॥ पार्वती – मंगल ॥ – हिन्दी भावार्थ सहित ॥ श्रीहरि: ॥ ॥ पार्वती-मंगल ॥ बिनइ गुरहि गुनिगनहि गिरिहि गननाथहि । हृदयँ आनि सिय राम धरे धनु भाथहि ॥ १ ॥ गावउँ गौरि गिरीस बिबाह सुहावन । पाप नसावन पावन मुनि मन भावन ॥ २ ॥ ‘गुरु’ की, ‘गुणी लोगों’ (विज्ञजनों) – की, ‘पर्वतराज’ (हिमालय)… Read More