शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 31 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] इकतीसवाँ अध्याय शिवके पाँच आवरणोंमें स्थित सभी देवताओंकी स्तुति तथा उनसे अभीष्टपूर्ति एवं मंगलकी कामना उपमन्युरुवाच स्तोत्रं वक्ष्यामि ते कृष्ण पञ्चावरणमार्गतः । योगेश्वरमिदं पुण्यं कर्म येन समाप्यते ॥ उपमन्यु कहते हैं – हे श्रीकृष्ण ! अब मैं… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 30 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] तीसवाँ अध्याय आवरणपूजाकी विस्तृत विधि तथा उक्त विधिसे पूजनकी महिमाका वर्णन उपमन्यु कहते हैं— [ यदुनन्दन !] पहले शिवा और शिवके दायें और बायें भागमें क्रमशः गणेश और कार्तिकेयका गन्ध आदि पाँच [उपचारों ] – द्वारा पूजन… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 29 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] उनतीसवाँ अध्याय काम्यकर्मका वर्णन श्रीकृष्ण बोले – हे भगवन् ! मैंने आपके मुखसे शिवभक्तोंके लिये शिवद्वारा कही गयी वेदतुल्य प्रामाणिक नित्यनैमित्तिक विधिका श्रवण किया, अब मैं शिवधर्मके अधिकारियोंका जो भी काम्य कर्म है, उसे सुनना चाहता हूँ,… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 28 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] अट्ठाईसवाँ अध्याय शिवाश्रमसेवियोंके लिये नित्य – नैमित्तिक कर्मकी विधिका वर्णन उपमन्यु बोले – [ हे कृष्ण ! ] अब मैं शिवाश्रमका सेवन करनेवालोंके लिये शिवशास्त्रमें कथित मार्गसे नैमित्तिकविधिक्रमका वर्णन करूँगा ॥ १ ॥ सभी मासोंमें दोनों ही… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 27 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] सत्ताईसवाँ अध्याय शिवपूजनमें अग्निकर्मका वर्णन उपमन्यु बोले – [हे कृष्ण !] अब मैं अग्निकार्यका वर्णन करूँगा। कुण्डमें, स्थण्डिलपर, वेदीमें, लोहेके हवनपात्रमें या नूतन सुन्दर मिट्टीके पात्रमें विधिपूर्वक अग्निकी स्थापना करके उसका संस्कार करे । तत्पश्चात् वहाँ महादेवजीकी… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 26 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] छब्बीसवाँ अध्याय सांगोपांगपूजाविधानका वर्णन उपमन्यु बोले- ब्राह्मणहन्ता, सुरापान करनेवाला, चोरी करनेवाला, गुरुपत्नीके साथ व्यभिचार करनेवाला, माता-पिताका वध करनेवाला, राजहन्ता तथा भ्रूणहत्या करनेवाला भी बिना मन्त्रके ही भक्तिपूर्वक परम कारण शिवका पूजन करके उन-उन पापोंसे क्रमसे बारह वर्षोंमें… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 25 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] पचीसवाँ अध्याय शिवपूजाकी विशेष विधि तथा शिव – भक्तिकी महिमा [ उपमन्यु बोले – हे कृष्ण ! ] इस विषयमें जो कुछ नहीं कह पाया हूँ, उसे पूजाके क्रमके लोप होनेके भयसे विस्तारपूर्वक तो नहीं, अपितु संक्षेपमें… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 24 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] चौबीसवाँ अध्याय शिवपूजनकी विधि उपमन्यु कहते हैं— यदुनन्दन ! विशुद्धि के लिये मूलमन्त्र से गन्ध, चन्दन-मिश्रित जल के द्वारा पूजास्थान का प्रोक्षण करना चाहिये। इसके बाद वहाँ फूल बिखेरे ॥ १ ॥ अस्त्र-मन्त्र ( फट्)- का उच्चारण… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 23 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] तेईसवाँ अध्याय अन्तर्याग अथवा मानसिक पूजाविधिका वर्णन तदनन्तर श्रीकृष्णके पूछनेपर नित्यनैमित्तिक कर्म तथा न्यासका वर्णन करनेके पश्चात् उपमन्यु बोले- अब मैं पूजाके विधानका संक्षेपसे वर्णन करता हूँ। इसे शिवशास्त्रमें शिवने शिवाके प्रति कहा है ॥ १ ॥… Read More


शिवमहापुराण — वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] — अध्याय 22 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण वायवीयसंहिता [उत्तरखण्ड] बाईसवाँ अध्याय शिवशास्त्रोक्त न्यास आदि कर्मोंका वर्णन उपमन्यु बोले – [हे कृष्ण !] स्थिति, उत्पत्ति तथा लयके क्रमसे न्यास तीन प्रकारका कहा गया है। स्थिति [ नामक ] न्यास गृहस्थोंके लिये और उत्पत्तिन्यास ब्रह्मचारियोंको विहित बताया गया… Read More