श्रीमहाशास्त्रनुग्रहकवचम् स्तोत्रम् ॥ श्रीमहाशास्त्रनुग्रहकवचम् स्तोत्रम् ॥ ॥ श्रीदेव्युवाच ॥ भगवन् देवदेवेश सर्वज्ञ त्रिपुरान्तक । प्राप्ते कलियुगे घोरे महाभूतैः समावृते ॥ १ ॥ महाव्याधिमहाव्याळघोरराजैः समावृते । दुःस्वर्प्नशोकसन्तापैः दुर्विनीतैः समावृते ॥ २ ॥ स्वधर्मविरते मार्गे प्रवृत्ते हृदि सर्वदा । तेषां सिद्धिञ्च मुक्तिञ्चत्वं मे ब्रूहिवृषद्वज ॥ ३ ॥… Read More
महाशास्ता (हरिहरपुत्र) मंत्र प्रयोगः ॥ महाशास्ता (हरिहरपुत्र) मंत्र प्रयोगः ॥ जिस तरह वास्तुपुरुष की उत्पति अंधकदैत्य व शिव के बीच युद्ध समय में दोनों के पसीने की बूंदे भूमि पर गिरी उससे हुई इसी तरह किसी अन्यप्रकरण में यह हरि एवं हर का मानस है पुत्र एवं इसकी गणना विशेष शिवगणों में की जाती है । अय्यप्पा स्वामी मोहिनी… Read More