शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 33 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 33 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता तैंतीसवाँ अध्याय घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग एवं शिवालयके नामकरणका आख्यान सूतजी बोले- अपनी छोटी बहनके पुत्रको देखकर बड़ी बहन दुखी हुई और वह उसके पुत्रसुखको सहन न करती हुई उससे विरोध करने लगी ॥ १ ॥ सब लोग उस पुत्रवतीकी निरन्तर… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 32 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 32 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता बत्तीसवाँ अध्याय घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंगके माहात्म्यमें सुदेहा ब्राह्मणी एवं सुधर्मा ब्राह्मणका चरित – वर्णन सूतजी बोले- हे मुनिश्रेष्ठो ! इसके बाद घुश्मेश नामक ज्योतिर्लिंग कहा गया है। उसका उत्तम माहात्म्य सुनिये ॥ १ ॥ दक्षिण दिशामें श्रेष्ठ देवगिरि नामक एक… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 31 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 31 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता इकतीसवाँ अध्याय रामेश्वर नामक ज्योतिर्लिंगके प्रादुर्भाव एवं माहात्म्यका वर्णन सूतजी बोले- हे ऋषियो ! इसके बाद मैं रामेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग पूर्व समयमें जिस प्रकार उत्पन्न हुआ, उसका वर्णन करता हूँ, आपलोग आदरपूर्वक सुनिये ॥ १ ॥ हे ब्राह्मणो! पूर्व… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 30 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 30 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता तीसवाँ अध्याय नागेश्वर ज्योतिर्लिंगकी उत्पत्ति एवं उसके माहात्म्यका वर्णन सूतजी बोले – [ हे मुनियो ! ] किसी समय उस दुष्टात्मा राक्षस दारुकके एक सेवकने वैश्यके समक्ष [स्थित हुए] शिवजीका सुन्दर रूप देखा ॥ १ ॥ उसने जाकर राक्षसराजके… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 29 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 29 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता उनतीसवाँ अध्याय दारुकावनमें राक्षसोंके उपद्रव एवं सुप्रिय वैश्यकी शिवभक्तिका वर्णन सूतजी बोले— इसके उपरान्त मैं परमात्मा शिवके नागेश नामक परमश्रेष्ठ ज्योतिर्लिंगकी जिस प्रकार उत्पत्ति हुई, उसे कह रहा हूँ ॥ १ ॥ पार्वतीके वरदानसे अहंकारमें डूबी हुई दारुका नामक… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 28 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 28 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता अट्ठाईसवाँ अध्याय वैद्यनाथेश्वर ज्योतिर्लिंगके प्रादुर्भाव एवं माहात्म्यका वर्णन सूतजी बोले— किसी समय अभिमानी तथा मानपरायण राक्षस श्रेष्ठ रावण पर्वतोंमें उत्तम कैलासपर भक्तिपूर्वक शिवजीकी आराधना करने लगा ॥ १ ॥ जब कुछ समयतक आराधना किये जानेपर भी शिवजी प्रसन्न न… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 27 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 27 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता सत्ताईसवाँ अध्याय गौतमी गंगा एवं त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंगका माहात्म्यवर्णन ऋषिगण बोले— हे प्रभो ! गंगा किस स्थानसे जलरूपमें प्रवाहित होकर प्रकट हुईं? हे प्रभो ! उनका माहात्म्य सबकी अपेक्षा अधिक क्यों हुआ ? इसे बताइये। हे व्यासशिष्य ! जिन दुष्ट… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 26 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 26 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता छब्बीसवाँ अध्याय त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग तथा गौतमी गंगाके प्रादुर्भावका आख्यान सूतजी बोले— हे द्विजो ! उस समय स्त्रीसहित गौतमके द्वारा इस प्रकार प्रायश्चित्त करनेपर शिवजी प्रसन्न होकर पार्वतीजी तथा अपने गणोंके साथ प्रकट हो गये। इसके बाद प्रसन्न हुए कृपानिधि… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 25 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 25 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता पच्चीसवाँ अध्याय मुनियोंका महर्षि गौतमके प्रति कपटपूर्ण व्यवहार सूतजी बोले— हे ब्राह्मणो ! किसी समय गौतम ऋषिने अपने शिष्योंको जल लाने हेतु भेजा और वे हाथमें कमण्डलु लेकर भक्तिपूर्वक वहाँ पहुँचे ॥ १ ॥ उस समय जल लेनेके लिये… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 24 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 24 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता चौबीसवाँ अध्याय त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंगके माहात्म्य — प्रसंगमें गौतमऋषिकी परोपकारी प्रवृत्तिका वर्णन सूतजी बोले— हे श्रेष्ठ ऋषियो ! मैं पापोंका नाश करनेवाली कथा कहता हूँ, जैसा कि मैंने [ अपने] श्रेष्ठ गुरु व्यासजीसे सुना है, आपलोग सुनिये ॥ १ ॥… Read More