धनान्नदानसूक्त ऋग्वेद के दशम मण्डल का ११७वाँ सूक्त जो कि ‘धनान्नदानसूक्त’ के नाम से प्रसिद्ध है, दान की महत्ता प्रतिपादित करने वाला एक भव्य सूक्त है। इसके मन्त्र उपदेशपरक एवं नैतिक शिक्षा से युक्त हैं। सूक्त से यही तथ्य प्राप्त होता है कि लोक में दान तथा दानी की अपार महिमा है। धनी के धन… Read More


पृथ्वीसूक्त अथर्ववेद के बारहवें काण्ड के प्रथम सूक्त का नाम पृथ्वीसूक्त है। इसके द्रष्टा ऋषि अथर्वा हैं। इस सूक्त में कुल ६३ मन्त्र हैं। इन मन्त्रों में मातृभूमि के प्रति अपनी प्रगाढ़ भक्ति का परिचय ऋषि ने दिया है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक जडतत्त्व चेतन से अधिष्ठित है। चेतन ही उसका नियन्ता और संचालक… Read More


यमसूक्त ऋग्वेद के दशम मण्डल का चौदहवाँ सूक्त ‘यमसूक्त’ है। इसके ऋषि वैवस्वत यम हैं। ‘यमसूक्त’ तीन भागों में विभक्त है। ऋचा १ से ६ तक के पहले भाग में यम एवं उनके सहयोगियों की सराहना की गयी है और यज्ञ में उपस्थित होने के लिये उनका आवाहन किया गया है। ऋचा ७ से १२… Read More


गोसूक्त अथर्ववेद के चौथे काण्डके २१वें सूक्तको ‘गोसूक्त’ कहते हैं। इस सूक्त के ऋषि ब्रह्मा तथा देवता गौ हैं। इस सूक्तमें गौओंकी अभ्यर्थना की गयी है। गायें हमारी भौतिक और आध्यात्मिक उन्नतिका प्रधान साधन हैं। इनसे हमारी भौतिक पक्षसे कहीं अधिक आस्तिकता जुड़ी हुई है। वेदोंमें गायका महत्त्व अतुलनीय है। यह ‘गोसूक्त” अत्यन्त सुन्दर काव्य… Read More


गोष्ठसूक्त अथर्ववेद के तीसरे काण्ड के १४वें सूक्त में गौओं को गोष्ठ (गोशाला) -में आकर सुखपूर्वक दीर्घकाल तक अपनी बहुत-सी संतति के साथ रहने की प्रार्थना की गयी है। इस सूक्त के ऋषि ब्रह्मा तथा प्रधान देवता गोष्ठदेवता हैं। गौओं के लिये उत्तम गोशाला, दाना-पानी एवं चारा का प्रबन्ध करना चाहिये। गौओं को प्रेमपूर्वक रखना… Read More


उषासूक्त ऋग्वेद प्रथम मण्डल का ११३वाँ सूक्त उषासूक्त कहलाता है। इस सूक्त में २० मन्त्र हैं, जिनमें कालाभिमानी उषाकाल का उषादेवता के रूप में निरूपण कर कुत्स आंगिरस ऋषि ने उनकी सुन्दर स्तुति और महिमा का चित्रण किया है। त्रिष्टुप् छन्दमयी इस स्तुति में उषा को एक श्रेष्ठ ज्योति के रूप में स्थिर किया गया… Read More


इन्द्रसूक्त / अप्रतिरथसूक्त इस सूक्त के ऋषि अप्रतिरथ, देवता इन्द्र तथा आर्षी त्रिष्टुप् छन्द है। इसकी ‘अप्रतिरथसूक्त’ के नाम से भी प्रसिद्धि है। इन्द्र वेद के प्रमुख देवता हैं। इन्द्र के विषय में अन्य देवताओं की अपेक्षा अधिक कथाएँ प्रचलित हैं। इनका समस्त स्वरूप स्वर्णिम तथा अरुण है। ये सर्वाधिक सुन्दर रूपों को धारण करते… Read More


पीरों के पीर गौस ए आजम पीरों के पीर शेख सैय्यद अबू मोहम्मद अब्दुल कादिर जीलनी रहमतुल्लाह अलैह से निस्बत रखता है। जिन्हें गौस ए आजम के नाम से जाना जाता है। आपका नाम ” अब्दुल कादिर जिलानी ” है ! आप ” शेख अबू सईद मरमक दूमी ” के पुत्र थे ! आपका जन्म… Read More


शनि की दृष्टि पार्वती जी जब भी अपने पति शिवजी के साथ विभिन्न देवताओं के निवास स्थान पर जाती और वहाँ उनके सजे-धजे बड़े-बड़े महल देखतीं, तो उन्हें बड़ी हीनता का बोध होता । वे यह महसूस करतीं कि उनसे छोटे-छोटे देवताओं के पास भी बड़े-बड़े आलीशान महल है, परन्तु स्वयं उनके पास कुछ भी… Read More


गणेशजी ने तोड़ा कुबेर का घमंड देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेरदेव को इस बात का घमंड हो गया था कि वे देवताओं के धन के अधिपति हैं । वो देवताओं का धन खुद के कामों में उपयोग करने लगे । एक दिन वे शिवजी के पास गए और कहा कि मैं आपको अपने घर खाने पर… Read More