ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 63 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) तिरेसठवाँ अध्याय कंस के द्वारा रात में देखे हुए दुःस्वप्नों का वर्णन और उससे अनिष्ट की आशङ्का भगवान् नारायण कहते हैं — नारद! इधर मथुरा में राजा कंस बुरे सपने देख विशेष चिन्ता में पड़कर अत्यन्त भयभीत हो उद्विग्न हो उठा। उसकी… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 62 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) बाँसठवाँ अध्याय अहल्या के उद्धार एवं श्रीराम चरित्र का संक्षेप से वर्णन नारदजी ने पूछा — ब्रह्मन् ! दशरथनन्दन भगवान् श्रीराम ने किस युग में और किस प्रकार गौतम-पत्नी अहल्या को शाप से मुक्त किया ? महाभाग ! आप रामावतार की मनोहर… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 61 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) इकसठवाँ अध्याय बलि द्वारा इन्द्र का गर्व चूर करना तथा गौतम से इन्द्र और अहल्या को शाप की प्राप्ति नारायण बोले — हे ब्रह्मन् ! इन्द्र के दर्प-भंग के सम्बन्ध में थोड़ा-सा कह दिया, अब दूसरा रहस्यमय वृत्तान्त सावधानी से सुनो ।… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 60 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) साठवाँ अध्याय बृहस्पति का शची को आश्वासन एवं आशीर्वाद देना, नहुष का सप्तर्षियों को वाहन बनाना और दुर्वासा के शाप से अजगर होना, बृहस्पति का इन्द्र को बुलाकर पुनः सिंहासन पर बिठाना श्रीनारायण कहते हैं — नारद! शची द्वारा किये गये स्तोत्र… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 59 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) छप्पनवाँ अध्याय इन्द्र के दर्प-भङ्ग की कथा, नहुष की शची पर कुदृष्टि, शची का धर्म की बातें बताकर नहुष को समझाना और उसके न मानने पर बृहस्पतिजी की शरण में जाकर उनका स्तवन करना सूतजी कहते हैं — तदनन्तर नारदजी के पूछने… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 58 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) अठावनवाँ अध्याय पृथ्वी, सावित्री, गंगा, मनसा और राधा के दर्प का हरण नारायण बोले — एक बार पृथ्वी को भी अभियान हो गया कि ‘सबका आधार में ही हूँ भगवान् ने राजा पृथु द्वारा उसके अभिमान को चूर कर दिया । फिर… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 57 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) सतावनवाँ अध्याय लक्ष्मी का वैराग्य-त्याग नारायण बोले — हे नारद! देवों की स्तुति सुनकर सती लक्ष्मी ने रोना बन्द कर दिया और उनकी स्तुति से अति प्रसन्न होकर कहा । महालक्ष्मी बोलीं — हे देववृन्द ! मैं इस समय क्रोध या वैराग्य… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 56 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) छप्पनवाँ अध्याय लक्ष्मी स्तोत्र कथन नारद बोले — ब्रह्मन् ! मैं अनन्त एवं अच्युत का अपूर्व, रहस्यमय, परम अद्भुत एवं धन्य अनन्त चरित्र सुन चुका । भगवान् श्रीकृष्ण ने महाविष्णु ( महा विराट् ) एवं अन्य लोगों के दर्प को किस प्रकार… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 55 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ (उत्तरार्द्ध) पचपनवाँ अध्याय श्रीकृष्ण की महत्ता एवं प्रभाव का वर्णन श्रीनारायण कहते हैं — नारद! वे ही भगवान् श्रीकृष्ण सर्वात्मा परम पुरुष हैं । वे दुराराध्य होते हुए भी अत्यन्त साध्य हैं अर्थात् आराधना के बल से उन्हें रिझा पाना अत्यन्त कठिन है… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 54 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ चौवनवाँ अध्याय श्रीकृष्ण के मथुरागमन से लेकर परम-धाम-गमन तक की लीलाओं का संक्षिप्त परिचय नारदजी ने पूछा — मुनिश्रेष्ठ ! इसके बाद कौन-सी रहस्य – लीला हुई ? भगवान् श्रीकृष्ण किस प्रकार नन्दभवन से मथुरा को गये ? श्रीहरि के वियोग से पीड़ित… Read More