शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 19 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता उन्नीसवाँ अध्याय महावाक्योंके तात्पर्य तथा योगपट्टविधिका वर्णन सुब्रह्मण्य बोले- अब महावाक्योंको कहता हूँ – १ – प्रज्ञानं ब्रह्म – ब्रह्म उत्कृष्ट ज्ञानस्वरूप अथवा चैतन्यरूप है। (ऐतरेय० ३ । ३ तथा आत्मप्र ० १ ) २- अहं ब्रह्मास्मि — वह… Read More


शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 18 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता अठारहवाँ अध्याय संन्यासपद्धतिमें शिष्य बनानेकी विधि शौनकजी बोले – [ हे सूतजी !] तब वेदान्त- सारस्वरूप उस परम अद्भुत रहस्यको सुनकर वामदेवने महेश्वरपुत्र कार्तिकेयसे [ और ] क्या पूछा ? शिवज्ञानमें सदा तत्पर रहनेवाले योगी वामदेव धन्य हैं, जिनके… Read More


शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 17 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता सत्रहवाँ अध्याय अद्वैत शैववाद एवं सृष्टिप्रक्रियाका प्रतिपादन वामदेवजी बोले- हे भगवन्! आपने पहले कहा कि प्रकृतिके नीचे नियति और ऊपर पुरुष है, अब आप अन्यथा कैसे कह रहे हैं ? हे प्रभो ! मायासे जिसका स्वरूप ढका हुआ है,… Read More


शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 16 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता सोलहवाँ अध्याय शैवदर्शनके अनुसार शिवतत्त्व, जगत्-प्रपंच और जीवतत्त्वके विषयमें विशद विवेचन तथा शिवसे जीव और जगत् कीअभिन्नताका प्रतिपादन सूतजी बोले- गुरुके द्वारा उपदिष्ट वेदार्थको सुनकर मुनिवर वामदेव परमात्मविषयक सन्देहोंको आदरपूर्वक पूछने लगे-॥ १ ॥ वामदेवजी बोले- हे ज्ञानशक्तिके धारक… Read More


शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 15 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता पन्द्रहवाँ अध्याय तिरोभावादि चक्रों तथा उनके अधिदेवताओं आदिका वर्णन ईश्वर बोले – हे वरानने ! इसके बाद सदाशिवसे जिस प्रकार महेश्वरादि व्यूहचतुष्टयकी उत्पत्ति होती है, उस उत्तम सृष्टि-पद्धतिको मैं कह रहा हूँ ॥ १ ॥ आकाशके अधिपति प्रभु सदाशिव… Read More


शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 14 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता चौदहवाँ अध्याय शिवस्वरूप प्रणवका वर्णन वामदेव बोले— हे भगवन्! हे षण्मुख ! हे सम्पूर्ण विज्ञानरूपी अमृतके सागर ! हे समस्त देवताओंके स्वामी शिवजीके पुत्र! हे शरणागतोंके दुःखके विनाशक ! आपने कहा कि प्रणवके छ: प्रकारोंके अर्थोंका ज्ञान अभीष्ट प्रदान… Read More


शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 13 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता तेरहवाँ अध्याय संन्यासकी विधि सुब्रह्मण्य बोले- इसके पश्चात् मध्याह्नकालमें स्नान करके समाहितचित्त होकर गन्ध, पुष्प, अक्षत आदि पूजन-सामग्रियोंको एकत्रित करे ॥ १ ॥ नैर्ऋत्यकोणमें देवपूजित विघ्नेश्वर देवकी पूजा करे। पहले गणानां त्वा गणपतिं हवामहे। कविं कविनामुपमश्रवस्तम् । ज्येष्ठराजं ब्राह्मणं… Read More


शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 12 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता बारहवाँ अध्याय प्रणवरूप शिवतत्त्वका वर्णन तथा संन्यासांगभूत नान्दीश्राद्ध-विधि श्रीब्रह्मण्य [ स्कन्दजी ] बोले- हे महाभाग ! हे मुनिश्रेष्ठ! हे वामदेवजी ! आप धन्य हैं, आप शिवजीके परमभक्त हैं तथा शिवज्ञानियोंमें श्रेष्ठ हैं ॥ १ ॥ सभी लोकोंमें कहीं भी… Read More


शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 11 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता ग्यारहवाँ अध्याय भगवान् कार्तिकेयसे वामदेवमुनिकी प्रणवजिज्ञासा ऋषिगण बोले- हे सूतजी ! हे महाभाग ! आप हमलोगोंके श्रेष्ठ गुरु हैं, आपकी [हम सबपर बड़ी] कृपा है, इसीलिये हमलोग आपसे पूछ रहे हैं । आप – जैसे गुरु श्रद्धालु शिष्योंके प्रति… Read More


शिवमहापुराण — कैलाससंहिता — अध्याय 10 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कैलाससंहिता दसवाँ अध्याय सूतजीका काशीमें आगमन व्यासजी बोले – हे मुनीश्वर ! सूतजीके चले जानेपर मुनिगण बहुत ही आश्चर्यचकित हुए और आपसमें विचार करके कहने लगे कि वामदेवका मत जिसे सूतजीने कहा था और जो बहुत कठिन है, उसे तो… Read More