॥ श्री रुद्र कवचम् ॥ ॥ ॐ गं गणपतये नमः ॥ विनियोग- ॐ अस्य श्री रुद्र कवच स्तोत्र महा मंत्रस्य दूर्वासऋषिः अनुष्ठुप् छंदः त्र्यंबक रुद्रो देवता ह्रां बीजं श्रीं शक्तिः ह्रीं कीलकम् – मम मनसोभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः । ह्रामित्यादिषड्बीजैः षडंगन्यासः ॥ ॥ ध्यानम् ॥… Read More


॥ रुद्र यन्त्रम् ॥ रुद्र यन्त्र के मध्य में पञ्चकोण है, उसके बाहर अष्टदल, उसके बाहर षोडशदल, उसके ऊपर चतुर्विंशतिदल, उसके ऊपर द्वात्रिंशदल तथा उसके बाहर चत्वारिंशदल (कहीं-कहीं पर ४५ दल का भी लेख है।) पश्चात् बाहर भूपूर में (द्वारयुक्त परिधि) बनाकर यन्त्र शोधन करें। यह यन्त्र शिव पूजन व मृत्युञ्जय प्रयोग दोनों में किया… Read More


॥ अथ त्वरित रुद्रमन्त्र प्रयोगः॥ (हेमाद्रिशांति रत्नेषु) इस मन्त्र का प्रयोग सभी कामनाओं की सिद्धि हेतु तथा विघ्ननाश हेतु किया जाता है । औषधोपचार में यदि दवाकाम नहीं कर रही है तो इसके प्रयोग से मार्गदर्शन होकर रोगी को लाभ प्राप्त होगा । मन्त्रोयथा – ॐ यो रुद्रो ऽग्नौ योऽप्सुय ओषधीषु यो रुद्रो विश्वाभुवनाविवेश तस्मै… Read More


॥ अथ दशाक्षररुद्र मन्त्र विधानम् ॥ रुद्रयाग व विशिष्ट साधना में विविध ऋचाओं से न्यास किये जाते है । मन्त्र – ॐ नमो भगवते रुद्राय। विनियोगः – ॐ अस्य श्री रुद्रमन्त्रस्य बोधायन ऋषिः, पंक्ति छन्दः, रुद्रो देवता ममाभिष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥ ऋषिन्यासः- ॐ बोधायनर्षये नमः शिरसि, पंक्ति छन्दसे नमः मुखे, रुद्र देवतायै नमः हृदि,… Read More


॥ रुद्रसूक्त ( नीलसूक्त) ॥ भूतभावन भगवान् सदाशिव की प्रसन्नता के लिये रुद्रसूक्त पाठ का विशेष महत्त्व बताया गया है । पूजा में भगवान शंकर को सबसे प्रिय जलधारा है । इसलिये भगवान् शिव के पूजन में रुद्राभिषेक की परम्परा है और अभिषेक में इस ‘रुद्रसूक्त’ की ही प्रमुखता है । रुद्राभिषेक के अन्तर्गत रुद्राष्टाध्यायी… Read More