॥ विरिगणपति ॥ इस देवता की वीरभाव से उपासना करे, पात्रासादन तथा शक्त्यार्चन कर पूजा करें तो अधिक लाभ रहे । इस मंत्र के गणक ऋषि, गायत्री छन्द तथा विरिंगणपति देवता है । मंत्र :- ॐ ह्रीं विरि विरिगणपति वर वरद सर्वलोकं मे वशमानय स्वाहा ।… Read More


॥ अथ दशाक्षर क्षिप्रप्रसादगणपति (विघ्नराज) मंत्र ॥ मन्त्र – गं क्षिप्रप्रसादनाय नमः । क्षिप्र प्रसाद गणपति का पूजन श्रीविद्या ललिता सुन्दरी उपासना में मुख्य है । इनके बिना श्री विद्या अधूरी है। जो साधक श्री साधना करते हैं उन्हें सर्वप्रथम इनकी साधना कर इन्हें प्रसन्न करना चाहिए। कामदेव की भस्म से उत्पन्न दैत्य से श्री… Read More


॥ अथ उच्छिष्ट गणपति प्रयोगः ॥ उच्छिष्ट गणपति का प्रयोग अत्यंत सरल है तथा इसकी साधना में अशुचि-शुचि आदि बंधन नहीं हैं तथा मंत्र शीघ्रफल प्रद है । यह अक्षय भण्डार का देवता है । प्राचीन समय में यति जाति के साधक उच्छिष्ट गणपति या उच्छिष्ट चाण्डालिनी (मातङ्गी) की साधना व सिद्धि द्वारा थोड़े से… Read More


भगवान् श्रीकृष्ण से सर्वमनोकामना पूर्ति हेतु सरल अनुष्ठान मन्त्रः- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते राधाप्रियाय राधारमणाय गोपीजनवल्लभाय ममाभीष्टं पूरय पूरय हुं फट् स्वाहा ॥… Read More


भगवान् श्रीकृष्ण के दर्शन के लिये लौकिक सरल अनुष्ठान (१) कच्चित्तुलसि कल्याणि गोविन्दचरणप्रिये । सह त्वालिकुलैर्बिभ्रद् दृष्टस्तेऽतिप्रियोऽच्युतः ॥ (श्रीमद्भागवत १० । ३०। ७)… Read More


श्रीराधा-माधवप्रेमकी प्राप्तिके लिये लौकिक सरल अनुष्ठान साधक भक्त स्नान करनेके बाद श्रीराधामाधव- प्रेमप्राप्तिके लिये सर्वप्रथम भगवान् श्रीराधामाधव के युगलस्वरूपवाले किसी मनभावन चित्रपट को सामने रखकर उसका पंचोपचार पूजन करे, तत्पश्चात् शुद्ध वस्त्र धारणकर, शुद्ध आसनपर बैठकर श्रीमद्भागवत के निम्नलिखित चारों श्लोकों (१०। ३३ । २२-२५) को, श्रीमद्भागवत के ही निम्नलिखित (१०।३३। ४०) श्लोक के द्वारा… Read More


॥ श्रीकृष्ण – दशाक्षर मन्त्र प्रयोगः ॥ दशाक्षर मन्त्र – “गोपीजन वल्लभाय स्वाहा ।” श्रीकृष्णमन्त्र – गोपीजनवल्लभाय स्वाहा — यह श्रीकृष्ण का दशाक्षर मन्त्र है । इससे दृष्टादृष्ट सभी प्रकार के फल प्राप्त होते हैं । ऐहिक और पारलौकिक दोनों ही शुभ फल प्राप्त होते हैं । इस मन्त्र के पहले ‘क्लीं’ बीज लगाकर ‘क्लीं… Read More


॥ श्रीकृष्ण – अष्टाक्षर मन्त्र ॥ 1. मन्त्रः- क्लीं हृषीकेशाय नमः । हृषिकेश-पद डेऽन्त नमोऽन्त काम-पूर्वक अष्टाक्षरो मनु प्रोक्त समस्त पुरुषार्थद – (बृहद् तन्त्रसार,  मन्त्र महोदधि) विनियोग- अस्य श्रीगोविन्दमन्त्रस्य त्रैलोक्यमोहनाख्य ऋषिर्गायत्री छन्दः त्रैलोक्यमोहनो देवताऽभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोगः । ऋष्यादिन्यासः- श्रीगोविन्दमन्त्रस्य त्रैलोक्यमोहनाख्य ऋषये नमः शिरसि । गायत्री छन्दसे नमः मुखे । त्रैलोक्यमोहनो देवताय नमः हृदि । विनियोगाय… Read More