कहते हैं — वसिष्ठ! अब मैं ग्रहों के उपहार और मन्त्र आदि का वर्णन करूँगा, जो ग्रहों को शान्त करने वाले हैं। हर्ष,… Read More
अग्निपुराण – अध्याय 299 July 15, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 299 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ दो सौ निन्यानबेवाँ अध्याय बालादिग्रहहर बालतन्त्र बालग्रहहरबालतन्त्रम् अग्निदेव कहते हैं — वसिष्ठ ! अब मैं बालादि ग्रहों को शान्त करने वाले ‘बालतन्त्र’ को कहता हूँ । शिशु को जन्म के दिन ‘पापिनी’ नाम वाली ग्रही ग्रहण कर लेती है ।… Read More
अग्निपुराण – अध्याय 298 July 15, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 298 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ दो सौ अट्ठानबेवाँ अध्याय गोनसादि-चिकित्सा गोनसादि चिकित्सा अग्निदेव कहते हैं — वसिष्ठ! अब मैं तुम्हारे सम्मुख गोनस आदि जाति के सर्पों के विष की चिकित्सा का वर्णन करता हूँ, ध्यान देकर सुनो। ‘ॐ ह्रां ह्रीं अमलपक्षि स्वाहा’ — इस मन्त्र… Read More
अग्निपुराण – अध्याय 297 July 15, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 297 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ दो सौ सत्तानबेवाँ अध्याय विषहारी मन्त्र तथा औषध विषहृन्मन्त्रौषधम् अग्निदेव कहते हैं — वसिष्ठ ! ॐ नमो भगवते रुद्राय च्छिन्द-च्छिन्द विषं ज्वलितपरशुपाणये स्वाहा।’ इस मन्त्र से और ‘ॐ नमो भगवते पक्षिरुद्राय दष्टकमुत्थापयोत्थापय, दष्टकं कम्पय कम्पय जल्पय जल्पय सर्पदष्टमुत्थापयोत्थापय लल लल… Read More
अग्निपुराण – अध्याय 296 July 15, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 296 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ दो सौ छियानबेवाँ अध्याय पञ्चाङ्ग-रुद्रविधान पञ्चाह्गरुद्रविधानम् अग्निदेव कहते हैं — वसिष्ठ! अब मैं ‘पञ्चाङ्ग रुद्र-विधान ‘का वर्णन करता हूँ। यह परम उत्तम तथा सब कुछ प्रदान करने वाला है। ‘शिवसंकल्प’ इसका हृदय, ‘पुरुष सूक्त‘ शीर्ष, ‘अद्भ्यः सम्भूतः० (यजु० ३१ ।… Read More
अग्निपुराण – अध्याय 295 July 15, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 295 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ दो सौ पंचानबेवाँ अध्याय दष्ट-चिकित्सा दष्टचिकित्साः अग्निदेव कहते हैं — वसिष्ठ! अब मैं मन्त्र, ध्यान और ओषधि के द्वारा साँप के द्वारा डॅसे हुए मनुष्य की चिकित्सा का वर्णन करता हूँ। ‘ॐ नमो भगवते नीलकण्ठाय’ इस मन्त्र के जप से… Read More
अग्निपुराण – अध्याय 294 July 15, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 294 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ दो सौ चौरानबेवाँ अध्याय नाग-लक्षण 1 नागलक्षणानिः अग्निदेव कहते हैं — वसिष्ठ ! अब मैं नागों की उत्पत्ति, सर्पदंश में अशुभ नक्षत्र आदि, सर्पदंश के विविध भेद, देश के स्थान, मर्मस्थल, सूतक और सर्पदष्ट मनुष्य की चेष्टा — इन सात… Read More
अग्निपुराण – अध्याय 293 July 15, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 293 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ दो सौ तिरानबेवाँ अध्याय मन्त्र-विद्या मन्त्रपरिभाषा: अग्निदेव कहते हैं — वसिष्ठ! अब मैं भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली मन्त्र विद्या का वर्णन करता हूँ, ध्यान देकर उसका श्रवण कीजिये। द्विजश्रेष्ठ। बीस से अधिक अक्षरों वाले मन्त्र ‘मालामन्त्र’ दस से… Read More
अग्निपुराण – अध्याय 292 July 15, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 292 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ दो सौ बानबेवाँ अध्याय गवायुर्वेद गवायुर्वेदः धन्वन्तरि कहते हैं — सुश्रुत ! राजा को गौओं और ब्राह्मणों का पालन करना चाहिये। अब मैं ‘गोशान्ति ‘ का वर्णन करता हूँ। गौएँ पवित्र एवं मङ्गलमयी हैं। गौओं में सम्पूर्ण लोक प्रतिष्ठित है।… Read More
अग्निपुराण – अध्याय 291 July 15, 2025 | aspundir | Leave a comment अग्निपुराण – अध्याय 291 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ दो सौ इक्यानबेवाँ अध्याय गज-शान्ति गज-शान्तिः शालिहोत्र कहते हैं — मैं गजरोगों का प्रशमन करने वाली गज-शान्ति के विषय में कहूँगा। किसी भी शुक्ला पञ्चमी को विष्णु, लक्ष्मी तथा नागराज ऐरावत की पूजा करे। फिर ब्रह्मा, शिव, विष्णु इन्द्र, कुबेर,… Read More